BILASPUR: बिलासपुर में महिला से हुई लूट के मामले में पुलिस ने चोरी की धारा लगाकर खानापूर्ति कर ली। यहां तक न तो घटना की सीसीटीवी फुटेज की जांच की और न हीं तकनीकी साक्ष्य जुटाने मोबाइल की जांच कराई। इस लापरवाही से नाराज आईजी अजय यादव ने टीआई व दो एएसआई के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए जांच अधिकारी आईपीएस पूजा कुमार को बनाया गया है। पूरा मामला सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र का है।
घटना बीते 22 नवंबर को हुई थी। शाम को तेलीपारा आरके बूट हाउस गली नंबर 3 निवासी अलका गुप्ता पिता चन्द्रप्रकाश गुप्ता (47) ट्यूशन पढ़ाने कश्यप कॉलोनी गई थी। वहां से पैदल घर वापस आ रही थी। गली नंबर 03 के पास शाम करीब 5.45 बजे एक्टिवा में तीन लोग मिले। उनमें से एक ने महिला के कंधे पर रखे पर्स छीन लिया और तीनों फरार हो गए। बैग में मोबाइल, पर्स, चश्मा, 9 हजार रुपए, डायरी,आलमारी की चाबी थी। पीड़िता ने घटना की रिपोर्ट सिटी कोतवाली थाने में जाकर दर्ज कराई। पुलिस ने लूट का केस होने के बाद भी इस मामले में चोरी की धारा 379,34 के तहत कार्रवाई कर खानापूर्ति कर ली।
टीआई के स्पष्टीकरण और केस डायरी देखकर भड़के आईजी अजय यादव।
आईजी ने टीआई से मांगा था स्पष्टीकरण
इस मामले में आईजी अजय यादव ने संज्ञान लेते हुए टीआई को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा। इसके साथ ही केस डायरी तलब कर बारीकी से परीक्षण किया। एक हफ्ते के बाद सिटी कोतवाली पुलिस ने इस मामले में गलत कार्रवाई के बाद भी तथ्यहीन जवाब दिया। जिस पर आईजी अजय यादव भड़क गए। उन्होंने केस डायरी का परीक्षण किया, तब पुलिस की कई लापरवाही सामने आई, जिसके बाद उन्होंने अब इस मामले में सिटी कोतवाली टीआई उत्तम साहू, कायमीकर्ता अधिकारी एएसआई विजय राठौर और विवेचना अधिकारी एएसआई भानू पात्रे के खिलाफ प्राथमिक जांच के निर्देश दिए हैं। कोतवाली सीएसपी आईपीएस पूजा कुमार को जांच अधिकारी बनाया गया है।
आधी अधूरी डायरी पेश ही गई,प्रारंभिक जांच भी नहीं
आईजी अजय यादव ने इस मामले की डायरी मंगाई। तब पता चला कि डायरी आधी अधूरी बनाई गई है। इसमें न तो प्रार्थिया महिला का बयान दर्ज किया गया और न ही मौके पर जाकर नजरी नक्सा बनाया गया था और न ही मौके पर जाकर किसी का बयान दर्ज किया गया है। 27 नवंबर को मोबाइल की तकनीकी जांच की बात कही गई है। लेकिन, जांच के प्रतिवेदन ही साइबर सेल नहीं भेजा गया है। इसके साथ ही पुलिस ने आरोपियों की पहचान करने के लिए घटनास्थल के आसपास सीसीटीवी फुटेज की जांच नहीं की गई है और न ही संदेहियों की जानकारी जुटाकर पूछताछ की गई है।