कवर्धा// कवर्धा जिले में नवरात्र की अष्टमी पर खप्पर निकालने की 100 वर्षों से अधिक पुरानी परंपरा आज भी जीवित है। नगर के दो सिद्धपीठ चंडी देवी मंदिर और परमेश्वरी मंदिर से बुधवार मध्य रात्रि को सुरक्षा के चाक-चौबंद घेरे के बीच खप्पर निकाला गया।
खप्पर निकालने के मौके पर शहर के प्रमुख 18 मंदिरों के देवी-देवताओं का विधिवत आह्वान किया गया। इस दौरान हाथों में धधकती आग और चमचमाती तलवार लेकर निकले माता के खप्पर दर्शन के लिए 30 से 40 हजार लोगों की भीड़ उमड़ी। इसमें अन्य जिले के लोग भी शामिल रहे। मंदिर समितियों के अलावा सुरक्षाकर्मियों का बल भी मौके पर मौजूद रहा। ऐसी मान्यता है कि माता का खप्पर निकालने से शहर में किसी प्रकार की आपदा या बीमारी नहीं आती।
100 साल से अधिक पुरानी खप्पर निकालने की परंपरा।
ऐसे निकाला जाता है माता का खप्पर
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी के दिन रात के 12 बजे एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में जलती हुई आग का खप्पर लेकर देवी स्वरूप शहर में भ्रमण करती हैं। भ्रमण के बाद अपने मंदिर में जाकर देवी मां शांत हो जाती हैं। इनके दर्शनों के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जिस वक्त खप्पर निकलता है, उस दौरान रास्ते में कोई नहीं होता। कहा जाता है कि खप्पर के सामने अगर कोई आ जाए, तो मां उसे तलवार से काट डालती हैं।
खप्पर के निकलने वाले रास्ते में अंधेरे में खड़े होकर लोग देवी का दर्शन करते हैं।
खप्पर के निकलने वाले रास्ते में अंधेरे में खड़े होकर लोग देवी का दर्शन करते हैं। खप्पर के नगर भ्रमण के दौरान पुजारी पीछे-पीछे चलते हैं, ताकि कोई गलती होने पर धूप, दीप, नारियल और पूजा-पाठ के द्वारा माता को मनाया जा सके। वहीं लोगों को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस जवान भी साथ होते हैं। बुधवार रात भी भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। वहीं रात साढ़े 11 बजे से 2-3 घंटों के लिए यातायात भी प्रतिबंधित रहा।