नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के सभी हमलों को नाकाम करने वाली भारतीय वायुसेना अब नए सुरक्षा मिशन में जुट गई है। वायुसेना एयर डिफेंस सिस्टम को अमेरिकी गोल्डन डोम और इजराइल के आयरन डोम से भी बेहतर बनाने जा रही है।
इंडियन एयरफोर्स के पास अभी दोनों डोम जैसा ही एयर डिफेंस सिस्टम है, लेकिन वह चीन और पाकिस्तान से होने वाले हवाई हमलों को नाकाम करने के मकसद से तैयार किया गया है।
वायुसेना अब देशभर को रक्षा देने के लिए सबसे मॉडर्न और स्मार्ट एयर डिफेंस सिस्टम बनाने पर फोकस कर रही है। ऐसे ड्रोन पर भी काम हो रहा है, जिन्हें दुश्मन के इलाकों के आसपास हेलिकॉप्टर से लॉन्च किया जा सकेगा। एयरफोर्स के डिजाइन ब्यूरो ने ऐसे कई एरियल सिस्टम्स का ब्लू प्रिंट तैयार किया है।
इधर, ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में खर्च हुई S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की मिसाइलों की भरपाई रूस जल्द ही करेगा। इसके अलावा, एक और S-400 सिस्टम एक-दो माह में रूस से मिल जाएगा। इसकी एक अन्य स्क्वॉड्रन की सप्लाई 2026 में होगी। एक स्क्वॉड्रन में 256 मिसाइलें होती हैं।

भारत के पास कई तरह के मिलिट्री और सिविलियन रडार हैं। 3D सर्विलांस रडार रोहिणी की तस्वीर।
नए ड्रोन की 9 खासियतें: दुश्मन को चकमा देने, हेलिकॉप्टर से लॉन्च होने वाले हथियार
- एयर लॉन्च स्वार्म ड्रोन: एयर लॉन्च फ्लेक्सिबल एसेड स्वॉर्म एल्फा-एस। एआई से लैस यह ड्रोन समूह दुश्मन के एयर डिफेंस को भ्रमित व खत्म करेगा। खुफिया सूचना जुटाना, सर्विलांस, निगरानी, संचार रिले इसके काम हैं। बीच उड़ान में बदल सकेगा।
- हेलिकॉप्टर लॉन्चर: 40 किमी रेंज वाले इन ड्रोन्स को एमआई-17 हेलिकॉप्टर से लॉन्च कर सकेंगे। इन पर 50 किलो के हथियार होंगे।
- लॉइटरिंग एरियल इंटरसेप्टर: 8 हजार फीट ऊपर उड़ने में सक्षम। यह दुश्मन ड्रोन को पहचानकर नष्ट करेगा। जमीन, वाहन व हेलिकॉप्टर से लॉन्च होंगे।
- स्वार्म एंटी-ड्रोन सिस्टम: यह तीन तरह से दुश्मन ड्रोन को ट्रैक करेगा। पहला- 5 किमी की रेंज में उड़ रहे ड्रोन पर सीधा वार करेगा। दूसरा- उसे कैप्चर कर रिकवर करेगा, ताकि अपराध जांच में दुश्मन इरादों का पर्दाफाश कर सकें। तीसरा- उन्हें जाल में फंसाएगा।
- एलास्टिकॉप्टर मल्टी-रोलः ऐसा यूएवी जो वायुसेना में वर्क होर्स की भूमिका में होगा। 25 किमी तक सामान लाने-ले जाने, ग्रेनेड गिराने, राडार सिस्टम्स को मापने में काम आएगा। इस पर 5 से 20 किलो के पेलोड भी अपलोड हो सकेंगे।
- टेथर्ड ड्रोन सिस्टम: ये केबल सिस्टम्स के जरिए सैन्य प्रतिष्ठानों की 24 घंटे निगरानी करेंगे। इनका सीधा संपर्क वायु सेना की निगरानी अथॉरिटी से होगा।
- ड्रोन एमुलेटर: दुश्मन के राडार, ड्रोन्स को जाम करने, उन्हें चकमा देने में एक्सपर्ट होगा। यह दुश्मन को असली हमलावर ड्रोन होने का भ्रम पैदा करेगा। उसकी मारक क्षमता का पता लगाएगा।
- एंटी-राडार डिकॉय स्वार्म: यह डिकॉय इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर से लैस होगा और दुश्मन के एयर डिफेंस को कंफ्यूज करने के काम आएगा। इसकी रेंज 500 किमी और रफ्तार ध्वनि की गति से .9 के बराबर होगी।
- हाई-स्पीड ड्रोन: इनमें ईडब्ल्यू (इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर) पेलोड और चाफ सिस्टम होगा। इसकी रेंज 500 किमी या उससे अधिक होगी।

पाकिस्तान ने 9 मई को 15 भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की। भारत के रशियन मेड S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने सभी को नाकाम कर दिया।
नए एयर डिफेंस सिस्टम्स एक साथ 200 दुश्मन ड्रोन को डिटेक्ट करेगा
वायुसेना का नया डिफेंस सिस्टम्स नॉन-रोटेटिंग AESA राडार होगा। यह एक साथ 200 दुश्मन ड्रोन को डिटेक्ट करने को 360 डिग्री कवर वाला स्थिर राडार होगा। वहीं, एयर-माइन सेंसर सिस्टम से 2 हजार मीटर ऊपर एक किमी परिधि में ड्रोन्स को वायुमंडलीय डिस्टरबेंस से डिटेक्ट कर लेगा।इसके अलावा एयरफोर्स स्टेल्थ कॉम्बैट ड्रोन, मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस यूएवी और स्मार्ट लॉइटरिंग म्यूनिशन्स पर भी काम कर रही है।

(Bureau Chief, Korba)