वॉशिंगटन डीसी: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन में दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हमारी इकोनॉमी लगातार घाटे में जा रही है। इस नुकसान से बचने के लिए हम उन सभी देशों पर टैरिफ लगाएंगे, जो हमारे सामानों पर टैरिफ लगाते हैं।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने करीब एक महीने बाद 2 अप्रैल को भारत समेत 69 देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की। यह 9 अप्रैल से लागू होने वाला था, लेकिन ट्रम्प ने तब इसे टाल दिया। अमेरिकी प्रेसिडेंट ने कहा कि वे दुनियाभर के देशों को अमेरिका के साथ समझौता करने के लिए 90 दिनों का वक्त दे रहे हैं।
31 जुलाई को समझौते की तारीख खत्म हो गई। इस दिन ट्रम्प ने 100 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगाया। जिन देशों ने अमेरिका के साथ समझौता किया, उन पर 10 से 20% टैरिफ लगा और जिन देशों ने ऐसा नहीं किया, उन पर 25 से 50% का टैरिफ लगा। भारत पर 25% का टैरिफ लगा, क्योंकि उसने ट्रम्प की शर्तें नहीं मानीं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प 2 अप्रैल 2025 को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में 69 देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान करते हुए।
स्टोरी में ट्रम्प की धमकियों के आगे झुकने वाले देशों के बारे में जानिए, उनके बारे में भी जानेंगे जिन्होंने अमेरिका के आगे सरेंडर नहीं किया, जानेंगे कि अब उनके पास विकल्प क्या हैं…
5 देश जो अमेरिकी दबाव के आगे झुके
1. ब्रिटेन: बीफ को टैक्स फ्री किया
अमेरिका ने ब्रिटेन पर 2 अप्रैल को 41% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। अब इसे घटाकर 10% कर दिया है। इसके अलावा ब्रिटेन के स्टील और एल्यूमीनियम के सामानों पर 25% का टैरिफ लगाया गया है। पहले अमेरिका ने इन दोनों पर 50% टैरिफ लगा रखा था।
टैरिफ कम होने की वजह: रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन ने अमेरिका से आने वाले सामान जैसे बीफ और एथेनॉल को टैक्स फ्री कर दिया। इसके अलावा जैतून के तेल, शराब और खेल से जुड़े सामानों पर टैरिफ कम करने का वादा किया।
2. जापान: 100 बोइंग प्लेन खरीदने को तैयार
ट्रम्प ने जापान के सामानों पर 15% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इससे पहले जापान पर 25% टैरिफ लगाया गया था।
टैरिफ कम होने की वजह: रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जापान ने अमेरिका में 550 बिलियन डॉलर (लगभग 45 लाख करोड़) का निवेश करने का वादा किया है। इसके तहत जापान, अमेरिका से 100 बोइंग विमान खरीदेगा और अमेरिकी कम्पनियों के साथ रक्षा खर्च को 14 अरब डॉलर से बढ़ाकर 17 अरब डॉलर सालाना करेगा।
3. यूरोपीय यूनियन (EU): ₹51 लाख करोड़ का निवेश करेगा
अमेरिका ने यूरोपीय यूनियन पर 15% टैरिफ लगाया है। ट्रम्प ने EU पर 30% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। हालांकि, स्टील, कॉपर और एल्यूमीनियम के सामानों पर रियायत नहीं मिलेगी और इन पर टैरिफ की दर 50% ही रहेगी।
टैरिफ कम होने की वजह: EU अगले 3 साल में अमेरिका से 750 बिलियन डॉलर, यानी करीब 64 लाख करोड़ रुपए की एनर्जी खरीदेगा। इसके साथ ही EU अमेरिका में 600 बिलियन डॉलर यानी 51 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगा। ये निवेश अमेरिका के फार्मा, ऑटो और डिफेंस सेक्टर में होगा।
4. साउथ कोरिया- बीफ मार्केट ओपन नहीं, फिर भी टैरिफ घटा
अमेरिका ने साउथ कोरियाई सामानों पर 15% टैरिफ लगाया है। इससे पहले साउथ कोरिया पर 25% टैरिफ लगा था।
टैरिफ कम होने की वजह: साउथ कोरिया अमेरिका से 100 अरब डॉलर की एनर्जी खरीदेगा और 350 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इसके साथ ही अमेरिकी सामानों की साउथ कोरिया के मार्केट में टैक्स फ्री एंट्री होगी। हालांकि, साउथ कोरिया ने अपने किसानों के हित में चावल और बीफ मार्केट को ओपन नहीं किया है।
5. इंडोनेशिया- 50 बोइंग प्लेन खरीदने का वादा किया
अमेरिका ने इंडोनेशिया पर 19% टैरिफ लगाया है। ट्रम्प ने पहले इंडोनेशिया पर 32% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी।
टैरिफ कम होने की वजह: इंडोनेशिया के बाजार में 99% से अधिक अमेरिकी सामानों को टैक्स फ्री एंट्री मिली है। इंडोनेशिया ने 50 बोइंग प्लेन खरीदने का वादा किया है।
5 देश जो अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुके
1. भारत: मांसाहारी गाय का दूध लेने को तैयार नहीं
ट्रम्प ने भारत पर पहले 26% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। 4 महीने बाद इसमें सिर्फ 1% का अंतर आया। अब भारत पर 25% टैरिफ लागू है।
भारत और अमेरिका के अधिकारियों के बीच कई स्तर की बातचीत हुई, लेकिन 31 जुलाई तक कोई समझौता नहीं हो पाया। अमेरिका और भारत के बीच डील न होने पर ट्रम्प ने नाराजगी जताई और कहा कि वे रूस से हथियार और तेल खरीदने की वजह से भारत पर पेनल्टी भी लगाएंगे।
वजह: अमेरिका भारत के एग्री और डेयरी सेक्टर में एंट्री चाहता है और मांसाहारी गाय का दूध बेचना चाहता है, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है।
इसके पीछे किसानों के हित के अलावा धार्मिक वजहें भी हैं। साथ ही भारत अपने छोटे और मंझोले उद्योगों (MSME) को लेकर ज्यादा सावधानी बरत रहा है।
2. चीन: सरकारी कंपनियों पर सब्सिडी खत्म नहीं करेगा
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर सबसे ज्यादा घमासान मचा। मई में अमेरिका ने चीन पर 145% तक टैरिफ लगाया। इसके बाद चीन ने अमेरिका पर 125% जवाबी टैरिफ लगाया। बाद में इसमें कमी आई। अभी अमेरिका ने चीन पर 30% वहीं, चीन ने अमेरिका पर 10% टैरिफ लगा रखा है।
वजह: अमेरिका, चीन से सिर्फ व्यापार संतुलन नहीं चाहता था। वह चाहता था कि चीन अपनी सरकारी कंपनियों को कम मदद दे। अमेरिका का मानना है कि चीन अपनी सरकारी कंपनियों को बहुत ज्यादा सब्सिडी देता है, जिससे दूसरे देशों की कंपनियां उनका मुकाबला नहीं कर पातीं।
अमेरिका की यह भी मांग है कि चीन टेक्नोलॉजी में विदेशी कंपनियों को ज्यादा मौका दे और और बौद्धिक संपत्ति के कानून (जैसे पेटेंट आदि) में बदलाव करे। चीन इसके लिए तैयार नहीं हुआ।
3. ब्राजील: सबसे ज्यादा 50% टैरिफ लगा
ट्रम्प ने ब्राजील पर 50% टैरिफ लगा रखा है। हालांकि, कुछ जरूरी चीजों को इस टैरिफ से बाहर रखा गया है। जैसे कि विमान और उनके पार्ट्स, एल्यूमीनियम, उर्वरक, लकड़ी, ऊर्जा उत्पाद और संतरे का जूस। इन पर सिर्फ 10% का पहले से तय टैरिफ ही लागू रहेगा।
वजह: ट्रम्प सबसे ज्यादा नाराज इस बात से हैं कि ब्राजील में पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के खिलाफ सरकार ज्यादती कर रही है। इसके अलावा अमेरिका के साथ ब्राजील का व्यापार घाटा भी बहुत ज्यादा है।
4. कनाडा: फिलिस्तीन का समर्थन करना महंगा पड़ा
कनाडा पर अमेरिका ने 35% टैरिफ लगा रखा है। पहले यह टैरिफ 25% था। ट्रम्प ने कनाडा पर 10% टैरिफ इसलिए बढ़ा दिया क्योंकि PM मार्क कार्नी ने फिलिस्तीन को अलग देश बनाने का ऐलान किया है।
वजह: ट्रम्प ने कनाडा पर टैरिफ लगाने की दो बड़ी वजहें बताई थीं।
पहला: कनाडा फिलिस्तीन को अलग देश के रूप में समर्थन देता है, जबकि अमेरिका इसके खिलाफ है।
दूसरा: ट्रम्प का मानना है कि कनाडा, अमेरिका में फेंटेनाइल (नशीली दवाओं) के सप्लाई को कंट्रोल करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठा रहा है।
5. दक्षिण अफ्रीका: टैरिफ की वजह चीन, ईरान और रूस से दोस्ती
अमेरिका ने अप्रैल में दक्षिण अफ्रीका पर 30% टैरिफ लगाया था। 4 महीने बाद भी यह बरकरार रहा। दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर कोई डील नहीं हो पाई।
वजह: ट्रम्प ने दावा किया कि दक्षिण अफ्रीका के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा बहुत ज्यादा है। इसके अलावा ट्रम्प दक्षिण अफ्रीका की रूस, चीन और ईरान के साथ दोस्ती से भी नाराज हैं।
ट्रम्प के टैरिफ से निपटने के लिए विकल्प तलाश रहे देश
1. नए बाजारों की तलाश
भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश अब अमेरिका पर निर्भर न रहकर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के नए बाजारों में सामान बेचने की कोशिश कर रहे हैं।
2. घरेलू उद्योगों की मदद
ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने अपने किसानों, मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों और छोटे उद्योगों के लिए राहत पैकेज शुरू किए। ब्राजील ने एक्सपोर्ट फाइनेंसिंग और सब्सिडी दी, ताकि अमेरिकी टैरिफ का असर कम हो।
3. WTO में शिकायत दर्ज कराना
चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में जाकर ट्रम्प की नीतियों की शिकायत की है। उनका कहना था कि टैरिफ के कुछ फैसले अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ हैं। भारत भी यह प्रक्रिया शुरू कर चुका है।

(Bureau Chief, Korba)