रायपुर: छत्तीसगढ़ के पहलाजानी टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर में बच्चा बदल दिया गया है। पिता ने आरोप लगाया कि उन्हें एक लड़का और एक लड़की होने की सूचना दी, लेकिन बाद में दोनों लड़की दे दी गई। शक होने पर डीएनए टेस्ट कराया तो एक बच्ची से डीएनए 90 फीसदी मैच हुआ जबकि दूसरे से जीरो प्रतिशत।
सिमरन सिटी निवासी अशोक सिंह ने अस्पताल पर आरोप लगाया कि लड़के को बदल दिया गया। इसकी शिकायत सीएम तक होने के बाद अब जांच कमेटी बनी है। 7 दिन के अंदर कमेटी से रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आगे की कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं।
अस्पताल प्रबंधन पर इन बच्चों में से एक बच्चा बदलने का आरोप है।
पीड़ित परिवार के साथ दो और परिवारों से भी पूछताछ
इस जांच कमेटी में शिशु रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ और नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अफसर को शामिल किया गया है। जांच की गाइडलाइन भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बनाई है। इसमें पीड़ित अशोक सिंह, उनकी पत्नी उषा सिंह, अस्पताल प्रबंधन और अस्पताल में इलाज कराने वाले रायपुर के दो और परिवारों से पूछताछ की जाएगी।
दोबारा बेटे की चाह में 2022 से करवा रहे थे ट्रीटमेंट
पीड़ित परिवार जगदलपुर के बड़े बचेली का रहने वाला है। अशोक सिंह इलाके में ठेकेदारी करते हैं। परिवार में पति-पत्नी के अलावा 2 बेटियां हैं। कुछ साल पहले बेटे की मौत हो चुकी है। अशोक सिंह का कहना है कि पत्नी लगातार उस बेटे को फिर से पाने की इच्छा जता रही थी। उसका मानना था कि खोया हुआ बेटा फिर से लौट आएगा।
पत्नी उषा सिंह के कहने पर 27 अक्टूबर 2022 को IVF तकनीक के जरिए ट्रीटमेंट शुरू हुआ, लेकिन 6 सप्ताह बाद 8 दिसंबर 2022 को गर्भपात हो गया। वजह शारीरिक कमजोरी बताई गई। हॉस्पिटल प्रबंधन ने दूसरी बार फिर से 24 अप्रैल 2023 को प्रक्रिया शुरू की। पेशेंट आईडी 27824 दी गई।
इसके वे अपने घर चले गए और नियमित जांच कराने आते रहे। दिसंबर 2023 में पत्नी की तबीयत बिगड़ने पर रायपुर पहुंचे और पहलाजानी टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर, अनुपम नगर में भर्ती कराया। अशोक सिंह का कहना है कि उषा सिंह को डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर ले गए।
कुछ समय बाद जब उसे बाहर निकाला गया तो पत्नी को बताया गया कि एक बेटा एक बेटी हुई है। कुछ समय बाद अस्पताल स्टाफ ने मां को जुड़वां बच्ची लाकर सौंपीं। जब पति ने एक बेटा होने के बारे में पूछा तो अस्पताल स्टाफ ने इससे साफ इनकार दिया।
शक हुआ तो कराया DNA टेस्ट
अशोक सिंह का कहना है कि, अस्पताल वालों की बातों से उन्हें शक हुआ तो परिचित से सलाह ली और फिर DNA टेस्ट कराने का फैसला लिया। एक लैब से संपर्क किया, उनकी वैन पहलाजानी टेस्ट ट्यूब सेंटर परिसर में आई। वे बच्चों को लेकर नीचे गए और वैन में ही दोनों बच्चियों का सेंपल लिया ।
एक बच्ची की रिपोर्ट 90% मिली मगर दूसरे की मैचिंग जीरो परसेंट आई है। इसका मतलब है कि एक बच्ची का DNA अशोक से मैच नहीं करता। इसके बाद भी जब अस्पताल से सही जवाब नहीं मिला, तो मई 2024 में थाने में शिकायत की गई। थाने से भी 2 महीने तक लेटलतीफी होती देखकर उन्होंने सीएम, मंत्री और विभागीय अधिकारियों से मामले की शिकायत की है।
हमने गलत नहीं किया, आरोप निराधार
शिकायतकर्ता अशोक सिंह के आरोपों को लेकर मीडिया ने पहलाजानी टेस्ट ट्यूब बेबी एवं आईवीएफ सेंटर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज पहलाजानी से बात की। डॉ. पहलाजानी ने अशोक सिंह के आरोपों से इनकार किया है।
थाने के बाद SP, कलेक्टर, स्वास्थ्य विभाग और फिर मुख्यमंत्री तक भी इसकी शिकायत की गई।
अभी भी बच्ची अशोक सिंह के पास
शिकायतकर्ता अशोक सिंह ने मामले में शासन और प्रशासन से इंसाफ की अपील की है। शिकायतकर्ता का कहना है, कि जिस बच्ची का DNA उनसे नहीं मिल रहा, वो बच्ची भी उनके पास है। शासन और विभागीय अधिकारियों से अपील है कि मेरे बच्चे का पता लगाए और जो बच्ची मेरे पास है, उसके परिजनों का पता लगाकर उसे सुपुर्द करें क्योंकि बच्ची के भविष्य का सवाल है।
(Bureau Chief, Korba)