छत्तीसगढ़: पिछले सप्ताह से बंद हो चुकी परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) में कार्यरत स्थानीय ग्रामीणों ने बिलासपुर-अंबिकापुर हाईवे के साल्हि मोड़ पर धरना प्रदर्शन को आज तेज कर दिया। ग्राम परसा, साल्हि, घाटबर्रा, फत्तेपुर, इत्यादि ग्रामों के सैकड़ों ग्रामीणों ने एक जुट होकर नौकरी खोने के भय से अपनी आवाज बुलंद कर दी है। उन्होंने खदान पुनः शुरू कराने धरना प्रदर्शन और रैली निकालकर स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ जिले के विधायक और प्रदेश के मुखिया से गुहार लगायी है। और पत्र लिखकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और स्थानीय विधायक तथा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री टी एस सिंहदेव से उनकी नौकरी को बहाल करने हेतु, खदान शुरू कराने की मांग की है।
ग्राम परसा के दिनेश कुमार यादव, केते के कृष्ण कुमार, साल्हि के अमीर साय, घाटबर्रा की सिंधु यादव ,फत्तेपुर के जगपाल सिंह एवं इनके सैकड़ों साथियों ने पत्र में सामूहिक हस्ताक्षर कर लिखा है, कि सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील में स्थित राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) द्वारा पीईकेबी कोयला खदान का संचालन किया जा रहा है। जिसमें शासन द्वारा उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया है और परियोजना में उन्हें जमीन के बदले रोजगार उपलब्ध कराया गया है। जिससे वे लोग कोयला खदान में नौकरी कर अपना एवं अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है। वहीं उनका क्षेत्र सुदूर ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण कोयला खनन परियोजना में मिलने वाले रोजगार के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। साथ ही परियोजना के चलने से आस-पास के हजारों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। यही नहीं कंपनी के द्वारा यहां स्थानीयों की सुविधा के लिए स्वास्थ्य केंद्र, अंग्रेजी माध्यम का सीबीएसई स्कूल, शुद्ध पेयजल तथा एंबुलेंस की सुविधा और सौर ऊर्जा संचालित स्ट्रीट लाइट इत्यादि जैसे कई जनहित के कार्य चलाये जा रहे हैं। इसके साथ ही स्थानीय महिलाओं को स्वरोजगार भी उपलब्ध कराया गया है। कोयला खनन परियोजना के आने से यहां पर निवास कर रहे लोगों की आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में काफी सुधार हुआ है।
उन्होंने स्थानीय मीडिया को बताया कि पिछले कुछ दिनों से कोयला खदान बंद हो गया है जिससे इस खनन परियोजना में कार्यरत सभी लोगों का रोजगार खत्म हो गया है और हमें भय है कि परियोजना के बंद हो जाने से आने वाले दिनों में यहां के हजारों स्थानीय लोग फिर से बेरोजगार हो जाएंगे। जिससे कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गई सभी जनहित की सुविधाएं जैसे अस्पताल, विद्यालय, पेयजल, एंबुलेंस इत्यादि भी बंद हो जाएंगी। इसके अलावा इससे जुड़े लगभग 5000 लोगों का रोजगार समाप्त हो जाएगा तथा हजारों ऐसे लोग जो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जड़े है वे भी बेरोजगार हो जाएंगे जिससे इस क्षेत्र का विकास पूर्णतः रुक जाएगा। इन सभी कारणों का जिक्र करते हुए सभी स्थानीयों ने उनके साथ-साथ उनके परिवार बच्चे तथा वृद्धजनों का जीवन फिर से अंधकारमय हो जाने की बात कही।
पत्र और मीडिया के माध्यम से धरने में बैठे सभी ग्रामीणों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक से मार्मिक गुहार लगाई है और पीईकेबी कोयला खनन परियोजना को तत्काल चालू करने का आदेश देंनें की अपील की है। जिससे उन सभी के रोजगार का पुनः बहाली हो सके और उनके परिवार का भरण पोषण पूर्व की भांति चलता रहे।