मध्यप्रदेश: ग्वालियर में एक अनोखा मामला सामने आया है। एक पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय मांगा है। पति का कहना है कि उसकी पत्नी पुरुष है। उसने अर्जी में कहा है कि, ससुर ने धोखा देकर मेरी शादी करा दी। मेरी पत्नी का प्राइवेट पार्ट पुरुष का है। मैं उसके साथ कैसे रह सकता हूं? मेरी पत्नी और ससुर पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर विचार के लिए तैयार हो गया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की पत्नी, ससुर और मध्यप्रदेश पुलिस को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा है।
मप्र हाईकोर्ट के फैसले को शीर्ष कोर्ट में चुनौती
इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जून 2021 में फैसला दिया था। इसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया था। इसमें धोखाधड़ी के आरोप का संज्ञान लेने के बाद पत्नी को समन जारी किया गया था। एडवोकेट मोदी ने कोर्ट में कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त मेडिकल साक्ष्य हैं कि एक अपूर्ण हाइमेन के कारण पत्नी को महिला नहीं कहा जा सकता। मामले में शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या आप कह सकते हैं कि वह महिला नहीं है, क्योंकि एक अपूर्ण हाइमेन है। मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके अंडाशय सामान्य हैं।
सुप्रीम कोर्ट में पेश की मेडिकल रिपोर्ट
ग्वालियर के इस शख्स ने कोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट भी पेश की है। इसमें खुलासा किया गया कि उसकी पत्नी का हाइमेन डेवलप नहीं है। इंपरफोरेट हाइमन नहीं है, जिसमें बिना खुला हुआ हाइमन महिला के प्राइवेट पार्ट को पूरी तरह से बाधित कर देता है।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट एनके मोदी सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच को बताया कि यह IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत अपराध है। यह ऐसा मामला है, जहां याचिकाकर्ता को पुरुष से शादी कराकर ठगा गया है। वह निश्चित रूप से प्राइवेट पार्ट के बारे में जानती थी।
जब प्राइवेट पार्ट पुरुष का है, तो वो महिला कैसे?
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक सवाल पर एडवोकेट एनके मोदी ने जवाब दिया था कि ‘पत्नी’ के पास न केवल एक अंडरडेवलप्ड हाइमन है, बल्कि पुरुष का प्राइवेट पार्ट भी है। पीठ ने तब एडवोकेट से पूछा- आपका मुवक्किल वास्तव में क्या चाह रहा है? इस पर एनके मोदी ने जवाब दिया कि पत्नी पर मुकदमा चलाया जाए। पत्नी और उसके पिता को धोखा देने और उसका जीवन बर्बाद करने के लिए कानून के तहत परिणाम भुगतने चाहिए।
मई 2019 में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दिया था समन
इससे पहले ग्वालियर के मजिस्ट्रेट ने मई 2019 में पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप का संज्ञान लिया था। उन्होंने दावा किया कि 2016 में उनकी शादी के बाद उन्होंने पाया कि पत्नी के पास पुरुष जननांग है, इसलिए वह शारीरिक रूप से उपभोग करने में अक्षम है। अगस्त 2017 में, व्यक्ति ने पत्नी और उसके पिता के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट को आवेदन दिया था। पत्नी ने पति के खिलाफ 498ए (क्रूरता) के तहत दहेज का मामला भी दर्ज कराया है।
पहली पत्नी के पिता ने कराई थी दूसरी शादी
बता दें, याचिकाकर्ता की पहली पत्नी का बीमारी से निधन हो गया था। पहली पत्नी से दो बच्चे हैं। इनकी देखभाल के लिए वह दूसरी शादी करना चाहता था, इसलिए पहली पत्नी के पिता ही यह रिश्ता लेकर आए थे। शादी के बाद पता चला कि जिससे उसकी दूसरी शादी हुई वह महिला नहीं, पुरुष है। इसके बाद शादी को शून्य घोषित करने के लिए फैमिली कोर्ट में आवेदन किया था।