गरियाबंद: जिले के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में दुर्लभ ईस्ट इंडियन लेपर्ड गेको (हार्डविक गेको) की खोज हुई है। यह पहली बार है जब इस विशेष छिपकली की प्रजाति को इस क्षेत्र में देखा गया है, जिससे वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षण प्रेमियों में उत्साह का माहौल है।
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के जंगलों में वन विभाग द्वारा लगाए गए ट्रैप कैमरों में इस दुर्लभ ईस्ट इंडियन लेपर्ड गेको की तस्वीरें कैद हुई हैं। यह छिपकली दिखने में सांप जैसी होती है और विशेष रूप से रात के समय सक्रिय रहती है। यह अपने शिकार के रूप में छोटे कीटों और मकोड़ों को पकड़ती है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण रात्रिचर कीटभक्षी प्रजाति बनती है।
संरक्षण के प्रयासों को मिलेगी मजबूती
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के उप निदेशक वरुण जैन ने इस खोज को स्थानीय जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि ”इस प्रजाति की खोज से यह साबित होता है कि हमारे वन क्षेत्रों में अभी भी कई अज्ञात और दुर्लभ प्रजातियां मौजूद हैं, जिन्हें खोजने और संरक्षित करने की आवश्यकता है।” ईस्ट इंडियन लेपर्ड गेको आमतौर पर शुष्क सदाबहार वनों, झाड़ीदार घास के मैदानों, और पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है।
जानें इस दुर्लभ छिपकली की खासियत
इस छिपकली की खासियत है कि यह गुफाओं में रहना पसंद करती है और अपने प्राकृतिक आवास में आसानी से घुल-मिल जाती है। इसकी लंबाई करीब आठ से नौ इंच (20 से 23 सेंटीमीटर) होती है, जो इसे एक मध्यम आकार की छिपकली बनाती है। इससे पहले, इस प्रजाति को मुख्य रूप से ओडिशा और आंध्र प्रदेश के घने जंगलों में देखा गया था, लेकिन अब इसकी उपस्थिति उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में भी पाई गई है, जिसे एक महत्वपूर्ण जैव विविधता की खोज माना जा रहा है।
(Bureau Chief, Korba)