Monday, September 30, 2024




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BCC News 24: छत्तीसगढ़- कानन पेंडारी में ‘सहेली’ की मौत.. मादा हिप्पो ने हार्टअटैक से दम तोड़ा, अब तक तीन; 8 साल में 31 वन्य जीवों की जान गई

छत्तीसगढ़: बिलासपुर के कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में शनिवार सुबह मादा हिप्पो की मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद हार्ट अटैक से उसकी मौत होना बताया जा रहा है। उसे फरवरी 2021 में भुवनेश्वर के नंदन कानन से लाया गया था और सहेली नाम रखा गया था। इससे पहले भी यहां दो दरियाई घोड़े की मौत हो चुकी है। वहीं, देखरेख के अभाव और प्रबंधन की लापरवाही के चलते कई वन्य प्राणि भी दम तोड़ चुके हैं।

जू कीपर्स के अनुसार मादा हिप्पो शनिवार सुबह 9.30 बजे भोजन में हरा चारा खाया था। उसके बाद पानी में चली गई थी। कुछ देर बाद जब जाकर देखा गया तो वह हरकत नहीं कर रही थी। शक होने पर पानी के भीतर जाकर उसे देखा गया। इसके बाद सुबह करीब 11 बजे के आसपास उसकी मौत की पुष्टि हुई।

हिप्पोपोटाम की मौत के बाद डॉक्टरों की टीम ने किया पोस्टमार्टम

हिप्पोपोटाम की मौत के बाद डॉक्टरों की टीम ने किया पोस्टमार्टम

हिप्पो के पोस्टमार्टम के लिए टीम का गठन किया गया। इसमें . आरएम त्रिपाठी, डॉ.राम ओत्तलवार, डॉ.अजीत पांडेय शामिल थे। शाम करीब 4 से 5 बजे तक उसका पोस्टमार्टम चलता रहा, इसके बाद डॉक्टरों ने मादा दरियाई घोड़े की मौत कार्डियो रेस्पिरेटरी कोलेप्स यानी हृदय श्वसन तंत्र में तकलीफ के कारण हुई है। उसके मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है

जबलपुर भेजा गया बिसरा
प्रारंभिक जांच और पोस्टमार्टम के बाद शव का बिसरा प्रिजर्व किया गया है। उसे जांच के लिए नानाजी देशमुख वेटनरी साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर भेजा जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि जब PM करने वाले चिकित्सकों ने मौत का कारण हार्ट अटैक बता दिया है, तो बिसरा जांच कराने का क्या औचित्य होगा।

सभी हिप्पो की मौत कारण हार्ट अटैक
कानन पेंडारी में इससे पहले भी 2 दरियाई घोड़े की मौत हो चुकी है। मार्च 2021 में एक नर दरियाई घोड़ा गजनी की मौत हुई थी। उस समय गजनी की उम्र 13 वर्ष थी। गजनी को दिल्ली जू से 2010 को कानन पेंडारी लाया गया था। उसके बाद साल 2019 में मादा हिप्पो सजनी की भी मौत कार्डियो रेस्पिरेटरी कोलेप्स से हुई थी। उस समय सजनी साढ़े छह महीने की प्रेग्नेंट थी। पेट में ही उसके बच्चे की मौत हो गई।दोनों की मौत का कारण भी हार्ट अटैक बताया गया था।

कानन पेंडारी जू में दो बायसन की हो चुकी है मौत

कानन पेंडारी जू में दो बायसन की हो चुकी है मौत

वन्य प्राणियों की लगातार हो रही मौतें
कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। 15 जनवरी 2014 को यहां 22 चीतलों की संदिग्ध परिस्थतियों में मौत हुई थी। 17 मई 2018 को मादा तेंदुए की मौत हो गई थी। 22 दिसंबर 2018 को सफ़ेद बाघ विजय ने दम तोड़ दिया था। 21 जुलाई 2018 को शुतुरमुर्ग की मौत हो गई थी। इससे पहले साल 2011 में बंगाल टाइगर लावा की मौत 21 वर्ष की आयु में हो गई थी। दो साल के भीतर जून और अगस्त 2021 में दो बायसन की भी मौत हो गई। इसके साथ ही छोटे-छोटे वन्य जीवों की आए दिन मौतें होती रही है।

शेर, बंगाल टाइगर समेत 678 जानवर है मौजूद
कानन पेंडारी प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां करीब 6 करोड़ पर्यटक हर साल आते हैं। 114 हेक्टेयर में फैले हुए इस जू में 60 स्पीशीज के करीब 679 जानवर मौजूद है। वर्तमान में यहां 7 शेर हैं। इनमें 3 नर हैं। शेर के साथ ही 3 सफेद बाघ भी है और 4 बंगाल टाइगर हैं। यहां पर एक शुतुरमुर्ग के साथ ही 6 बायसन भी थे। जिनमें दो बायसन की मौत होने के बाद इनकी संख्या अब 4 रह गई है।

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