बेमेतरा: बच्चे हमारे देश का भविष्य होते हैं। इसलिए सरकार बच्चों के परवरिश और भविष्य को लेकर कई तरह की योजनाएं संचालित करती रहती है। इसी क्रम में बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य, बच्चों को कुपोषण से बचाने और अनेक प्रकार की सुविधाए प्रदान करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सुपोषण योजना की शुरुआत की है। इस योजना के अंतर्गत राज्य के 6 साल की आयु वाले बच्चों को कुपोषण एवं एनीमिया से और 15 साल से लेकर 49 वर्ष की आयु की महिलाओं को एनीमिया से मुक्त कराया जाएगा।
बेमेतरा जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण योजना का प्रारंभ 2 अक्टूबर 2019 को किया गया। प्रारंभ में 2683 कुपोषित बच्चों को लक्षित किया गया था। बेमेतरा जिले में अक्टूबर 2021 से गंभीर कुपोषित बच्चों को गर्म खिचड़ी एवं सप्ताह में तीन दिवस अण्डा/केला एवं सप्ताह में तीन दिवस चना व गुड़ दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना अंतर्गत बेमेतरा जिले में गर्म खिचड़ी एवं अण्डा/केला का भुगतान विभागीय मद से एवं गुड़ चना का भुगतान डी.एम.एफ. मद से किया जा रहा है।
बेमेतरा अनुविभाग के बेमेतरा एवं खण्डसरा परियोजना में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 39 गांवों में “पोट्ठ लईका अभियान की शुरुआत नवंबर 2022 से की गई है। इसके अन्तर्गत 183 गंभीर कुपोषित बच्चों तथा 924 मध्यम कुपोषित बच्चों सहित कुल 1107 बच्चों को लक्षित किया जाकर इसे मिशन मोड में संचालित किया जा रहा है। इसमें प्रत्येक शुक्रवार को चिन्हांकित केन्द्रों में पर्यवेक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, सक्रिय महिला सदस्य, मितानिनों, पंच, सरपंच आदि की सहभागिता से बच्चों (06 माह से 59 माह आयु) गर्भवती/शिशुवती माताओं एवं सभी बच्चों के पालकों को पोषण एवं स्वच्छता संबंधी परामर्श दिया जाता है। अभियान के दौरान पृथक से अन्य खाद्य सामग्री न देकर आंगनबाड़ी केन्द्रों में दी जाने वाली रेडी टू ईट, सुपोषण अभियान अन्तर्गत प्राप्त पोषण आहार के उपयोग को सही तरीके से लाभार्थी तक पहुंचाते हुए तिरंगा भोजन के महत्व को बताया जाता है।
वर्तमान में एस.डी.एम. बेमेतरा सुश्री सुरुचि सिंह के नेतृत्व में यूनिसेफ की सहयोग से पोट्ठ लइका अभियान चलाया जा रहा है। प्रारंभ से इस अभियान के परिणाम भी स्पष्ट दिखाई दे रहे है। जनवरी से सघन रूप से प्रारंभ “पोट्ठ लईका अभियान“ में आं.बा. कार्यकताओं, सहायिकाओं के लगभग डेढ़ माह के हड़ताल के बाद भी निरंतरता बनी रही। वर्तमान में 346 बच्चे सामान्य वर्ग में आ चुके है, इस तरह 31.2 प्रतिशत बच्चे सामान्य हो चुके हैं तथा 183 गंभीर कुपोषित बच्चों में से 95 बच्चों का ग्रेड परिवर्तन हो चुका है, इस तरह इसमें लगभग 52 प्रतिशत की कमी आयी है, जो इस अभियान की सफलता को दर्शाता है। जिले में 2019-20 में 2683 लक्षित बच्चे थे जिसमें से 1800 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है। 2020-21 में 1263 लक्षित बच्चे थे जिसमें से 648 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है। 2021-22 में 12325 लक्षित बच्चे थे जिसमें से 4911 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है। इसी तरह 2022-23 में 16201 लक्षित बच्चे है जिसमें से 4303 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है।