महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी ममता बनर्जी की राह पर चल निकले हैं. उन्होंने राज्य में सीबीआई जांच को दी आम सहमति को वापस ले लिया है. इस फैसले के बाद CBI को हर मामले की जांच से पहले राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी.
मुंबई: सीबीआई को महाराष्ट्र में किसी मामले की जांच से पहले अब राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी. राज्य सरकार ने जांच के लिए सीबीआई को दी गई आम सहमति को वापस ले लिया है. जिसकी वजह से अब महाराष्ट्र में हर केस की जांच से पहले केंद्रीय जांच एजेंसी को राज्य से इजाजत लेनी होगी. उद्धव ठाकरे सरकार के इस कदम से केंद्र और राज्य के बीच टकराव बढ़ने की आशंका है.
बुधवार को जारी किया आदेश
महाराष्ट्र सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी आदेश बुधवार को जारी किया. इसके बाद सीबीआई को अब राज्य में शक्तियों और न्यायाक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी, जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा 22 फरवरी 1989 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी. लिहाजा अब उसे किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी.
यह तो नहीं आधार?
उद्धव सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिरफारिश के आधार पर टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स (TRP) में कथित तौर पर हेरफेर किए जाने को लेकर FIR दर्ज की है. जानकारी के मुताबिक, मामला पहले लखनऊ में एक विज्ञापन कंपनी के प्रमोटर की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसे यूपी सरकार ने सीबीआई को सौंप दिया. मालूम हो कि TRP कांड का मुंबई पुलिस ने खुलासा किया था और इसकी जांच के लिए कई लोगों को समन भेज चुकी है.
सुशांत केस की जांच पर असर नहीं
सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच भी सीबीआई कर रही है, लेकिन जांच पर राज्य सरकार के इस फैसले का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वैसे, मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने को लेकर भी महाराष्ट्र सरकार ने आपत्ति जताई थी, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और शीर्ष अदालत ने जांच सीबीआई को सौंप दी. इससे पहले, मुंबई पुलिस जांच कर रही थी.
ये राज्य भी ले चुके हैं फैसला
इससे पहले, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों ने भी महाराष्ट्र जैसे कदम उठाये हैं. ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में छापे मारने और जांच के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति को वापस लेते हुए आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार सीबीआई और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जैसे महत्वपूर्ण भारतीय संस्थानों को बर्बाद कर रही है.
