छत्तीसगढ़: रायपुर के महिला आयोग दफ्तर में पति-पत्नी के बीच का विवाद पहुंचा। इस दंपती के दो बच्चे हैं 5 साल का छोटा बेटा मां के साथ रहता है और बड़ा बेटा पिता के साथ। आयोग में सुनवाई के वक्त पति-पत्नी पहुंचे और छोटा बेटा भी। एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए जब दोनों ने अलग रहने की इच्छा जताई तब महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने छोटे बच्चे को अपने पास बुलाया और पूछा कि तुम्हें किसके साथ रहना है? बड़ी ही मासूमियत के साथ उस बच्चे ने जवाब दिया दोनों के साथ।
महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमई नायक ने बच्चे से कहा कि अपने मम्मी पापा के पास जाओ और उनसे कहो कि वह साथ रहे। 5 साल का छोटा बेटा अपने मां बाप के पास पहुंचा उसने दोनों के हाथ पकड़े और कहा मुझे आप दोनों के साथ रहना है। इस मासूम गुजारिश को सुनकर पति-पत्नी का भी दिल पसीजा और कुछ देर पहले एक दूसरे पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे पति पत्नी शांत हुए।
पति शिक्षाकर्मी पर गुजारे के रुपए नहीं देता
महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमई नायक ने दैनिक भास्कर को बताया कि एक शिक्षाकर्मी का उसकी पत्नी से मामूली बातों पर विवाद हुआ करता था। खाना बनाने, घरेलू कामकाज करने को लेकर पति-पत्नी झगड़ा करते थे और कुछ महीनों से अब अलग होकर रह रहे हैं। महिला ने शिकायत की थी कि उसके पति शिक्षाकर्मी है और अपने वेतन से गुजारे के लिए रुपये नही देते। इसी मामले की सुनवाई के तहत दोनों को बुलवाया गया था। सुनवाई के बाद पति अपनी पत्नी को ₹15000 हर महीने देने के लिए राजी हो गया है। जल्द ही पति पत्नी साथ ही रहेंगे इसे लेकर पति ने थोड़ा वक्त मांगा है। आयोग की तरफ से कहा गया हम प्रयास कर रहे हैं कि यह परिवार न टूटे।
इन मामलों की भी सुनवाई
आयोग ने जिला अस्पताल के एक कर्मचारी के लंबित वेतन तथा उन्हें अनावश्यक परेशान करने से संबंधित प्रकरण की सुनवाई की। जिला अस्पताल की महिला कर्मचारी का वेतन रोका गया था । उसने अपने बच्चे का इलाज उसी अस्पताल में कराना चाहा, मगर बच्चे को निजी हास्पिटल रायपुर में रेफर किया गया था। मामले में आयोग ने सिविल सर्विस सिविल सर्जन से पूछताछ कर सुनवाई को जारी रखने को कहा।
यहां एक अन्य महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि उसके माता पिता की मृत्यु कोविड काल मे हुइ थी। पिता सरकारी नौकरी में थे । महिला के भाई ने पिता के सर्विस रिकार्ड मे महिला का नाम होने के बावजूद ग्रैचुइटी की राशि 8 लाख रुपए निकाल लिए। अनुकंपा नियुक्ति भी ले ली। महिला ने यह भी बताया कि उसके भाई ने शासकीय अभिलेख मे स्वयं को एक मात्र पुत्र बताकर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त किया है जो कि पुरी तरह धोखेबाजी का मामला है। आयोग ने दोनों पक्षो को समझाइश देकर दस्तावेज पेश करने को कहा।
बुधवार को महिला आयोग ने कुल 23 प्रकरणों की सुनवाई की जिसमें से 11 मामलों का निपटारा कर लिया गया 6 मामलों में समझौते के लिए जरूरी दस्तावेज आयोग में मंगवाए गए हैं। अन्य प्रकरणों में जल्द ही नए सिरे से सुनवाई करते हुए मामलों को सुलझाया जाएगा।