Sunday, December 8, 2024
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छत्तीसगढ़ में टाइगर सिर्फ 17… मादा कम होने से नहीं बढ़ा कुनबा, अचानकमार में एमपी या महाराष्ट्र से लाएंगे 2 मादा 1 नर टाइगर; संख्या बढ़ाने का प्रयास

रायपुर: प्रशांत गुप्ता छत्तीसगढ़ में टाइगर की संख्या लगातार घट रही है। विशेषज्ञों की स्टडी में यह बात सामने आई कि यहां मादा टाइगर कम हैं, इसलिए कुनबा नहीं बढ़ पा रहा है। इसीलिए यहां के वन विभाग की मांग पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने मध्यप्रदेश या महाराष्ट्र से दो मादा और एक नर टाइगर यहां लाकर रखने की मंजूरी दे दी है।

टाइगर जनवरी के आसपास लाए जाएंगे। इनके लिए अचानकमार टाइगर रिजर्व के मुंगेली वाले हिस्से में 1 हेक्टेयर जंगल चिन्हित किया गया है, जिसमें इन्हें रखने के लिए इनक्लोजर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई, जो तीन-चार माह में पूरी भी हो जाएगी।

छत्तीसगढ़ का वन विभाग जल्दी ही मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से पत्राचार कर आगे की प्रक्रिया शुरू करेगी। जिस राज्य से टाइगर लाए जाएंगे, वहां और यहां के अफसरों तथा विशेषज्ञों की एक कमेटी बनेगी, जो यह काम करेगी। इसके बाद लाए जाने वाले टाइगर की वहीं के जंगल में पहचान की जाएगी। अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने इसका डिटेल प्लान सबमिट कर दिया है। टाइगर प्रोटेक्शन टीम बनाई है, जिसे स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है।

पूरी कोशिश इसलिए चल रही है, ताकि जनवरी या अधिकतम फरवरी में तीनों टाइगर यहां अा जाएं। इसके पहले, छत्तीसगढ़ में असम से वनभैंसे लाए गए थे। ये अभी बाड़े में हैं और हेल्दी हैं। अच्छी बात यह है कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ का क्लाइमेट एक जैसा है, इसलिए वहां से लाए जाने वाले टाइगर की सेहत पर भी असर नहीं पड़ेगा।

ऐसे घटे टाइगर वर्ष 2014 2018 2022 टाइगर 46 19 17ॉ

संख्या घटी, तब कवायद तेज
छत्तीसगढ़ में बाहर से टाइगर लाने की चर्चा 3 साल से चल रही है। सबसे पहले 21 जून 2021 को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में यह बात उठी थी। तय हुआ था कि इसलिए ग्लोबल टाइगर फोरम की मदद ली जाए। इसके बाद 19 दिसंबर 2022 को हुई बैठक के मिनिट्स भास्कर के पास है। इसमें लिखा है कि तीनों टाइगर रिजर्व में अचानकमार को प्राथमिकता देते हुए यहां बाघ लाएंगे। मध्यप्रदेश से बाघ लाने की सहमति बनी। कहा गया कि इसके लिए पत्राचार करें। यह प्रयास सफल रहा तो अन्य टाइगर रिजर्व में भी यह प्रयास किए जाएंगे।

टाइगर रिजर्व और इनक्लोजर का फैसला इसलिए…
अचानकमार ही क्यों?
अचानकमार रिजर्व को हर लिहाज से टाइगर के लिए उपयुक्त है। यहां भोजन पर्याप्त मात्रा में है, पानी भी भरपूर है। यहां नर टाइगर पहले से हैं। उदंती सीतानदी और इंद्रावती टाइगर रिजर्व नक्सल प्रभावित हैं, अचानकमार नहीं। इसलिए यहां मानीटरिंग भी आसान है।

इनक्लोजर क्यों जरूरी?
टाइगर 1 हेक्टेयर के इनक्लोजर में रखे जाएंगे, ताकि डेढ़ माह तक गतिविधि और सेहत पर नजर रहे। िफर इन्हें जंगल में छोड़ेंगे। इसे साॅफ्ट रिलीज कहते हैं। जंगल में भी नजर रखेंगे, क्योंकि इनके तथा पहले से मौजूद टाइगर्स में वर्चस्व का जानलेवा संघर्ष हो सकता है।

सोमेन डे, टीम लीडर-डब्लूडब्लूएफ (सेंट्रल)
आबादी बढ़ाने अच्छा कदम

छत्तीसगढ़ में फीमेल टाइगर कम हैं। ऐसे में एनटीसीए की मंजूरी टाइगर की आबादी बढ़ाने के लिए अच्छा कदम है। कई टाइगर रिजर्व में टाइगर बचे ही नहीं थे। शिफ्टिंग से फिर संख्या बढ़ाने में कामयाबी मिली है। टाइगर होने से जंगल सुरक्षित रहता है, पर्यटन बढ़ता है।

इसीलिए मध्यप्रदेश टाइगर टूरिज्म के मामले में काफी आगे निकल चुका है। छत्तीसगढ़ में भी स्कोप है।

मानसून खत्म होते ही अचानकमार में इनक्लोजर का काम शुरू कर देंगे। बाकी प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। हमारा टारगेट जनवरी का है। -विष्णुराज नरेंद्रन, डिप्टी डॉयरेक्टर,अचानकमार टाइगर रिजर्व




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