Monday, October 6, 2025

इजराइली प्रधानमंत्री ने दोहा हमले के लिए कतर से माफी मांगी, ट्रम्प ने व्हाइट हाउस से फोन करवाया; 20 दिन पहले हमास चीफ को निशाना बनाकर हमला किया था

वॉशिंगटन डीसी: इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने दोहा हमले के लिए कतर से माफी मांगी है। उन्होंने सोमवार को कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी को फोन किया। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह दावा किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के कहने पर व्हाइट हाउस से अल-थानी को फोन किया। इजराइली पीएम आज ही ट्रम्प से मिलने अमेरिका पहुंचे हैं, यह इस साल उनकी चौथी अमेरिका यात्रा है।

इजराइली सेना ने 9 सितंबर यानी 20 दिन पहले दोहा में हमास चीफ खलील अल-हय्या को निशाना बनाकर हमला किया था। हमले में अल-हय्या बच गया था, लेकिन 6 अन्य लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें एक कतर का अधिकारी था। इसके बाद कतर इजराइल से नाराज हो गया था, ट्रम्प ने भी नाराजगी जाहिर की थी।

9 सिंतबर को इजराइल ने हमास के अधिकारियों को निशाना बनाकर दोहा में हमला किया था।

9 सिंतबर को इजराइल ने हमास के अधिकारियों को निशाना बनाकर दोहा में हमला किया था।

नेतन्याहू ने कतर की संप्रभुता के उल्लंघन पर दुख जताया

नेतन्याहू ने कतर की संप्रभुता के उल्लंघन और उसके अधिकारी की मौत पर दुख जताया। यह माफी गाजा में शांति वार्ता को फिर से शुरू करने की कोशिश का हिस्सा है, क्योंकि हमले के बाद कतर ने हमास और इजराइल के बीच मध्यस्थता रोक दी थी।

राष्ट्रपति ट्रम्प के लिए 4 वजहों से अहम है कतर…

  1. आर्थिक सौदा- ट्रम्प ने मई 2025 में दोहा विजिट के दौरान कतर से 243.5 बिलियन डॉलर (करीब 20 लाख करोड़ रुपए) की डील की है। इसके तहत कतर एयरवेज, बोइंग से 160 विमान खरीदेगा।
  2. मिलिट्री बेस- कतर में अल उदीद एयर बेस है, जो मिडिल ईस्ट में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है।
  3. शांति वार्ता में भूमिका- कतर गाजा में इजराइल और हमास के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थ है, जो ट्रम्प की शांति योजना के लिए जरूरी है।
  4. ट्रम्प को गिफ्ट- कतर ने ट्रम्प को 400 मिलियन डॉलर (लगभग 3400 करोड़ रुपए) का बोइंग 747-8 विमान गिफ्ट किया है।

गाजा जंग पर बात करने अमेरिका पहुंचे नेतन्याहू

नेतन्याहू गाजा जंग में सीजफायर पर बातचीत करने के लिए अमेरिका पहुंचे हैं। मुलाकात से पहले ट्रम्प ने पत्रकारों से कहा- मुझे बहुत भरोसा है कि गाजा में जल्द ही शांति कायम हो सकती है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि दोनों पक्ष सीजफायर प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के बहुत करीब हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, ट्रम्प ने सीजफायर के लिए एक प्लान तैयार किया, जिसमें ये पॉइंट शामिल हैं…

  • युद्ध तुरंत रुकेगा: इजराइल और हमास के बीच सहमति बनी, तो बमबारी और सैन्य कार्रवाइयां तुरंत बंद होंगी।
  • गाजा पर कब्जा नहीं: इजराइल गाजा को अपने में नहीं मिलाएगा।
  • लोगों को जबरन नहीं हटाया जाएगा: गाजा के लोग आजाद होंगे और उन्हें जबरन नहीं हटाया जाएगा।
  • पुनर्निर्माण योजना: ट्रम्प प्रशासन गाजा के लिए आर्थिक विकास योजना बनाएगा।
  • बंधकों की रिहाई: 72 घंटों में सभी बंधक (जीवित और मृत) रिहा होंगे।
  • शांति वार्ता: अमेरिका, इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच बातचीत शुरू करेगा।
  • अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की तैनाती: गाजा में शांति के लिए अस्थायी तौर पर अंतरराष्ट्रीय सैनिक तैनात होंगे।
  • हमास को माफी: हथियार छोड़ने वाले हमास के सदस्यों को माफी मिलेगी।
  • कैदी रिहाई: इजराइल उम्रकैद की सजा काट रहे 250 कैदियों और गाजा के 1700 नागरिकों को रिहा करेगा।
  • सहायता बिना रुकावट: संयुक्त राष्ट्र के जरिए गाजा में सहायता पहुंचेगी।
  • हमास का शासन नहीं: गाजा की सरकार में हमास की कोई भूमिका नहीं होगी।
ट्रम्प ने खुद व्हाइट हाउस के बाहर आकर नेतन्याहू को रिसीव किया।

ट्रम्प ने खुद व्हाइट हाउस के बाहर आकर नेतन्याहू को रिसीव किया।

दोनों नेता गाजा वॉर में सीजफायर पर बात करेंगे।

दोनों नेता गाजा वॉर में सीजफायर पर बात करेंगे।

इजराइल को कई देशों का विरोध झेलना पड़ रहा है

यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब इजराइल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गाजा युद्ध की वजह से लगातार आलोचना का सामना कर रहा है। हाल ही में UN महासभा में नेतन्याहू के भाषण के दौरान कई देशों के डिप्लोमैट्स ने वॉकआउट कर दिया था।

हालांकि दूसरे देशों के उलट अमेरिका मजबूती से नेतन्याहू के साथ खड़ा है। ट्रम्प साफ कह चुके हैं कि वो फिलिस्तीन को देश की मान्यता नहीं देंगे।

पिछले हफ्ते जब नेतन्याहू UNGA में भाषण दे रहे थे, तो कई देश सदन से वॉकआउट कर गए थे।

पिछले हफ्ते जब नेतन्याहू UNGA में भाषण दे रहे थे, तो कई देश सदन से वॉकआउट कर गए थे।

इजराइल के कई सहयोगियों ने फिलिस्तीन को देश की मान्यता दी

गाजा जंग में अब तक 66,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। इस वजह से ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे इजराइल के पुराने सहयोगियों ने फिलिस्तीन को देश की मान्यता दे दी है। ये सभी देश इजराइल पर भी सीजफायर के लिए दबाव बना रहे हैं।

दूसरी तरफ इजराइल के कई राजनीतिक दलों का कहना है कि जब तक हमास का पूरी तरह खात्मा नहीं हो जाता है, वे सीजफायर का समर्थन नहीं करेंगे। इन्होंने चेतावनी दी है कि अगर नेतन्याहू सीजफायर के लिए राजी होते हैं, तो वे सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे।



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