छत्तीसगढ़: दुर्ग जिले में PWD के रेस्ट हाउस में कई सालों से अधिकारी और कर्मचारियों ने कब्जा कर रखा है। तीन साल पहले लगभग पौने दो करोड़ रुपए की लागत से बने इस सरकारी रेस्ट हाउस को पीडब्ल्यूडी ने जिला प्रशासन को हैंडओवर ही नहीं किया है। यहां के 7 लग्जरी कमरों में से 5 कमरे PWD मंत्री ताम्रध्वज साहू के पास हैं। दो कमरों में पीडब्ल्यूडी के ईई अशोक श्रीवास ने कब्जा कर रखा है।
दुर्ग जिला VVIP जिला घोषित है। यहां आए दिन मंत्री, विधायक और बड़े अधिकारियों का दौरा रहता है। सर्किट हाउस पुराना होने और वहां कमरे कम पड़ जाने के चलते कांग्रेस शासन में पीडब्ल्यूडी कार्यपालन अभियंता कार्यालय के ठीक बगल से 7 कमरों का रेस्ट हाउस बनाया गया। इसे वीवीआईपी तरीके से बनाया गया, जिससे इसकी लागत में लगभग पौने दो करोड़ रुपए खर्च हुए।
रेस्ट हाउस बन जाने के बाद पीडब्ल्यूडी ने ठेकेदार से बिल्डिंग को हैंडओवर तो ले लिया, लेकिन उसे जिला प्रशासन को हैंडओवर नहीं किया गया। इसके चलते यहां की बुकिंग प्रोटोकाल अधिकारी नहीं देखते। या फिर ये कहें कि तीन सालों से यहां एक भी बुकिंग अधिकृत तौर पर नहीं हुई। भवन बनते ही यहां के दो कमरे पीडब्ल्यूडी के ईई ने अपने पास रख लिए। इन कमरों में पीडब्ल्यूडी के सुप्रिटेंडेंट दिवाकर शर्मा और एक में उनके ड्राइवर ने ताला जड़ा हुआ है। 5 कमरे दुर्ग ग्रामीण विधायक और पीडब्ल्यूडी मंत्री ताम्रध्वज साहू के पास है। इस बारे में जानकारी लेने के लिए जब पीडब्ल्यूडी मंत्री को फोन लगाया गया तो उनका फोन नहीं लगा।
रेस्ट हाउस के कमरे में बना पीडब्ल्यूडी मंत्री का कार्यालय
पीडब्ल्यूडी मंत्री ने बनाया अपना कार्यालय
रेस्ट हाउस के एक कमरे में तो पिछले तीन सालों से ताला ही लगा है। उस कमरे में पीडब्ल्यूडी मंत्री का कार्यालय है। इसके साथ ही बाकी 4 कमरों में मंत्री के सुरक्षाकर्मी और ड्राइवर रहते हैं।
पीडब्ल्यूडी उठा रहा सारा खर्च
रेस्ट हाउस के रख-रखाव और खाने पीने में लगभग हर महीने 2-3 लाख रुपए का खर्च होता है। यह सारा खर्च पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी वहन करते हैं। यह पैसा कहां से आता है इसके बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं। रेस्ट हाउस के इंचार्ज सब इंजीनयर गगन जैन ने कहा कि इस सब की जानकारी ईई अशोक श्रीवास देंगे। लेकिन कार्यपालन अभियंता अशोक श्रीवास की माने तो रेस्ट हाउस की जिम्मेदारी प्रोटोकाल अधिकारी यानि एसडीएम संभालते हैं। जबकि उन्हीं का इंजीनियर यह कह रहा है कि रेस्ट हाउस को पीडब्ल्यूडी ने प्रोटोकाल के तहत हैंडओवर नहीं किया है।