Saturday, April 27, 2024
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छत्तीसगढ़: मनरेगा के डबरी से जीवन में आयी खुशहाली…

बीजापुर: जिले में सीमान्त किसानों की निजी भूमि में महात्मा गांधी नरेगा से बनी डबरी उनकी आजीविका बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। डबरी में मछली पालन और आस-पास के खेतों में लहलहाते फसल, डबरी के मेढ़ों में लगी हरीभरी सब्जियां गांव में यह आम नजारा देखने को मिल रहा है।

विकासखण्ड भैरमगढ़ की ग्राम पंचायत मंगलनार ग्राम पुसनार के किसान श्री घासीराम/लक्षमण बताते हैं कि किसानी और मजदूरी करके वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। खेतों में सिंचाई का साधन नहीं होने के कारण जैसे-तैसे जीवन का निर्वहन हो रहा था। सीमित आमदनी में परिवार का जीवन-यापन करना बहुत ही कठिन हो रहा था। तब मुझे वर्ष 2018-19 में महात्मा गांधी नरेगा से डबरी स्वीकृत होने की सूचना मिली मैंने भी अपने खेत में डबरी बनवाने हेतु आवेदन ग्राम पंचायत मंगलनार में जमा कर दिया। डबरी स्वीकृति मिलने के बाद हम लोगों ने स्वयं डबरी खुदाई की, जिससे हमें मजदूरी भी मिली।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से बनी डबरी के पानी की बदौलत मै वर्तमान में अपनी एक एकड़ भूमि में भिंडी, टमाटर, मिर्ची, बरबट्टी, लौकी, बैंगन और तोरई जैसी सब्जियों का उत्पादन कर रहा रहूं साथ ही प्याज की खेती भी कर रहा हूं। डबरी में मछली बीज डालकर पिछले साल मैंने मछली पालन से 35000 रूपये की आमदनी की है। अभी वर्तमान में डबरी में फिर से मछली बीज डाला हूं, जिससे मुझे अच्छी आमदनी की उम्मीद है। डबरी बनने के बाद मैंने डबरी में मोटर पंप भी लगा लिया है। पंप के सहारे बाड़ी में लगी साग-सब्जियों में सिंचाई करता हूं, जब से उन्हें डबरी मिला है, तक से खेत में सपरिवार काम करके साग-सब्जियां उगाते आ रहे हैं। बाड़ी से उगाई गई सब्जियों को साईकिल से आस-पास के गांवों में बेचने पर 400 से 500 रूपये तक की आमदनी हो जाती है। सारा खर्च काटकर महीने भर में लगभग 8000 रूपये की बचत हो जाती है। उन्होंने आगे बताया कि सब्जियों के बेचने से होने वाली आय से वे अपने बच्चों का बेहतर परवरिश कर पा रहा हूं। बच्चों को भोजन मेें हरी-भरी सब्जियां भी खाने को मिल रही है, जिससे उन्हें सही पोषण मिल रहा है।

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