- उपार्जन केंद्रो में कुर्सी, छांव,शौचालय सहित उपलब्ध है पानी
- पारदर्शी व्यवस्था से किसानों को मिल रही बिचौलियों से मुक्ति
- मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल से किसानों को मिल रही कई सुविधाएं
कोरबा/रायपुर/कमलज्योति-सहायक संचालक (BCC NEWS 24): किसान फूलसिंह, गोटीलाल, शिवनाथ सिंह जैसे अनेक किसानों को वह दिन आज भी याद है, जब धान बेचना होता था तब उपार्जन केंद्र तक धान को लाने और उसे तौल कराने किस तरह सुबह से शाम तक का समय वहीं के वहीं काटना पड़ता था। इस दौरान घंटो तक इंतजार करते-करते शाम से रात हो जाती थी। उपार्जन केंद्र में उन्हें पानी पीने के लिए मशक्कत तो करना ही पड़ता था। धूप में पसीने तक बहाने पड़ते थे। बैठने के लिए कोई जगह तो दूर की बात, कोई छांव तक की व्यवस्था नहीं रहती थीं। न ही शौचालय की व्यवस्था थी। धान को समय पर आसान तरीके से बेच पाना भी आसान नहीं था। बीते समय की अपेक्षा किसानों के हित में लिये गये फैसले ने धान बेचने की प्रक्रिया को सरल तो बनाया ही, किसानों को राहत पहुंचाने की दिशा में भी मददगार बना। इसी का परिणाम है कि धान उपार्जन केंद्र में किसान सिर्फ अपनी मेहनत की फसल बेचकर राहत महसूस नहीं कर रहे हैं, वे यहां आकर शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा की गई सुविधाओं का लाभ भी ले पा रहे हैं। अपने घरों से धान उपार्जन केंद्र तक धान लेकर आने वाले किसानों को खरीदी केंद्र में किसी प्रकार की समस्या न हो इसके लिए यहां विशेष व्यवस्था की गई है। किसानों के पीने के लिए पानी, बैठने के लिए कुर्सियों का इंतजाम, छायादार शेड और शौचालय तक की व्यवस्था की गई है। ऑनलाइन टोकन कटाकर किसान अपनी सहूलियत अनुसार उपार्जन केंद्र पहुंच रहे हैं। माइक्रो एटीएम से पैसे आहरण की सुविधा ने किसानों को जरूरी कार्य के समय तत्काल पैसों के लिए बैंको के चक्कर काटने से भी मुक्ति दिला दी है।
राज्य सरकार इस वर्ष 2739 उपार्जन केन्द्रों के माध्यम से 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी अनुमानित है। इस खरीफ वर्ष के लिए 27.68 लाख किसानों द्वारा पंजीयन कराया गया है। इसमें 1.42 लाख नए किसान शामिल है। राज्य में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 14 नवंबर से प्रारंभ है। प्रदेश के किसानों से धान खरीदी की योजना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के दिशा-निर्देशन में प्रदेश के सभी 2739 उपार्जन केन्द्रों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार की पारदर्शी धान खरीदी प्रक्रिया ने किसानों के जीवन में नई उम्मीद जगाई है। राज्य सरकार ने बारदाने, छाया, पेयजल, मेडिकल किट जैसी सभी आवश्यक सुविधाओं को धान खरीदी केंद्रों पर सुनिश्चित किया है। खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए ऑनलाइन टोकन प्रणाली लागू की गई है, जिससे किसानों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ रहा। इसके साथ ही, नोडल अधिकारियों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण के कारण अब तक किसानों को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है। धान बेचने के बाद किसानों को भुगतान में भी तेजी लाई गई है। दो दिनों के भीतर राशि उनके खातों में अंतरित हो रही है। इस पहल ने किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाई है और समय पर उनकी मेहनत का सही दाम सुनिश्चित किया है। कोरबा जिले में 65 धान उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं।
इन केंद्रो में किसानों के लिए आवश्यक व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश के सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि किसानों को धान खरीदी केंद्र में धान बेचने के दौरान किसी प्रकार की कोई समस्या न हो, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए। उनके निर्देशों के परिपालन में जिले के सभी धान खरीदी केंद्रों में समिति द्वारा किसानों के बैठने, पेयजल और शौचालय आदि की व्यवस्था की गई है। पाली ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम निरधि के धान उपार्जन केंद्र में धान बेचने आए किसान फूल सिंह, रामायण सिंह ने बताया कि हम किसानों को किसी प्रकार की कोई समस्या तो नहीं आई। यहां बैठने के लिए कुर्सी है। पीने के लिए पानी की भी व्यवस्था है। बतरा के किसान गोटीलाल ने बताया कि उन्हें धान खरीदी केंद्र में किसी प्रकार की समस्या नहीं आई। खरीदी केंद्र में किसानों के लिए पानी, शौचालय और बैठने की व्यवस्था की गई है। ग्राम डोड़की के किसान चरणसिंह ने बताया कि धान बेचने के लिए वह चैतमा के उपार्जन केंद्र में आया था, यहां किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। टोकन कटाने पहुंचे किसान शिवनाथ सिंह ने बताया कि किसानों के लिए धान खरीद केंद्र में पर्याप्त सुविधा दी गई है। किसानों का कहना है कि धान का सर्वाधिक मूल्य 31 सौ रूपये प्रति क्विंटल मिलने के साथ ही किसानों को उपार्जन केंद्र में सुविधा देना यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय किसानों के लिए कितना संवेदनशील है। कोरिया जिले के ग्राम जमड़ी के किसान श्री सुरेश साहू और उनकी पत्नी ने कहा कि खरीदी केद्रों में पहले से कुछ ज्यादा ही व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है। इससे किसानों को राहत मिली है।
नारायणपुर जिले के माहका धान खरीदी केंद्र पर धान बेचने आए किसान नंद कुमार शर्मा ने अपने अनुभव साझा करते हुए विष्णु सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि उनके पास 2 एकड़ खेत है, जिसमें उन्होंने इस साल 44 क्विंटल धान का उत्पादन किया। श्री शर्मा ने कहा कि इस बार समर्थन मूल्य पर धान बेचने की प्रक्रिया पहले से अधिक सरल और पारदर्शी है। ऑनलाइन टोकन प्रणाली से अब लंबी कतारों से बचाव हो रहा है। केंद्र पर व्यवस्थाओं और अधिकारियों के सहयोग से वे बेहद संतुष्ट हैं।
जशपुर जिले के फरसाबहार विकासखंड के कोकियाखार की किसान धर्मश्वरी सरजाल ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने हम सभी किसानों के लिए धान खरीदी केन्द्रों में बहुत बढ़िया सुविधा उपलब्ध कराई है। केन्द्र से उन्हें समय पर टोकन और बारदाना मिल गया था। धमतरी जिले के धान उपार्जन केन्द्र अछोटा में पहुंचे ग्राम जंवरगांव के किसान भीखूराम निषाद ने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन टोकन कटाया था। अपने उपज का 58 क्विंटल 80 किलोग्राम धान बेचने के लिए खरीदी केन्द्र पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के हित में प्रदाय की गई सुविधा के लिए प्रदेश के मुखिया श्री विष्णुदेव साय का धन्यवाद कर रहे हैं। जगदलपुर जिले के गरावंड खुर्द निवासी किसान महादेव बघेल और तुरेनार निवासी कृषक मनदेव अपनी खरीफ धान को बेचकर जहां खरीफ फसल ऋण को अदा करेंगे। वहीं घर की जरूरी कार्यों के लिए उपयोग करने की बात कही। उक्त दोनों कृषकों ने रबी फसल सीजन में मक्का और साग-सब्जी की खेती कर आय संवृद्धि करने का संकल्प दुहराया। इन दोनों किसानों ने सरकार की धान खरीदी व्यवस्था की सराहना करते हुए शीघ्र भुगतान के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद दिया।
टोकन की है व्यवस्था
सभी उपार्जन केन्द्रों में बायोमैट्रिक डिवाइस के माध्यम से उपार्जन की व्यवस्था की गई है। छोटे, सीमांत और बडे़ कृषकों के द्वारा उपजाये गए धान को निर्धारित समर्थन मूल्य में खरीदा जा रहा है। इसके लिए 7 नवंबर से ही टोकन आवेदन की व्यवस्था आरंभ कर दी गई है। खरीदी सीजन में लघु एवं सीमांत कृषकों को अधिकतम 2 टोकन एवं बडे़ कृषकों को 3 टोकन की पात्रता है। किसान 31 जनवरी 2025 तक अपना धान खरीदी केन्द्रों में लाकर समर्थन मूल्य पर विक्रय कर सकते हैं। खरीदी केंद्रों में तौल हेतु इलेक्ट्रानिक कांटा-बांट की व्यवस्था की गई है। सभी खरीदी केन्द्रों में पर्याप्त बारदाने की व्यवस्था से लेकर छांव, पानी आदि की व्यवस्था की गई है।
शिकायत निवारण हेतु कंट्रोल रूम की हुई है स्थापना
धान उपार्जन केन्द्रों में शिकायत एवं निवारण के लिये हेल्प लाइन नंबर भी चस्पा कर दिये गये हैं। विपणन संघ मुख्यालय स्तर पर शिकायत निवारण हेतु कंट्रोल रूम की स्थापना भी की गई है जिसका नं. 0771-2425463 है। धान बेचने वाले किसानों को समय पर भुगतान हेतु मार्कफेड द्वारा राशि की व्यवस्था कर ली गई है। समितियों में राशि आहरण हेतु ‘‘माइक्रो एटीएम’’ की व्यवस्था भी दी जा रही है, जिससे कि किसानों को सुविधा हो। किसानों द्वारा समिति में धान विक्रय के 72 घंटे के भीतर राशि किसानों के बैंक खाते में अंतरित कर दी जायेगी।
अवैध धान पर की जा रही कार्यवाही
राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र में विशेष निगरानी की व्यवस्था की गई है एवं चेक पोस्ट की स्थापना की गई है। मंडी विभाग द्वारा मंडी अधिनियम के तहत जिलों में अधिकृत व्यापारियों की सूची जिला प्रशासन के साथ साझा किया गया है। एनआईसी द्वारा तैयार मोबाइल एप्प के माध्यम से गिरदावरी के खसरों का पुनः सत्यापन लगातार जारी है। मार्कफेड द्वारा राज्य स्तर पर एकीकृत कंट्रोल कमांड सेंटर स्थापित कर राईस मिल एवं उपार्जन केन्द्रों पर रियल टाइम निगरानी रखी जाएगी। राज्य स्तर पर अलग-अलग जिलों के लिए राज्य स्तरीय वरिष्ठ अधिकारियों की जांच टीम बनाई गई है, जो लगातार जिले में हो रही धान खरीदी की मानिटरिंग कर रहे हैं। अवैध धान को जब्ती की कार्यवाही भी जा रही है।
(Bureau Chief, Korba)