Friday, May 17, 2024
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CG: घंटों तक नहीं दिया बेड, मां-बच्चे ने तोड़ा दम.. इलाज के अभाव में तड़पती रही गर्भवती, अस्पताल में परिजनों ने जमकर किया हंगामा

छत्तीसगढ़: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में बुधवार तड़के इलाज के अभाव और स्टाफ की भारी लापरवाही के कारण प्रसव के दौरान एक मां और उसके बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद परिवार ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया। हालांकि जिसने भी महिला की बड़ी बेटी को मां के लिए तड़पकर रोते देखा, उसकी भी आंखों में आंसू आ गए। पति ने भी रो-रोकर अपनी आपबीती सुनाई कि किस तरह से अस्पताल के रवैये ने उसकी पत्नी की जान ले ली।

जानकारी के मुताबिक, सुबुक तारा नाम की महिला जो सूरजपुर जिले के प्रतापपुर की रहने वाली थी, उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए रेफर किया गया था। महिला का पति इजराइल जैसे-तैसे इंतजाम कर पत्नी को अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज मंगलवार दोपहर 12 बजे लेकर आया। उसके साथ दोनों बच्चे भी थे। महिला तीसरी बार मां बनने जा रही थी। परिजनों का आरोप है कि जब वे अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें 3 घंटे तक बेड नहीं मिल सका। उसकी पत्नी अस्पताल परिसर में बेड मिलने के इंतजार में तड़पती रही। उसकी तबियत बिगड़ती जा रही थी, लेकिन बहुत निवेदन करने पर भी स्टाफ का दिल नहीं पसीजा।

अस्पताल ने घंटों महिला को नहीं किया था एडमिट।

अस्पताल ने घंटों महिला को नहीं किया था एडमिट।

पीड़ित पति का कहना है कि जब उसकी पत्नी को बेड मिला, तो उसके इलाज में गंभीर लापरवाही बरती गई। न तो उसे इलाज दिया जा रहा था और न तो परिजनों से मिलने ही दिया जा रहा था। इसके बाद प्रसव कराने के लिए देर रात अस्पताल के स्टाफ ने पैसों की डिमांड की। जब उसने कहा कि वो बाद में पैसे दे देगा, फिलहाल इलाज शुरू किया जाए, तो अस्पताल ने साफ-साफ बिना पैसों के डिलीवरी कराने से इनकार कर दिया।

अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप।

अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप।

इसके बाद उसने रात में ही किसी तरह से पैसों का इंतजाम किया, तब जाकर महिला की डिलीवरी कराने की कोशिश की गई, लेकिन इसी दौरान मां और बच्चे दोनों ने दम तोड़ दिया। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही और पैसे मांगने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। इधर हंगामे की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़ित परिवार को समझा-बुझाकर शांत कराया।

अस्पताल प्रबंधन ने दिया कार्रवाई का आश्वासन

अस्पताल की सहायक अधीक्षक अर्पणा सिंह का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन आरोपों की जांच कराएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि CCTV फुटेज भी चेक किए जा रहे हैं।

सूरजपुर जिले में अस्पताल की लापरवाही से गई थी महिला की जान

इसी महीने 13 नवंबर को सूरजपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक बीमार महिला को नर्स ने इंजेक्शन लगाया, तो उसकी तबियत बिगड़ गई थी। इस पर नर्स ने परिजनों को झाड़-फूंक कराने की सलाह दे डाली और अस्पताल से ले जाने के लिए कह दिया था। परिजन जब तक वाहन का इंतजाम करते, नर्स ने महिला को स्कूटी पर बिठाया और जिला अस्पताल पहुंच गई थी। वहां डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद परिजनों ने गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाते हुए नर्स के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। मामला केतका प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का था और वहां पदस्थ नर्स लक्ष्मी सुतवंशी पर उसे इंजेक्शन लगाने का आरोप लगा था।

सूरजपुर में इसी महीने फूलो बाई नाम की महिला की हुई थी मौत।

सूरजपुर में इसी महीने फूलो बाई नाम की महिला की हुई थी मौत।

अस्पताल पर लापरवाही के लगातार लगते रहे हैं आरोप

इस साल अक्टूबर में दुर्ग जिले में भी अस्पताल पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगे थे। यहां डॉक्टरों और तीन पैरामेडिकल कर्मियों की लापरवाही के चलते एक 10 महीने के बच्चे की मौत हो गई थी। बच्चे के पिता ने आरोप लगाया था कि अगर बेटे को इंजेक्शन का ओवर डोज नहीं दिया जाता, तो आज वो जिंदा होता। मामला दुर्ग जिले के देवबालोदा गांव का था, जहां सर्दी-जुकाम के इलाज के लिए 27 अक्टूबर को 10 महीने के बच्चे को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 31 अक्टूबर को बच्चे की मौत हो गई थी।

दुर्ग जिले के सिद्धि विनायक अस्पताल में हुई थी 10 माह के बच्चे की मौत।

दुर्ग जिले के सिद्धि विनायक अस्पताल में हुई थी 10 माह के बच्चे की मौत।

इसके बाद दुर्ग जिला प्रशासन ने मामले की जांच के लिए टीम का गठन किया था। रिपोर्ट आने के बाद 3 डॉक्टरों और 4 अस्पताल के स्टाफ को नौकरी से हटा दिया गया था। जांच में सिद्धि विनायक हॉस्पिटल के डॉक्टर सुमित राज प्रसाद, डॉक्टर दुर्गा सोनी, डॉक्टर हरिराम यादु और डॉक्टर गिरीश साहू समेत तीन पैरामेडिकल स्टाफ विभा साहू, आरती साहू और निर्मला यादव की लापरवाही सामने आई थी। इन सभी को बर्खास्त किया गया। लापरवाही के चलते अस्पताल का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया गया था। 

10 महीने के बच्चे को दिया गया था दवाई का ओवरडोज।

10 महीने के बच्चे को दिया गया था दवाई का ओवरडोज।

महीनेभर पहले जगदलपुर के दंतेश्वरी हॉस्पिटल में हुई थी महिला की मौत

एक महीने पहले अक्टूबर में ही जगदलपुर शहर के निजी नर्सिंग होम के डॉक्टर के खिलाफ कोंडागांव के एक आदिवासी परिवार ने बोधघाट थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में कहा गया था कि कोंडागांव जिले के गुलबा पंचायत की ललिता कोर्राम को बंसल नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया था। इस दौरान परिजनों की बिना सहमति के महिला का कोई ऑपरेशन किया गया था, जिसके बाद महिला की तबियत बिगड़ने लगी। इसके बाद उसे दंतेश्वरी हॉस्पिटल में रेफर किया गया था, जहां इलाज के दौरान महिला ने दम तोड़ दिया था।

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