Saturday, May 4, 2024
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CG: बारात से पहले पहुंची पुलिस, रुकवाई शादी.. 16 साल की लड़की की करा रहे थे शादी, टीम को देख पैरेंट्स ने मचाया हंगामा

छत्तीसगढ़: बिलासपुर में महिला एवं बाल विकास विभाग ने 16 साल की लड़की की शादी रुकवा दी। लड़की मंडप में दुल्हन बनकर बैठी थी और बारात आने की तैयारी चल रही थी। चाइल्ड लाइन और महिला बाल विकास विभाग को इसकी जानकारी हुई, तब टीम पुलिस लेकर पहुंच गई। इस दौरान लड़की के आधार कार्ड की जांच की गई। वहीं, पुलिस को देखकर दोनों पक्ष के लोग हंगामा मचाने लगे, तब उन्हें कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी के साथ समझाइश देकर शांत कराया और शादी रोक दी। मामला पचपेड़ी थाना क्षेत्र का है।

जानकारी के अनुसार पचपेड़ी क्षेत्र के ग्राम सोन लोहर्सी में 16 साल की लड़की की शादी तय कर दी गई थी। तय कार्यक्रम के अनुसार रविवार को लड़की की बारात आने वाली थी। इस बीच जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम को किसी ने जानकारी दी कि गांव में नाबालिग लड़की की शादी की जा रही है। खबर मिलते ही चाइल्ड की टीम के साथ जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम पुलिस लेकर गांव पहुंच गई, जहां वैवाहिक समारोह की तैयारी चल रही थी। पुलिस को देखकर वहां आसपास के लोगों की भीड़ जुट गई।

दुल्हन बनी लड़की और लड़के वालों को दी गई समझाइश।

दुल्हन बनी लड़की और लड़के वालों को दी गई समझाइश।

टीम ने मांगी दुल्हन का आधार कार्ड
इस दौरान टीम ने वैवाहिक रस्मों को रुकवाकर दुल्हन का आधार कार्ड दिखाने के लिए कहने लगे। पूछताछ में परिजन लड़की को बालिग बताते रहे, जब आधार कार्ड और स्कूल प्रमाण पत्र की जांच की गई, तब पता चला कि दुल्हन की उम्र 16 साल और दूल्हा 18 साल का है।

शादी रोकने की बात पर मचाया हंगामा
अधिकारियों ने बाल विवाह संबंधी नियम कानून के बारे में समझाइश दी। तब, दुल्हन और दूल्हे के पैरेंट्स हंगामा मचाने लगे और लड़का व लड़की की शादी करने की बात पर अड़े रहे। परिजन सामाजिक बंधन और बदनामी की बात भी करने लगे। तब अधिकारियों ने कहा कि दोनों की शादी उनके बालिग होने पर करा दिया जाएगा। इसके लिए दोनों पक्ष आपस में समझौता कर शपथपत्र तैयार करा लें।

बारात आने से पहले ही पहुंच गई टीम।

बारात आने से पहले ही पहुंच गई टीम।

अधिकारी बोलीं- दोनों पक्षों से लिया गया शपथपत्र
जिला बाल संरक्षण इकाई की अधिकारी पार्वती वर्मा ने बताया कि पचपेड़ी क्षेत्र में नाबालिग लड़की शादी होने की जानकारी मिली थी, जिस पर पुलिस के साथ टीम गांव पहुंची। इस दौरान दोनों पक्षों को समझाइश देकर शपथपत्र लिया गया है और उन्हें शादी नहीं करने की चेतावनी दी गई है।

प्रदेश में इस तरह के और मामले सामने आए थे..नीचे पढ़िए

जांजगीर में ठीक एक दिन पहले पुलिस ने नाबालिग की शादी रुकवाई थी। तनौद के साढ़े सत्रह साल के किशोर की शादी बिलासपुर जिला के एक गांव की उन्नीस साल की युवती से तय थी। रविवार को किशोर बारात लेकर जाने की तैयारी में था। तभी बाल संरक्षण इकाई को नाबालिग की शादी की सूचना मिली। टीम ने मौके पर पहुंच कर दोनों पक्षों को समझाइश दी और नाबालिग की शादी रोकी गई।

शिवरीनारायण थाना क्षेत्र के तनौद निवासी एक साढ़े सत्रह साल के किशोर की शादी बिलासपुर जिला के सोन लाेहर्सी के एक युवती के साथ तय हुई थी। दोनों घरों में तेल आदि की रस्म हो चुकी थी। रविवार 4 दिसंबर को दोपहर 12 बजे सोनलाेहर्सी के लिए बारात निकलनी थी। किशोर के घर में बारात जाने की तैयारी थी। उधर युवती के घर में भी शादी की तैयारियां थी। उन्हें बारातियों का इंतजार था। इसी बीच बाल संरक्षण इकाई को नाबालिग के शादी की जानकारी हुई तो महिला व बाल विकास और पुलिस के साथ टीम वहां पहुंच गई।

बच्चियों को दुल्हन बना हो रहा था बारात का इंतजार

बिलासपुर में 7 महीने पहले अक्षय तृतीया पर चाइल्ड हेल्प लाइन और पुलिस ने मिलकर तीन बालिका वधुओं की शादी रूकवाई थी। सूचना मिलने पर चाइल्ड लाइन की टीम पुलिस लेकर गांव पहुंच गई। यहां उनके परिजन को नाबालिग लड़कियों की शादी नहीं करने की समझाइश दी गई।

कलेक्टर सारांश मित्तर ने जिले में अक्षय तृतीया पर्व पर होने वाले बाल विवाह पर नजर रखने के निर्देश दिए थे। इस पर जिला कार्यक्रम अधिकारी सूर्यकांत गुप्ता के साथ चाइल्ड लाइन केंद्र समन्वयक पुरुषोत्तम पांडेय जानकारी जुटा रहे थे। मंगलवार को दोपहर उन्हें खबर मिली बिल्हा के वार्ड क्रमांक 12 और हिर्री थाना क्षेत्र के अटर्रा गांव में नाबालिग लड़कियों की शादी होने वाली है। गांव में परिजन बारात स्वागत करने की तैयारी में है। खबर मिलते ही टीम गांव पहुंच गई। इस दौरान उन्होंने परिजन से चर्चा कर उन्हें समझाइश दी और शपथपत्र लेकर शादियां रुकवाई। इस दौरान टीम ने उनके ससुराल वालों को भी बारात नहीं लाने की चेतावनी दी।

छापामार कार्रवाई: टीम ने 5-5 नाबालिगों की शादी रुकवाई

गरियाबंद में 7 महीने पहले अक्षय तृतीया के अवसर पर पांच बाल विवाह रूकवाई गई थी। कलेक्टर नम्रता गांधी के निर्देशानुसार अक्षय तृतीया के विशेष अवसर पर बाल विवाह रोकथाम हेतु जिलास्तरीय विशेष टीम का गठन किया गया था। इस अवसर पर बाल विवाह की आशंका को देखते हुए टीम ने निरंतर ग्रामीण व नगरीय निकायों में छापामार कार्रवाई की। जिला कार्यक्रम अधिकारी पाण्डेय ने बताया कि 2 व 3 मई को फिंगेश्वर विकासखंड अंतर्गत गाम पंचायत लोहरसी, ग्राम तरीघाट एवं ग्राम पंचायत पंडरीतराई में कुल तीन बाल विवाह रोकवाए गए थे।

3 मई को देवभोग ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत सीनापाली में एक बाल विवाह रुकवाया गया तथा 4 मई को गरियाबंद ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत आमझर में एक बाल विवाह रुकवाया गया। बाल विवाह के प्राप्त सूचना के आधार पर बालिका की आयु 18 साल से कम व बालक की आयु 21 साल से कम पाई गई। सत्यापन अंकसूची के आधार पर किया गया।

60 से अधिक बाल विवाह रोकने में सफलता

महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस साल अब तक 60 से अधिक बाल विवाह रोकने में सफलता पाई है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका विभाग द्वारा गांवों में बनाई गईं बाल संरक्षण समितियां हैं, जो रात-रातभर निगरानी करती हैं और जहां भी बाल विवाह का संदेह होता है, उसकी जानकारी तुरंत प्रशासन को देती हैं। इस पर प्रशासन की मदद से विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर समझाइश देते हुए शादी रुकवाती है।

रायपुर जिले में अब तक नौ, गरियाबंद में छह, दुर्ग में छह, कोरिया में 14 समेत अन्य जिलों में भी बाल-विवाह रोकने में विभाग ने सफलता पाई है। पिछले साल विभाग ने 379 बाल विवाह रोके थे। नेशनल हेल्थ सर्वे के मुताबिक प्रदेश में 100 में से 12 किशोरियों का बाल विवाह अभी भी प्रदेश में हो रहा है। पांच साल पहले प्रदेश में बाल विवाह की स्थिति करीब 21 फीसद थी, जो वर्तमान में नौ फीसद घट गए हैं। हालांकि अभी भी प्रदेश में 12.1 प्रतिशत (यानी 100 में 12) किशोरियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो रही है।

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