Monday, May 20, 2024
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BCC News 24: CG BIG न्यूज़- जंग रुकेगी तो फिर यूक्रेन जाने को तैयार छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट.. जान बचाकर लौटी रायपुर की छवि बोली- करियर की मजबूरी, सरकार कहीं एडमिशन करा दे तो सोचेंगे वरना वापस जाएंगे

यूक्रेन के शहर टर्नोपिल से रायपुर लौटी छवि खंडेलवाल, एमबीबीएस की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थीं। वहां के सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं मगर जंग के हालात की वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा। वहां स्टूडेंट्स की परेशानी और वापस लौटने में होने वाली दिक्कतों की खबरों के बीच दैनिक भास्कर की टीम यह जानने पहुंची कि अब स्टूडेंट्स के करियर का आगे क्या होगा, इस पर छवि ने जो जवाब दिए वह यंगस्टर्स के बीच मौजूद करियर की मजबूरी और परेशानी को दिखाने के लिए काफी है।

परिवार ने अब राहत की सांस ली।

परिवार ने अब राहत की सांस ली।

रायपुर के गायत्री नगर की रहने वाली छवि ने बताया कि मैंने वहां अपने साथियों को ठंड और धक्का-मुक्की के बाद बेहोश होते देखा, एक गिरे हुए स्टूडेंट पर तो 100 लोगों की भीड़ चढ़ गई थी। वहां फौज स्टूडेंट्स को पीट रही थी मगर इन सब के बाद भी जब वहां सब कुछ ठीक होगा मैं यूक्रेन ही लौटूंगी। मेरी तरह कई स्टूडेंट वापस यूक्रेन लौटना चाहते हैं।

पढ़ाई तो वहीं करेंगे
छवि ने बताया कि बेहतर करियर के लिए हमें ऐसा करना होगा। यूक्रेन के सरकारी मेडिकल कॉलेज में ना सिर्फ पढ़ाई अच्छे से होती है, बल्कि एडमिशन लेने में भी आसानी होती है क्योंकि वहां ना तो कास्ट सिस्टम है और ना ही एजुकेशन के नाम पर अधिक फीस वसूली की जाती है। हमें कहा गया है कि जंग के हालात खत्म होने के बाद वहां पढ़ाई कंटीन्यू होगी, कॉलेज तो इस वक्त भी ऑनलाइन क्लाससे की तैयारी में हैं। छवि ने बताया कि अगर वहां रशिया का कब्जा भी होता है तो भी एजुकेशन सिस्टम और कॉलेजेस वही रहेंगे इसीलिए हम वापस जाने की कोशिश करेंगे। अगर भारत सरकार यहां हम स्टूडेंट को कोई दूसरा विकल्प देती है तो उसके बारे में सोचा जा सकता है। वरना हम लौटने को तैयार हैं।

हडि्डयां जमा देने वाली ठंड थी, बॉर्डर पर एक दिन तक तो कुछ नहीं खाया
छवि ने बताया कि यूक्रेन से निकलने के लिए के वक्त बॉर्डर पर -5 से 6 डिग्री के आसपास का तापमान था । उनके कुछ दोस्त इस वजह से बेहोश भी हो गए पूरे 1 दिन तक किसी स्टूडेंट ने कुछ नहीं खाया था और वह बॉर्डर के पास ही इंतजार करते रहे। वहां हरियाणा की रहने वाली छवि की एक सहेली की तबीयत बिगड़ी उसे छवि ने सीपीआर दिया और संभाला। छवि के पिता संतोष, मां रानी खंडेलवाल ने कहा कि हम भी रातभर जागते रहे, बेटी के वापस आने पर राहत मिली मगर हम चाहते हैं वहां अब भी जो बच्चे फंसे हैं उन्हें सरकार बाहर निकाले।

युक्रेन के शहर से लौटीं छवि अपने परिवार के साथ।

युक्रेन के शहर से लौटीं छवि अपने परिवार के साथ।

तो इसलिए स्टूडेंट जाते हैं यूक्रेन
छवि ने कहा कि मेडिकल इंस्टीट्यूट में एिडमिशन के लिए उन्होंने कई बार कॉन्पिटिटिव एग्जाम दिए। अच्छे मार्क्स थे मगर जनरल कास्ट होने की वजह से उनके लिए सीटें कम हैं, एडमिशन नहीं मिला। यहां प्राइवेट कॉलेज वालों ने 1 करोड़ तक फीस मांगी। कुछ रिलेटिव्स ने युक्रेन के बारे में बताया वहां 40 लाख रुपए में पढ़ाई पूरी होती है, वो भी वहां के प्रतिष्ठित सरकारी कॉलेजेस में। यही वजह है कि बड़ी तादाद में मेडिकल की पढ़ाई के लिए स्टूडेंट वहां जाते हैं। अगर इंडिया में कास्ट सिस्टम ना हो इंटेलिजेंस के बेस पर स्टूडेंट्स को मौका मिले तो ऐसे हालात नहीं बनेंगे।

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