छत्तीसगढ़: जांगजीर-चांपा की सक्ती उपजेल से 4 कैदी वन विभाग के डिपो में लकड़ी लेने के लिए पहुंच गए। चारों कैदियों को हथकड़ी तक नहीं लगाई गई थी। लोगों ने देखा तो हड़बड़ी में वैन में बिठाकर प्रहरी ले गए। खास बात यह है कि वह जेल की गाड़ी भी नहीं थी। लोगों ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। अब जेल के अफसर कह रहे हैं कि 3 महीने से गैस की सप्लाई बंद है। मानता हूं कि गलती है, पर मजबूरी है। कैदियों को सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में भेजा था।
दरअसल, सक्ती उपजेल के कैदियों का बाहर वन डिपो में बिना हथकड़ी बैठे हुए एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दिख रहा है कि 4 कैदी वहां मौजूद हैं। वहीं पास में दो-तीन पुलिसकर्मी भी खड़े हैं। जब पुलिसकर्मियों से वीडियो बनाने वाला पूछता है कि आप लोग जेल विभाग से हैं, तो एक हां में जवाब देता है। इसके बाद वहां बैठे कैदियों से पूछता है कि वे कहां से हैं, तो पुलिसकर्मियों की ओर इशारा करते हैं। इस पर पूछता है कि कैदी हो।
सक्ती उपजेल।
सवाल पूछने पर मारुति वैन में बैठकर निकल गए
इतना पूछने पर पुलिसकर्मी और वहां मौजूद लोग कोई जवाब नहीं देते। वहीं खड़ी मारुति वैन में सब बैठते हैं और वहां से निकल कर स्पीड में जेल की ओर जाने लगते हैं। इस पर विडियो बनाने वालों ने काफी दूर तक उनका पीछा भी किया, पर वे रफ्तार में वहां से निकल जाते हैं। हालांकि जेल से बाहर अब इस तरह से कैदियों को लेकर बाहर निकलने पर सवाल खड़े हो गए हैं।लापरवाही से कैदी फरार भी हो सकते थे और किसी को नुकसान भी पहुंचा सकते थे।
इस वैन में कैदियों के साथ बैठकर पुलिसकर्मी तेजी से निकल गए।
जेल अधीक्षक बोले- उधारी बहुत है, लकड़ी से काम चला रहे
जेल अधीक्षक सतीश भार्गव इसको लेकर कहते हैं कि बजट के अभाव में 7 मार्च से सिलेंडर की सप्लाई एजेंसी संचालक ने बंद कर दी है। इसके कारण लकड़ी से खाना बनाने की मजबूरी है। गैस एजेंसी का 1 लाख 82 हजार रुपए बकाया है। हमने धीरे धीरे भुगतान का भरोसा भी दिया, पर वो नही माने। राशन और सब्जियों का भी बकाया है। ऐसे में बंदियों को प्रहरियों की सुरक्षा में लकड़ी लेने के लिए भेजा था। प्रहरी उनकी निगरानी कर रहे थे। भागने जैसी कोई बात नहीं है।