
- पीएम आवास योजना ने कई मुसीबतों से दिया छुटकारा
कोरबा (BCC NEWS 24): गांव में सब्जी बेचकर किसी तरह जीवन यापन करने वाले परसराम पटेल की जिंदगी बहुत मुसीबत से घिरी हुई थी। 75 साल के परसराम पटेल ने कई बार सोचा कि वह कच्चे मकान को तोड़कर पक्का मकान बनवा ले लेकिन गरीबी की वजह से वह पक्का मकान तो दूर की बात अपने कच्चे मकान को भी ठीक से मरम्मत नहीं कर पाता था। कच्चे मकान में जिंदगी की लंबी उम्र गुजार चुके परसराम सहित उनके घर वाले बारिश के दिनों में अक्सर परेशान रहते थे क्योंकि बारिश होते ही खपरैल वाले छत से पानी की बूंदे इतनी ज्यादा गिरती थी कि घर का जरूरी सामान बारिश में भीग जाता था और बहुत से सामान खराब हो जाते थे। यह एक मात्र समस्या नहीं थी, घर की दीवारें भी बारिश के पानी से उखड़ जाती थी। उन्हें अपना जरूरी काम छोड़कर उखड़ी हुई दीवारों को मरम्मत करना पड़ता था और घर के खपरैल को ठीक करना पड़ता था। परसराम को जब मालूम हुआ कि प्रधानमंत्री आवास योजना से गरीबों का पक्का मकान बन रहा है तो उन्होंने भी संपर्क साधा। पीएम आवास योजना में अपना नाम चयन हो जाने की खबर पाकर परसराम पटेल खुश तो था लेकिन जब तक उनके खाते में राशि नहीं आई थी तब तक बैचेन भी था और सोचता था, पता नहीं राशि देंगे भी की नहीं।
उन्हें जब पीएम आवास योजना के लिए राशि मिली तो उनके खुशियों का ठिकाना न रहा। पहली किश्त आते ही उनका भरोसा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय पर बढ़ गया। उन्होंने सरकार पर अपना विश्वास बढ़ाते हुए कुछ और पैसे लगाकर पीएम आवास को बड़ा बनाने की ठानी। आखिरकार समय के साथ उन्हें पूरी किश्त मिली और पक्का मकान बनकर तैयार हो गया है। अब इन पक्के और मजबूत मकानों में वह सुकून से अपनी पत्नी इतवारा बाई और अपने बच्चे नाती-पोती के साथ रह रहे हैं। उधर पीएम आवास योजना से पक्का मकान पाकर बहुत खुश परसराम और उनकी पत्नी श्रीमती इतवारा बाई शासन प्रशासन को धन्यवाद देते नहीं थकती। करतला विकासखंड के अंतर्गत दूरस्थ ग्राम जामपानी में निवास करने वाले परसराम पटेल ने बताया कि पीएम आवास योजना से उन्होंने गांव में पक्का मकान बनवाया है। उन्होंने बताया कि वह बहुत गरीब है और आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वह अपना खुद का पक्का मकान बनवा सके। उन्होंने बताया कि पीएम आवास योजना में नाम आने के बाद पहली किस्त मिली तो उन्होंने घर बनाने का काम शुरू किया। हितग्राही ने बताया कि वह जिस कच्चे मकान में रहता था वह बहुत ही जर्जर था।
बारिश के आने से पहले वह हर साल इसकी मरम्मत कराता था। मरम्मत की वजह से उन्हें अपने अन्य जरूरी काम छोड़कर इसमें समय देना पड़ता था। कई दशक बीत जाने के बाद भी उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं हुई कि वह कच्चा मकान को पक्का मकान में तब्दील कर सके। उन्होंने बताया कि बारिश के दिनों में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। बारिश की वजह से खपरैल से पानी टपकता था। पानी की वजह से अक्सर उनके घर के जरूरी सामान खराब हो जाते थे। परसराम ने बताया कि पक्का मकान बन जाने के बाद उनकी बड़ी समस्या दूर हो गई है। पक्के मकान में उनके साथ उनकी पत्नी और बच्चे और पोते-पोती निवास करते हैं। परसराम पटेल की पत्नी श्रीमती इतवारा बाई बताती है कि बारिश के दिनों में कच्चे मकान से बहुत मुसीबत का सामना करना पड़ता था। दीवारें उखड़ जाने की वजह से उन्हें मिट्टी लाकर छबाई करनी पड़ती थी। अब पक्के मकान की वजह से बारिश के दिनों में भी चैन से रह पा रहे हैं।

(Bureau Chief, Korba)