- पारंपरिक खेती से नवाचार की ओर बढ़ाया कदम
रायपुर: अम्बिकापुर के चठिरमा निवासी श्री परिमल गेंदे के फूलों की खेती कर रहे हैं। पारंपरिक खेती की तुलना में फूलों की खेती का नवाचार, श्री परिमल जैसे किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। उन्नत किसान के रूप में श्री परिमल का जीवन इन फूलों की ही तरह महकने लगा है। उन्होंने बताया कि वो तीन वर्षों से गेंदे की खेती कर रहें हैं, शुरुआती दो वर्ष में जानकारी के अभाव में उनकी आमदनी कम होती थी। अब राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत उन्हें उद्यानिकी विभाग से 1280 पौधे एवं 6400 रुपए की अनुदान सहायता राशि प्राप्त हुई। विभाग ने उन्हें नवाचार के कई पद्धतियों के बारे में बताया साथ ही समय-समय पर दवा के छिड़काव संबंधित जानकारी दी। श्री परिमल ने अपने बागवानी में ड्रिप पद्धति का उपयोग किया और जिससे उनके खेतों में फूलों की बंपर पैदावार हुई।
बंपर उत्पादन से हुई दुगुनी कमाई-
परिमल बताते हैं कि गेंदे की खेती से महज तीन माह में ही आमदनी मिलनी शुरू हो जाती है। वे एक वर्ष में 2 सीजन में खेती करते हैं अभी उन्होंने अपने 0.400 एकड़ रकबे में गेंदा फूल लगाया है। पहले प्रति सीजन मात्र 15 से 20 हजार तक होने वाली कमाई अब 45 से 50 हजार तक हो जा रही है। तीज-त्यौहारों के समय तो मांग बढ़ने से आमदनी और बढ़ जाती है।
(Bureau Chief, Korba)