Wednesday, November 27, 2024
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कोरबा: मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने मास्टर ट्रेनर्स को दिया गया प्रशिक्षण…

कोरबा (BCC NEWS 24): मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.एन. केशरी के मार्गदशर्न में सेंटर फार कैटेलाइजिंग चेंज (सी-3) के द्वारा विगत 12 एवं 13 दिसंबर 2023 को सुमन (सुरक्षित मातृत्व आश्वासन) कार्यक्रम के मास्टर ट्रेनर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन ब्लू डायमंड होटल कोरबा में किया गया। इस अवसर पर डीएचओ डॉ.सी.के सिंह, स्टेट हेड सी-3 इंडिया श्री दिलीप सरवटे, डॉ. नोमिता चॉन्डियोक, डॉ. रश्मि आसिफ, ट्रेनर तथा सी इंडिया के जिला व ब्लाक को-ऑर्डिनेटर, प्रशिक्षार्थी उपस्थित थे।

सुमन (सुरक्षित मातृत्व आश्वासन) कार्यक्रम का उद्देश्य रोकी जा सकने वाली सभी मातृ एवं शिशु मृत्यु की घटनाओं और बीमारी को समाप्त करते हुए सकारात्मक प्रसव अनुभव प्रदान करने के लिए शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र में आने वाले प्रत्येक महिला और शिशु के लिए आश्वस्त सेवाएं, इनकार के लिए शून्य, सहनशीलता और गरिमामय, सम्मानपूर्ण व निःशुल्क उच्च स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराना है। सुमन कार्यक्रम के मास्टर ट्रेनर्स को इस कार्यक्रम के उद्देश्य स्तंभ, सुमन स्वास्थ्य केन्द्र के तत्व, सुमन सेवा की गारंटी, अपमान और दुर्व्यवहार की श्रेणी, महिला और नवजात के 12 विश्व व्यापी अधिकार, जेंडर को समझना तथा समानता का वातावरण बनाना इत्यादि से संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केसरी ने बताया कि कोरबा जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सी-3 इंडिया के सहयोग से सुमन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसमें मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने तथा मातृत्व सेवाओं को मजबूत और गुणवत्ता पूर्ण बनाने तथा इस संबंध में लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस हेतु कार्यक्रम के संबंध में निचले स्तर पर प्रशिक्षण देने हेतु मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। ये मास्टर ट्रेनर्स अपने विकासखण्ड में जाकर आर.एच.ओ, मितानिन, आँगनबाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत के सदस्य तथा समुदाय के लोगों को सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम के संबंध में प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य विभाग की निःशुल्क मातृ एवं स्वास्थ्य सेवाओं के संबध में जागरूक करेंगे। जिससे शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों में गरिमापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त किया जा सके तथा  मातृ-शिशु मृत्यु दर कम किया जा सके।




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