Wednesday, May 8, 2024
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BCC News 24: BIG न्यूज़- राजस्थान में अघोषित बिजली कटौती शुरू.. 2000 मेगावाट बिजली की जरुरत; छत्तीसगढ़ सरकार ने अटकाई कोयला खनन मंजूरी, गहलोत के बार-बार आग्रह के बावजूद नहीं माने बघेल

जयपुर/रायपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बार-बार पत्र लिखने और आग्रह के बावजूद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजस्थान को छत्तीसगढ़ में कोयला खनन की मंजूरी नहीं दे रहे हैं। इससे राजस्थान में कोयले की किल्लत पैदा हो गई है। बिजली प्रोडक्शन गड़बड़ा गया है। प्रदेश में कुल 7580 मेगावट के थर्मल पावर प्लांट्स में से करीब 4000 मेगावाट प्लांट्स में बिजली प्रोडक्शन प्रभावित हो गया है। ज्यादातर पावर प्लांट्स कम कैपिसिटी पर चलाए जा रहे हैं। प्रोडक्शन घटने के कारण कई जिलों में ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में 2 से 3 घंटे की अघोषित बिजली कटौती शुरू कर दी गई है। जबकि कई इलाकों में मेंटीनेंस या टेक्नीकल सुधार के नाम पर 3 से 4 घंटे तक बिजली काटी जा रही है। इसका सीधा असर बिजली उपभोक्ता पर पड़ रहा है।पीक आवर्स में करीब 2 हजार मेगावाट बिजली कम पड़ रही है। बीते 24 घंटों में बिजली की अधिकतम डिमांड 15 हजार 576 मेगावाट रही। जबकि औसत उपलब्धता 13585 और औसत डिमांड 11384 रही है। बिजली संकट से निपटने के लिए डिमांड के मुताबिक लाखों यूनिट बिजली की खरीद करनी पड़ रही है। जो लगभग 5.73 रुपए यूनिट की रेट पर मिल रही है।

पारसा कोल ब्लॉक माइनिंग एरिया।

पारसा कोल ब्लॉक माइनिंग एरिया।

छत्तीसगढ़ ने अटका रखी है माइनिंग की मंजूरी

बिजली संकट का बड़ा कारण छत्तीसगढ़ से कोयले की पूरी सप्लाई नहीं मिलना है। मौजूदा पारसा कोल ब्लॉक में कोयला खत्म होने के कगार पर है। बाकी कोयला मंत्रालय की कम्पनियों और राजस्थान की खानों से मिलाकर प्रदेश को 18-19 रैक कोयला ही औसत तौर पर रोजाना मिल पा रहा है। जबकि 26 से 27 रैक कोयला रोजाना चाहिए। छत्तीसगढ़ सरकार ने राजस्थान सरकार की बिजली कम्पनी को कोयला खानों पर माइनिंग शुरू करने की मंजूरी नहीं दी है। कांग्रेस की बघेल सरकार राजस्थान को पारसा ईस्ट एंड कांता बेसिन के फेज़-2 में 1136 हेक्टेयर एरिया और पारसा कोल माइंस में सालाना 5 मिलियन टन को कोयला माइनिंग कैपेसिटी प्लांट से खनन की मंजूरी नहीं नहीं दे रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार-बार बघेल सरकार से इसके लिए आग्रह कर चुके हैं। सोनिया गांधी से भी पिछले साल शिकायत की जा चुकी है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक फॉरेस्ट लैंड क्षेत्र में माइनिंग एरिया आने, स्थानीय आदिवासियों और राजनीतिक विरोध के कारण पेंच फंसा हुआ है। ऐसे में राजस्थान को केन्द्र सरकार के कोयला मंत्रालय से कोयले की मांग करनी पड़ रही है। हालांकि केन्द्र सरकार और कोयला मंत्रालय अपनी ओर से पर्यावरण स्वीकृति जारी कर चुके हैं। नवम्बर 2021 में ही केन्द्र सरकार और केन्द्रीय कोल मंत्रालय ने राजस्थान को कोयले का स्टॉक रोड कम रेल मोड से करने के लिए कह दिया था। बावजूद इसके राजस्थान के ऊर्जा विभाग और विद्युत उत्पादन निगम के अधिकारियों ने लापरवाही करते हुए तय गाइडलाइंस के मुताबिक कम से कम 26 दिन का कोयला स्टॉक मेंटेन नहीं किया।

मंत्री भंवर सिंह भाटी और एसीएस डॉ सुबोध अग्रवाल की पिछली रिव्यू मीटिंग।

मंत्री भंवर सिंह भाटी और एसीएस डॉ सुबोध अग्रवाल की पिछली रिव्यू मीटिंग।

फरवरी में मंत्री और एसीएस कर चुके दिल्ली दौरा

पिछले महीने ऊर्जा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी और विभाग के एसीएस डॉ सुबोध अग्रवाल ने दिल्ली में केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, केन्द्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव, कोल सचिव अनिल कुमार जैन और अतिरिक्त सचिव कोल विनोद तिवारी सहित कोल और रेलवे के सीनियर अफसरों से राजस्थान में कोयला संकट पर लम्बी चर्चा की थी। जिसमें केन्द्र सरकार से प्रदेश को कोल इंडिया से अतिरिक्त कोयला आवंटित करने, वैकल्पिक खदान से कोयला उपलब्ध कराने, रेलवे की रैक की उपलब्धता बढ़ाने सहित कई पॉइंट्स रखे। लेकिन अब तक कोयले की आपूर्ति में सुधार नहीं हो सका है।

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