स्पोर्ट्स डेस्क: साउथ अफ्रीका सेमीफाइनल में अफगानिस्तान को हराकर टी-20 वर्ल्ड कप 2024 के फाइनल में पहुंचने वाली पहली टीम बन गई है। अफ्रीका पहली बार ही किसी वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची है। इसके साथ ही टीम पर लगा चोकर्स का दाग मिट गया है। साउथ अफ्रीका की टीम 5 बार वनडे और 2 बार टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल से बाहर हो चुकी है।
अब फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी टीम का फैसला रात 8 बजे होगा। जब गयाना के प्रॉविडेंस स्टेडियम में इंडिया और इंग्लैंड की टीमें आमने-सामने होंगी। मैच होने की संभावना भी बढ़ गई है, क्योंकि बारिश के चांस घटकर 40% हो गए हैं।
त्रनिदाद के ब्रायन लारा स्टेडियम में टॉस जीतकर अफगानिस्तान ने पहले बैटिंग की और 56 रन पर ऑलआउट हो गई। साउथ अफ्रीका ने 1 विकेट खोकर ये टारगेट हासिल कर लिया। रीजा हेंड्रिक्स ने 29 रन बनाए। मैन ऑफ द मैच बने 3 ओवर में 3 विकेट लेने वाले मार्को यानसन।
पहले सेमीफाइनल की 3 बातें
1. अफगानिस्तान ने टी-20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल का सबसे छोटा स्कोर बनाया, सिर्फ 56 रन। 20 ओवर में सिर्फ 11.5 ओवर खेली।
2. साउथ अफ्रीका ने 1992 से वर्ल्ड कप खेलना शुरू किया, 32 साल बाद फाइनल में पहुंची। पहले ही वर्ल्ड कप यानी 1992 में भी सेमीफाइनल पहुंची थी। 1999 में साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच सेमीफाइनल ड्रॉ हो गया था। ऑस्ट्रेलिया फाइनल पहुंची, क्योंकि सुपर-6 के मुकाबलों में ऑस्ट्रेलिया टेबल में साउथ अफ्रीका से ऊपर था।
3. अफगानिस्तान के कप्तान राशिद खान ने मैच से पहले कहा कि हम काफी एक्साइटेड हैं। किसी ने ज्यादा नींद नहीं ली है, लेकिन हम जीत के लिए खेलेंगे।
विनर ऑफ द मैच- मार्को यानसन
एडेन मार्करम ने पहला ओवर मार्को यानसन को दिया। 5 गेंदों में यानसन 4 रन दे चुके थे। छठवीं गेंद पर रहमानुल्लाह गुरबाज स्ट्राइक पर थे। यानसन ने फुलर गेंद थी, जो बल्ले का किनारा लेकर रीजा हेंड्रिक्स के हाथों में चली गई। अफगानिस्तान ने पहले ही ओवर में अपने सबसे बड़े बल्लेबाज का विकेट खो दिया। रहमानुल्लाह ने अफगानिस्तान के लिए इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा 281 रन बनाए हैं। यानसन ने दूसरे ओवर में गुलबदीन नाइब को बोल्ड किया। गेंद हल्की सी अंदर की ओर आई थी और बल्ले से टकराकर स्टंप्स में जा लगी। 5वें ओवर में यानसन ने नांग्याल खरोती को पवेलियन भेजा। गेंद शॉर्ट थी और लेग स्टंप्स के बाहर। खरोती ने शॉट खेला और गेंद ग्लव्स से टकराकर डी कॉक के हाथों में चली गई।
जीत के हीरो
- तबरेज शम्सी: लोअर ऑर्डर बल्लेबाज अफगानिस्तान को 80 या 100 रन तक पहुंचा सकते थे। लेकिन तबरेज शम्सी ने उन्हें टिकने नहीं दिया। तबरेज शम्सी ने सिर्फ 12 गेंदें फेंकीं, इसमें एक वाइड थी। एक वाइड होने की वजह से शम्सी का ओवर 1.5 ही काउंट किया जाएगा। शम्सी ने 1.5 ओवर में 6 रन दिए और 3 विकेट ले लिए। उन्होंने ने करीम जनत, नूर अहमद और नवीन उल हक को पवेलियन भेजा। तीनों बल्लेबाज LBW आउट हुए।
- एनरिक नॉर्त्या 7वें ओवर में बॉलिंग पर आए। 3 ओवर में सिर्फ 7 रन दिए यानी हर ओवर में ढाई रन से भी कम। नॉर्त्या ने अजमतुल्लाह उमरजई और कप्तान राशिद खान के अहम विकेट लेकर अफगानिस्तान के मिडिल ऑर्डर को नाकाम कर दिया।
- रीजा हेंड्रिक्स ओपनर हेंड्रिक्स और क्विंटन डीकॉक के सामने छोटा टारगेट था। मुश्किल तब आई, जब दूसरे ही ओवर में फजल हक फारुकी ने डी कॉक को बोल्ड कर दिया। टीम का स्कोर सिर्फ 5 रन था। मुश्किल पिच पर रीजा हेंड्रिक्स ने पॉजिटिव क्रिकेट खेली और 25 गेंदों में 29 रन बनाए। 3 चौके और एक सिक्स लगाया। कप्तान एडेन मार्करम के साथ 55 रन का नाबाद साझेदारी की और लगातार एक चौका और एक छक्का लगाकर टीम को जीत दिला दी।
अफगानिस्तान की हार के 3 कारण
1. ओपनर्स फेल हो गए
अफगानिस्तान की टीम ने इस वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल समेत 8 मैच खेले। 3 मुकाबलों में उसे हार मिली, इंडिया के खिलाफ, वेस्टइंडीज के खिलाफ और साउथ अफ्रीका के खिलाफ। इंडिया के खिलाफ ओपनर्स रहमानुल्लाह गुरबाज और हजरतुल्लाह जजाई फेल रहे। वेस्टइंडीज के खिलाफ रहमानुल्लाह गुरबाज शून्य पर आउट हुए। साउथ अफ्रीका के खिलाफ रहमानुल्लाह गुरबाज शून्य और इब्राहिम जादरान 2 रन पर आउट हो गए।
जिन बड़ी टीमों के खिलाफ अफगानिस्तान जीता, उनमें ओनपर्स का बड़ा रोल था। न्यूजीलैंड के खिलाफ रहमानुल्लाह गुरबाज ने 80 और इब्राहिम जादरान ने 44 रन की पारी खेली। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों ओपनर्स ने फिफ्टी लगाई। बांग्लादेश के खिलाफ गुरबाज और जादरान ने अच्छी शुरुआत दी थी। गुरबाज ने 43 रन की पारी खेली। तीनों मैच अफगानिस्तान जीता।
यानी अफगानिस्तान की जीत में ओपनर्स का सबसे बड़ा रोल रहा, जिन मैचों में ये फेल हुए, टीम हार गई।
2. मुश्किल पिच पर टॉस जीता, पर फैसला गलत हुआ
त्रिनिदाद के ब्रायन लारा ग्राउंड में अफगानिस्तान के कप्तान राशिद खान टॉस जीते। ऐसी पिच पर बल्लेबाजी चुनी, जहां इस वर्ल्ड कप में 5 में से 4 मैच रन चेज करने वाली टीम जीती। पांचों मैच में कोई भी टीम 150 का टोटल नहीं छू सकी। वर्ल्ड कप में इस पिच पर सबसे कम टारगेट 40 रन है, जो युगांडा ने न्यूजीलैंड के खिलाफ बनाया था।
ब्रायन लारा स्टेडियम की पिच पर असमान उछाल थी। इस पर घास भी थी और क्रैक्स भी, जो पेसर्स के लिए फायदेमंद होते हैं। टॉस जीतकर अफगानिस्तान ने बैटिंग चुनी, लेकिन साउथ अफ्रीका ने ऐसी पिच का फायदा उठाया।
पिच का व्यवहार ना समझ पाने की वजह से अफगानिस्तान के जीत के चांसेस कम हो गए। टीम 56 पर ऑलआउट हो गई, जो साउथ अफ्रीका के लिए बेहद मामूली टोटल था।
3. बड़े मैच का प्रेशर और एक्साइटमेंट
अफगानिस्तान पहली बार किसी भी वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंची। टीम को ऐसे मुकाबलों में प्रेशर हैंडल करने का कोई एक्सपीरियंस नहीं था। टीम दबाव का सामना नहीं कर पाई और बल्लेबाजी में ही बिखर गई।
एक्साइटमेंट भी एक वजह रहा। कप्तान राशिद खान ने मैच से पहले कहा था, “हम एक बड़ा स्कोर चाहते हैं और इसके बाद हमें अपने बॉलिंग अटैक पर भरोसा है। हममें से कोई ज्यादा सोया नहीं है, लेकिन अभी भी सब ऊर्जावान हैं। ये हमारे लिए एक बड़ा गेम है।”
राशिद की टीम उत्साहित तो थी, लेकिन बड़े मैच से पहले रेस्ट की अहमियत को भूल गई। खिलाड़ियों के लिए मैच से पहले आराम बेहद जरूरी होता है, जो उन्होंने नहीं किया।
टर्निंग पॉइंट- रबाडा का एक ओवर, 2 विकेट
कगिसो रबाडा ने मोहम्मद नबी को शून्य पर बोल्ड कर दिया।
अफगानिस्तान 3 ओवर में 2 विकेट खो गए थे। अब जिम्मेदारी थी क्रीज पर मौजूद मजबूत बल्लेबाजों इब्राहिम जादरान और रहमतुल्लाह ओमरजई की। उन्हें फाइटिंग टोटल हासिल करना था। रबाडा चौथा ओवर लेकर आए। पहले ओपनर जादरान को बोल्ड किया। तेज रफ्तार गेंद पर जादरान हिल भी नहीं पाए और गेंद बल्ले का किनारा लेकर स्टंप्स से टकरा गई। इसके बाद सबसे एक्सपीरियंस बल्लेबाज मो. नबी आए। रबाडा ने उन्हें भी इसी तरह बोल्ड किया। इस झटके से अफगानिस्तान की टीम उबर नहीं पाई।
(Bureau Chief, Korba)