रायपुर: पहाड़ों के बीचो-बीच और इंद्रावती नदी के किनारे बसे बस्तर जिले के सुदूर वनांचल ग्राम ‘बिनता’ से एक प्रेरणादायक तस्वीर सामने आई है। यहाँ के किसान दिनेश पाण्डे ने साबित कर दिया है कि यदि शासन की मंशा साफ हो और किसान की मेहनत सच्ची हो, तो जीवन में अंधेरा ज्यादा दिन नहीं टिकता। लोहंडीगुड़ा तहसील के ग्राम बिनता निवासी दिनेश पाण्डे का अतीत संघर्षों से भरा था, वे कभी अपना पेट पालने के लिए दूसरों के घरों में मजदूरी करने को विवश थे। उनके पास 10 एकड़ पुश्तैनी जमीन तो थी, लेकिन संसाधनों के अभाव में वे उसका सही उपयोग नहीं कर पा रहे थे। दिनेश के जीवन में बड़ा मोड़ तब आया जब राज्य शासन ने किसानों को धान का आकर्षक मूल्य देना शुरू किया। फसल की सही कीमत मिलने की उम्मीद ने दिनेश के भीतर नई ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने मजदूरी छोड़ पूरी लगन से अपनी जमीन पर खेती-किसानी शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने धान की फसल से अच्छा मुनाफा कमाया। दिनेश ने गत वर्ष 4 लाख रुपए का धान विक्रय किया था, जिससे खेती जमीन में नलकूप खनन करवाया और खेती-,किसानी को नई दिशा दी। इस वर्ष भी उन्होंने सहकारी समिति में लगभग 4 लाख रुपये का धान बेचा है।
खेती में नवाचार और संसाधन
धान बेचने से मिली राशि का दिनेश ने बेहतरीन प्रबंधन किया। दिनेश बताते हैं कि धान विक्रय की राशि से सबसे पहले उन्होंने सिंचाई की समस्या दूर करने के लिए खेत में नलकूप खनन करवाया। पानी मिला तो उन्होंने पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर अब 2 एकड़ भूमि में सब्जियों की खेती भी शुरू कर दी है। इतना ही नहीं, अपनी सब्जियों को सुगमता से बाजार तक पहुँचाने के लिए दिनेश ने एक पिकअप वाहन भी खरीद लिया है। दिनेश की आर्थिक तरक्की का सीधा असर उनके परिवार के भविष्य पर भी पड़ा है। वे जानते हैं कि शिक्षा ही विकास की असली चाबी है। यही कारण है कि आज उनका एक बेटा और एक बेटी विकासखंड मुख्यालय लोहंडीगुड़ा स्थित प्रतिष्ठित ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय’ में अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। दूसरों के खेतों में काम करने वाले दिनेश आज खुद एक प्रगतिशील किसान और वाहन मालिक हैं। अपनी इस खुशहाली और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्होंने राज्य शासन के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया है।

(Bureau Chief, Korba)




