कोरबा में दूसरे जिलों के मरीज को भर्ती नहीं करने के मामले में जारी आदेश को चुनौती देते हुए अकलतरा के भाजपा विधायक ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस मामले में हाई कोर्ट ने कोरबा कलेक्टर व सीएमएचओ के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई। सुनवाई के दौरान ही महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा को कहना पड़ा कि इस आदेश को तत्काल वापस ले रहें है
बिलासपुर। कोरबा में दूसरे जिलों के मरीज को भर्ती नहीं करने के मामले में जारी आदेश को चुनौती देते हुए अकलतरा के भाजपा विधायक ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस मामले में हाई कोर्ट ने कोरबा कलेक्टर व सीएमएचओ के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई। सुनवाई के दौरान ही महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा को कहना पड़ा कि इस आदेश को तत्काल वापस लिया जा रहा है।
विधायक सौरभ सिंह ने अपने वकील सुमित सिंह के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कोरबा के सीएमएचओ डा. बीबी बोर्डे द्वारा जारी उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने 23 अप्रैल को कलेक्टर किरण कौशल के आदेश का हवाला देते हुए दूसरे जिलों के मरीज को भर्ती नहीं करने का फरमान जारी किया था। इसमें कहा गया कि सीएमएचओ व कलेक्टर को इस तरह से कोरोना के मरीज के संबंध में आदेश जारी करने का अधिकार ही नहीं है। उनका यह आदेश पूरी तरह से अवैधानिक व अमानवीय है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन दिन पहले जारी आदेश का भी हवाला दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आदेशित किया है कि देश का कोई भी मरीज किसी भी अस्पताल में भर्ती हो तो उससे ना तो आधार कार्ड मांगा जा सकता है और ना रुपयों की मांग की जा सकती है। सिर्फ कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट देखकर मरीजों को तत्काल भर्ती कर उपचार शुरू किया जाए। इस मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू ने महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा से पूछा ने किस कानून के तहत यह आदेश जारी किया गया है। कोर्ट के सख्त एतराज करने के बाद महाधिवक्ता वर्मा ने कहा कि शासन की तरफ से यह आदेश वापस लिया जा रहा है। उन्होंने कोरबा कलेक्टर व सीएमएचओ के आदेश को तत्काल बहाल करने की बात कही और आदेश कोर्ट में प्रस्तुत करने कहा। इसके बाद कोर्ट ने इस प्रकरण को निराकृत कर दिया है।