Friday, May 3, 2024
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कोरबा: कोविड टीका ब्लड प्रेशर, डायबटिज, किडनी तथा कैंसर वाले मरीजों के लिए भी सुरक्षित, 45 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी लोग लगवाएं टीका….

कोरबा 14 अप्रैल 2021/कोरोना वायरस का टीका किडनी, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से संबंधित विभिन्न प्रकार के बीमारी के मरीजों के लिए भी सुरक्षित हैं। 45 वर्ष और इससे अधिक उम्र के सभी लोगों को कोविड वैक्सीनेशन जरूर कराना चाहिए। कोविड टीका के बारे में किसी भी प्रकार की भ्रांतियों को ध्यान में ना रखते हुए सभी पात्र लोगों को कोविड टीका लगाना चाहिए। कोरोना वायरस का लगभग 90 प्रतिशत संक्रमण वर्तमान में 45 वर्ष और इससे अधिक आयु वर्ग के लोगों में हो रहा हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने और दूसरे लोगों में फैलने से बचाने के लिए 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को टीका अवश्य लगाना चाहिए।
कॉर्डियोलॉजी एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट मेडिकल कालेज रायपुर के विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार कोविड 19 की वैक्सीन इस बीमारी से होने वाली मृत्यु को रोकने में शत प्रतिशत प्रभावी है। इसे लगाने के बाद यदि व्यक्ति को संक्रमण होता है तो भी वह गंभीर प्रकार का नही होगा। उन्होने कहा कि उच्च जोखिम वाले समूह यानि 45 वर्ष से अधिक आयु की आबादी का टीकाकरण करने से मृत्यु दर में बहुत कमी हो जाएगी। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड संक्रमण वाले लोगों को ठीक होने के आठ से 12 सप्ताह के बाद टीका लगवाना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति ने कोविड-19 संक्रमण के ईलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी प्राप्त की है तो उसे टीका लेने से पहले आठ से 12 सप्ताह तक इंतजार करना चाहिए। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, गुर्दे की बीमारी और हृदय रोग, बाईपास, पोस्ट-एंजियोग्राफी और डायलिसिस के रोगियों में भी वैक्सीन सुरक्षित है। ब्लड थिनर जैसे वॉर्फरिन या नए एंटी-कोअगुलेशन एजेंट्स’ लेने वाले मरीजों के इजेक्शन साइट पर सूजन का एक छोटा जोखिम होता है। जो रोगी इन नए दवाईयों से ईलाज करवा रहे हैं वे अपनी सुबह की खुराक को छोड़ सकते हैं तथा टीका लगवा कर अगली नियमित खुराक जारी रख सकते हैं।
डाॅ. श्रीवास्तव ने बताया कि स्ट्रोक, पार्किंसंस डिजीज, डिमेंशिया जैसी मानसिक बीमारी वाले मरीजों को वैक्सीन लेना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए सुरक्षित है। किसी भी प्रकार के इम्युनोसप्रेसेन्ट (यानी अंग प्रत्यारोपण से गुजरने वाले मरीज) मरीज सुरक्षित रूप से वैक्सीन ले सकते हैं। हालांकि, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पूरी नहीं हो सकती है। नामांकन करने से पहले अपने चिकित्सक से जाँच करानी चाहिए। उन्होने कहा कि यह टीका नपुंसकता का कारण नही बनता है और न हीे किसी वैक्सीन से किसी व्यक्ति का डीएनए बदल सकता है। कोविड टीका के बारे में यह बातें पूरी तरह से भ्रामक है तथा इसका कोई वैज्ञानिक तथ्य नही है। कैंसर वाले और कीमोथेरेपी से गुजरने वाले मरीजों को अपने डॉक्टर स परामर्श करना चाहिए और कीमोथेरेपी चक्रों के बीच टीकाकरण के लिए एक उपयुक्त समय की तलाश करनी चाहिए। आदर्श रूप से, रोगी को टीके लेने के लिए कम से कम 4 सप्ताह बाद कीमोथेरेपी का इंतजार करना चाहिए। टीकाकरण के बाद बुखार, शरीर में दर्द, चक्कर आना, सिरदर्द सामान्य लक्षण हैं। यदि आवश्यक हो तो पैरासिटामोल दवाई को टीकाकरण के बाद लिया जा सकता है, और अधिकांश लक्षणों को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।

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