Tuesday, June 24, 2025

वॉशिंगटन: ट्रम्प-जेलेंस्की की बहस के 3 दिन बाद अमेरिका का बड़ा ऐलान, यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य मदद रोकीं

वॉशिंगटन: व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच बहस के 3 दिन बाद अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद रोकने का ऐलान किया है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। ऐसी मदद जो अमेरिका से अभी तक यूक्रेन नहीं पहुंची है, उसे भी रोक दिया गया है। इसमें पोलैंड तक पहुंच चुका सामान भी शामिल है।

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के अनुसार रोकी गई मदद तब तक बहाल नहीं की जाएगी, जब तक राष्ट्रपति ट्रम्प को यह यकीन नहीं हो जाता कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वास्तव में शांति चाहते हैं।

यूक्रेन की सैन्य मदद रोकने से कुछ घंटे पहले ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा,

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जेलेंस्की नहीं चाहते कि जब तक उन्हें अमेरिका का समर्थन हासिल है, तब तक शांति हो। यह जेलेंस्की की तरफ से दिया गया सबसे खराब बयान है। अमेरिका इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।QuoteImage

जेलेंस्की 28 फरवरी को ट्रम्प से मिलने व्हाइट हाउस पहुंचे थे।

जेलेंस्की 28 फरवरी को ट्रम्प से मिलने व्हाइट हाउस पहुंचे थे।

एक अधिकारी का दावा- मदद स्थायी तौर पर नहीं रोकी गई

यूक्रेन को सैन्य मदद रोके जाने को लेकर फिलहाल अमेरिकी रक्षा विभाग और राष्ट्रपति ट्रम्प ने कोई टिप्पणी नहीं की है। ब्लूमबर्ग ने रक्षा विभाग के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि राष्ट्रपति ट्रम्प इस बात की समीक्षा कर रहे हैं कि क्या जेलेंस्की रूस के साथ शांति कायम करना भी चाहते हैं या नहीं। ट्रम्प प्रशासन के एक अधिकारी ने फॉक्स न्यूज से कहा कि यह मदद स्थायी तौर पर नहीं रोकी गई है।

बाइडेन प्रशासन ने 20 जनवरी को एक बयान में कहा कि उसने फरवरी 2022 से यूक्रेन को 65.9 बिलियन डॉलर की सैन्य मदद दी है। इन सैन्य मदद में मिसाइलों से लेकर लैंडमाइंस तक शामिल हैं। अमेरिकी मदद के बिना यूक्रेन का रूस के सामने 3 साल से भी ज्यादा समय तक टिक जाना नामुमकिन था।

अमेरिका ने रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन को ये अहम हथियार दिए हैं…

पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम- हाइपर सोनिक मिसाइलों को रोकने के काबिल

अमेरिका ने यूक्रेन को 3 पैट्रियट मिसाइल सिस्टम दिए। पैट्रियट दुनिया के सबसे भरोसेमंद मिसाइल सिस्टम में से एक है। इसकी मिसाइलें 70 किलोमीटर दूर और 24 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी दुश्मन के हमले को नाकाम कर सकता है। यूक्रेन ने इसी की मदद से नवंबर में रूस के 7 हाइपरसोनिक किंजल और एक जिरकॉन मिसाइल को मार गिराया था।

नैसेम्स एयर डिफेंस सिस्टम- एक साथ कई मिसाइलों को ट्रैक कर नष्ट करने के काबिल

अमेरिका की तरफ से यूक्रेन को नैसेम्स मिसाइलें यानी नेशनल एडवांस्ड सर्फेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम भी दिया है। नैसेम्स मिसाइलों ने रूस की तरफ से यूक्रेन में किए जा रहे हवाई हमलों से यूक्रेन को सेफ किया था। पैट्रियट और नैसेम्स की वजह से ही यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई प्रमुख शहर रूसी मिसाइल और हवाई हमलों से बचे हुए हैं।

जेवलिन एंटी टैंक मिसाइल- रूसी तोपों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया

यूक्रेन जंग में सबसे ज्यादा जेवलिन एंटी टैंक मिसाइल का इस्तेमाल हुआ है। यूक्रेन को अब तक 10,000 से ज्यादा जेवलिन मिसाइलें दी जा चुकी हैं। जेवलिन एंटी टैंक मिसाइल ने रूसी बख्तरबंद गाड़ियों को भारी नुकसान पहुंचाया। इसकी वजह से ही रूसी टैंक, यूक्रेनी सीमा के बहुत ज्यादा भीतर नहीं घुस पाईं।

हिमार्स आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम- एक बार में 6 रॉकेट दागने के काबिल

अमेरिका ने यूक्रेन को 20 हिमार्स दिए हैं। यह एक मोबाइल रॉकेट लॉन्चर है जो तेजी से दुश्मनों के ठिकानों पर हमला करने के लिए जाना जाता है। इसकी रेंज 80 किमी है। इसकी सबसे अच्छी बात यह होती है कि यह गोला-बारूद के हिसाब से अपनी रेंज को चेंज कर देता है। यूक्रेन ने खेरसॉन और डोनबास में इसका काफी इस्तेमाल किया।

M777 तोप- बेहद हल्का होने की वजह से कहीं भी ले जाने में सक्षम

अमेरिका ने यूक्रेन को 200 से ज्यादा हॉवित्जर तोपें दी हैं। 24 से 40 किलोमीटर की रेंज वाली ये तोपें यूक्रेनी सेना को मध्यम दूरी से हमला करने की क्षमता देती हैं। टाइटेनियम से बना होने के कारण इसका वजन सिर्फ 4,200 किलो है। इसे हेलिकॉप्टर से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसमें 155 mm गोले का इस्तेमाल होता है।

ATACMS मिसाइलें- लंबी दूरी की सटीक मिसाइल, GPS गाइडेंस सिस्टम से लैस

बाइडेन सरकार ने अक्टूबर 2024 में यूक्रेन को लड़ने के लिए टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम दी। ये मिसाइलें 300 किलोमीटर के आसपास के ठिकानों को आसानी और सटीकता से निशाना बना सकती हैं। इनका इस्तेमाल क्रीमिया, पूर्वी यूक्रेन और रूस के अंदर सीमित लेकिन रणनीतिक हमलों के लिए हुआ, जिससे रूस पर दबाव बढ़ा। हालांकि बाइडेन सरकार ने कार्यकाल के आखिरी समय में यूक्रेन को देश से बाहर भी इसका इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी थी।

155 mm गोले- फटने पर 2000 टुकड़े होते हैं

यूक्रेन जंग में सेना के बजाय तोप और ड्रोन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। इन गोले का इस्तेमाल यूक्रेनी सेना को दुश्मन की अग्रिम पंक्तियों पर हमला करने, बंकरों को नष्ट करने, और बड़े क्षेत्रों में विस्फोटक हमला करने की अनुमति देता है। यूक्रेन हर दिन 10 हजार गोले का इस्तेमाल करता है। अमेरिका अब तक 30 लाख से अधिक 155 mm गोले यूक्रेन को भेज चुका है।

इसके अलावा अमेरिाक ने यूक्रेन को ड्रोन के कई अलग-अलग मॉडल भी दिए हैं। इसमें विशेष तौर पर निगरानी और हमले करने वाले ड्रोन हैं। अमेरिका ने सबसे ज्यादा कामिकेज ड्रोन भेजे हैं। ये ड्रोन दुश्मन के ठिकाने पर सटीक हमला करने में सक्षम हैं। इसके अलावाी फोनिक्स घोस्ट ड्रोन, रावेन और WASP जैसे छोटे निगरानी ड्रोन भी यूक्रेन को दिए गए हैं।

यूक्रेन की 8.7 हजार करोड़ रुपए की मदद रुकी

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इससे एक अरब डॉलर (8.7 हजार करोड़ रुपए) के हथियार और गोला-बारूद संबंधी मदद पर असर पड़ सकता है। इन्हें जल्द ही यूक्रेन को डिलीवर किया जाना था।

ट्रम्प के आदेश के बाद उस मदद को भी रोक दिया गया है जिसका इस्तेमाल यूक्रेन सिर्फ अमेरिकी डिफेंस कंपनियों से सीधे नए सैन्य हार्डवेयर खरीदने के लिए कर सकता है। अमेरिकी सहायता रोके जाने पर राष्ट्रपति जेलेंस्की की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने CNN से कहा कि यह साफ है कि फैसला जेलेंस्की के बुरे बर्ताव की वजह से उठाया गया। उन्होंने कहा कि अगर जेलेंस्की जंग को खत्म करने के लिए बातचीत की कोशिश करते हैं, तब शायद ये रोक हटाई जा सकती है।

यूक्रेन पर 2 से 4 महीने में दिखेगा मदद रुकने का असर

सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मार्क कैन्सियन ने कहा कि अमेरिका के मदद रोकने के फैसले से यूक्रेन पर बहुत असर पड़ने वाला है। ट्रम्प के इस फैसले ने एक तरह से यूक्रेन को ‘अपंग’ कर दिया है।

कैन्सियन ने कहा कि अमेरिकी मदद रुकने का मतलब है कि अब यूक्रेन की ताकत आधी हो गई है। इसका असर दो से चार महीने में दिखने लगेगा। फिलहाल यूरोपीय देशों से मिलने वाली सहायता से यूक्रेन कुछ समय तक लड़ाई में बना रहेगा।

खुफिया जानकारी देना भी बंद कर सकता है अमेरिका

कैन्सियन ने कहा कि इस फैसले का मतलब ये है कि यूक्रेन को अब किसी भी हाल में पीस डील को स्वीकार करना पड़ेगा। कैन्सियन ने चेतावनी दी कि ट्रम्प प्रशासन यूक्रेन को कमजोर करने के लिए और भी कई तरीके आजमा सकता है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूक्रेन को दी जाने वाली खुफिया जानकारी बंद कर और यूक्रेनी सेना को मिल रही ट्रेनिंग रोककर जेलेंस्की को घुटनों पर ला सकते हैं।

यूक्रेन की सैन्य मदद रोकने के फैसले से क्या असर पड़ेगा

अमेरिका यूक्रेन का एक प्रमुख समर्थक रहा है। पिछले 3 साल में अमेरिका ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ संघर्ष में हथियार, गोला-बारूद और वित्तीय सहायता दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मदद के बंद होने से यूक्रेन की रक्षा क्षमता पर असर पड़ेगा। यूक्रेन को अपने इलाके पर पकड़ बनाए रखने में मुश्किलें आ सकती हैं।

यूक्रेन की सेना अमेरिका से मिले हथियारों खासकर तोप, ड्रोन और मिसाइल सिस्टम पर बहुत निर्भर रहा है। इसके बंद होने के बाद यूक्रेन का रूसी हमलों का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। इससे रूस, यूक्रेन के कुछ और इलाकों पर कब्जा कर सकता है।

अमेरिका के साथ बातचीत को तैयार हुए थे जेलेंस्की

इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने 3 मार्च को कहा था कि वे अमेरिका-यूक्रेन मिनरल्स डील पर दस्तखत करने के लिए तैयार हैं। जेलेंस्की ने लंदन में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि वे पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बहस के बाद भी अमेरिका के साथ बातचीत करने को इच्छुक हैं।

जेलेंस्की ने कहा कि व्हाइट हाउस में हुई उस घटना का अमेरिका या यूक्रेन को नहीं, बल्कि सिर्फ रूसी राष्ट्रपति पुतिन को फायदा पहुंचा है। उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे मिनरल डील के लिए बुलाया जाता है तो मैं व्हाइट हाउस वापस जाऊंगा।’

जेलेंस्की ने सोमवार को वीडियो जारी कर अपना पक्ष रखा।

जेलेंस्की ने सोमवार को वीडियो जारी कर अपना पक्ष रखा।

जेलेंस्की ने शांति के लिए सुरक्षा गारंटी की शर्त फिर से रखी

जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी की मांग सुनी जाएगी। दोनों पक्ष इस पर सहमत होते हैं तो डील पर दस्तखत किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वे बस इतना चाहते हैं कि यूक्रेन का पक्ष भी सुना जाए। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे साझेदार याद रखें कि इस जंग में हमलावर कौन है।

जेलेंस्की ने सोमवार सुबह सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी पोस्ट किया। इसमें उन्होंने कहा कि हम अमेरिका की अहमियत को समझते हैं। ऐसा कोई भी दिन नहीं गुजरा जब हमने अमेरिका का एहसान न माना हो।

जेलेंस्की ने फिर कहा कि हम सभी इस बात पर सहमत हैं कि शांति के लिए सुरक्षा गारंटी जरूरी है। यह पूरे यूरोप की स्थिति है।


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