नई दिल्ली: मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीला कफ सिरप पीने से अब तक 23 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें मध्य प्रदेश में 2 सितंबर से 19 बच्चों और राजस्थान में 4 बच्चों की मौत हो चुकी है। मामला सामने आने के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु और पंजाब ने इस सिरप की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है। इसमें मामले की CBI जांच कराने और देशभर में दवाओं की सुरक्षा व्यवस्था की जांच की मांग की गई है।
एडवोकेट विशाल तिवारी ने याचिका में मांग की है कि कोर्ट सरकार को राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्देश दे और जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ट जज की निगरानी में हो।
वहीं, मामले में तमिलनाडु के ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने सिरप बनाने वाली कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस दवा को कांचीपुरम की कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स बनाती है। सरकार ने पांच दिन के अंदर कंपनी से जवाब मांगा है।
गुजरात की दो कंपनियों के सिरप में भी जहर
वहीं, कफ सिरप बनाने वाली गुजरात की दो कंपनियों के सैंपल में भी जहरीले डायएथिलिन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलिन ग्लायकॉल (EG) की मात्रा ज्यादा मिली है। छिंदवाड़ा से 19 दवाओं के सैंपल लिए गए थे।
गुजरात की रीलाइफ सिरप और रेस्पिफ्रेस टीआर सिरप में गड़बड़ी मिली है। मध्य प्रदेश में इन दोनों सिरपों के स्टॉक और बिक्री पर बैन लगा दिया गया है। गुजरात सरकार को जांच के लिए लेटर भी लिखा है।
कोल्ड्रिफ की फैक्ट्री में 350 से ज्यादा गड़बड़ियां मिलीं
इससे पहले तमिलनाडु सरकार की जांच कमेटी को कोल्ड्रिफ बनाने वाली श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स की फैक्ट्री में 350 से ज्यादा गड़बड़ियां मिली थीं। जिन्हें क्रिटिकल और मेजर श्रेणी में रखा गया था।
जांच रिपोर्ट की 9 जरूरी बातें…
- कंपनी में दवा बनाने के लिए योग्य और प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं थे।
- फैक्ट्री बहुत गंदी थी, वहां न सफाई थी और न ही सही वेंटिलेशन व्यवस्था थी।
- कई मशीनें टूटी और जंग लगी हुई थीं।
- फैक्ट्री में सुरक्षा के जरूरी उपकरण जैसे एयर हैंडलिंग यूनिट लगाए ही नहीं गए थे।
- दवा बनाने में घटिया और गैर-फार्मा क्वालिटी के केमिकल इस्तेमाल किए गए थे।
- कंपनी ने 50 किलो प्रोपाइलीन ग्लाइकोल बिना बिल के खरीदा था।
- दवा में डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) नाम का जहरीला केमिकल मिला।
- लिक्विड दवाओं को प्लास्टिक पाइप से ट्रांसफर किया जा रहा था, जिससे दवा गंदी हो सकती थी।
- फैक्ट्री में दवा छानने की कोई व्यवस्था नहीं थी। केमिकल का गंदा पानी सीधे नालियों में छोड़ा जा रहा था।
तमिलनाडु में बनने वाली कोल्ड्रिफ सिरप में 48% जहर
कांचीपुरम जिले के सुंगुवर्चत्रम में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल की यूनिट से कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) जब्त किया गया। जांच में पता चला कि इसमें नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल हुआ, जो संभवतः डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था। दोनों ही केमिकल किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले पदार्थ हैं।
जैसे ही सैंपल चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब में भेजे गए, वहां से 24 घंटे में रिपोर्ट दी गई। इसमें पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप का यह बैच 48.6% w/v DEG से जहरीला और ‘Not of Standard Quality’ है। जबकि अन्य चार दवाओं (रेस्पोलाइट D, GL, ST और हेप्सैंडिन सिरप) को स्टैंडर्ड क्वालिटी का पाया गया।
सबसे पहले इन पर लगा था बैन
बच्चों की मौतों के बाद कोल्ड्रिफ बैच नंबर SR-13 और नेक्स्ट्रो-डीएस बैच नंबर AQD-2559 कफ सिरप को बैन कर दिया गया। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इंदौर की आर्क फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के सिरप ‘डिफ्रॉस्ट’ के बैच नं. 11198 को बाजार से रिकॉल करने के निर्देश दिए।
मध्य प्रदेश सरकार ने क्लोरफेनिरामाइन मलेट (Chlorpheniramine Maleate) और फिनाइलफ्रिन एचसीएल (Phenylephrine HCl) जैसे केमिकल के उपयोग को लेकर विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं।
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जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौतों के मामले में मध्य प्रदेश और राजस्थान के विपक्ष के नेताओं ने दिल्ली में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। पार्टी मुख्यालय में की गई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने राज्य के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल पर सवाल उठाए हैं।
सिंघार ने कहा- मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने के बाद किडनी फेल होने से 19 बच्चों की मौत हो चुकी है। ये पूरा मामला करप्शन और कमीशन का है। इस मामले की न्यायिक जांच होना चाहिए।

(Bureau Chief, Korba)