Sunday, May 19, 2024
Homeछत्तीसगढ़उद्यानिकी फसल की खेती से श्यामा बनी लखपति...

उद्यानिकी फसल की खेती से श्यामा बनी लखपति…

उत्तर बस्तर कांकेर: नरहरपुर विकासखण्ड के ग्राम बादल निवासी  कृषक श्यामा बाई नेताम के पास 08 एकड़ जमीन है, जिसमे से 05 एकड़ में धान एवं अन्य फसल की खेती करती थी, शेष 03 एकड़ जमीन बंजर था। उस जमीन में उद्यानिकी फसल लगाने के बारे में योजना बनायी। जिसमें नलकूप, फेंसिंग एवं भूमि समतलीकरण कर उद्यान विभाग के अधिकारी से मिलकर उद्यानिकी फसलों की खेती के साथ-साथ विभाग में संचालित योजनाओं की जानकारी ली।

उद्यानिकी फसल की खेती से श्यामा बनी लखपति

श्यामा बाई नेताम बताती है कि राज्य पोषित योजना वर्ष 2018-19 अंतर्गत आम विभागीय योजना के तहत रकबा 0.50 हेक्टयर में 50 कलमी आम के पौधों के विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में रोपण किये। इस योजना में उद्यान विभाग द्वारा 05 हजार 469 रूपये पांच वर्ष तक पौधों के खाद दवाई एवं रखरखाव हेतु अनुदान प्राप्त हुआ। आम पौधों के बीच में खाली जगहों पर स्वयं के खर्च से नागपुर से कागजी नींबू के 150 पौधे खरीद कर उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के तकनीकी मार्गदर्शन में रोपण किए। वर्ष 2022 -23 में आम के पौधों में फलन आना शुरू हुआ, जिसमें प्रथम फलन में ही 02 हजार किलोग्राम को धमतरी के मंडी में विक्रय किये, जिससे 75 हजार रुपये प्राप्त हुआ।

उद्यानिकी विभाग में संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना वर्ष 2021-22 में केला क्षेत्र विस्तार योजना रायपुर से 1800 नग टिशू कल्चर केला पौधे का 2-2 मीटर के अंतराल में रोपण किया जिसमें विभाग के तरफ से 18 हजार 750 रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ। केले की फसल में समय-समय पर खाद दवाई डालने के लिए उद्यान विभाग के अधिकारियों द्वारा बारीकी से बताया गया। केला की प्रथम कटाई से 01 लाख 50 हजार रुपये प्राप्त हुये। केला फल को धमतरी मंडी एवं स्थानीय बाजारों में विक्रय किया गया।

वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत हल्दी, अदरक क्षेत्र विस्तार में विभाग द्वारा लाभान्वित किये। जिसमें कृषक को 01 लाख 20 हजार रुपये अनुदान प्राप्त हुआ। हल्दी एवं अदरक की खुदाई कृषक द्वारा मार्च महीने में किया जाकर 80 हजार रुपये विक्रय कर आमदनी प्राप्त किया इस प्रकार उद्यानिकी विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में एवं अनुदान के तहत लाभ लेकर अनुपयोगी जमीन में 03 लाख 5000 रुपये की आमदनी प्राप्त हुआ, जिससे कृषक की आर्थिक विकास के साथ स्थानीय लोगों को साल भर रोजगार भी मिला।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular