Saturday, May 4, 2024
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छत्तीसगढ़: दो साल में 15 हजार लोगों ने मौत को गले लगाया; नेता प्रतिपक्ष धरमलाल बोले- डिप्रेशन में हैं किसान, सरकारी कर्मचारी और आम लोग…

छत्तीसगढ़ में जनवरी 2019 से 28 फरवरी 2021 तक करीब 15 हजार लोगों की आत्महत्या की है। ये आंकड़ा हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान राज्य सरकार की तरफ से ही जारी किया गया था। सोमवार को इस मामले में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि ये चिंता का विषय है। धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश में आम लोग, किसान और सरकारी कर्मचारी डिप्रेशन में हैं। इन वर्गों के लोगों में हताशा और निराशा बढ़ी है। उन्होंने मौजूदा सरकार की गलत नीतियों को इस मामले में कसूरवार ठहरया।

प्रदेश में हर दिन हो रही खुदकुशी के आंकड़े एक नजर में
विधानसभा में सरकार की तरफ से जारी किए आंकड़ों का जिक्र करते हुए धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश में हर महीने करीब 575 लोगों में आत्महत्या की है। हर 24 घंटे के भीतर 19 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। एक औसतन हर ढ़ेड़ घंटे में 1 व्यक्ति अपनी जान दे रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1286 नाबालिकों ने भी खुदकुशी की है। नाबालिगों के मामले में हर महीने 50 और हर दिन औसतन दो नाबालिक किसी न किसी कारण से जान दे रहे हैं।

सबसे अधिक रायपुर में164, दुर्ग में 88, बलरामपुर में 64 नाबालिकों ने आत्महत्या की है। नेता प्रतिपक्ष कौशिक के बताया कि कुल 6100 मजदूरों ने आत्महत्या की है। इसी तरह से 1122 बुजुर्गों ने आत्महत्या कर ली है। ये आकड़ें बताते हैं कि प्रदेश में इन वर्गों के लोगों में समस्याएं इस कदर हावी हैं कि ये खुद ही अपनी जिंदगी खत्म कर रहे हैं। इनके प्रति हमें जिम्मेदारी दिखाने की जरुरत है।
राज्य में जान देने के लिए मजबूर किसान और सरकारी कर्मचारी
नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों की हालत ठीक नहीं है। आर्थिक व मनासिक दबाव के चलते लगातार किसान आत्महत्या को विवश हैं। पिछले एक साल में 406 किसानों ने आत्महत्या की है। किसानों के आत्महत्या के मामले में पहले स्थान पर बिलासपुर है। यहां 150 किसानों ने जान दी, दूसरे नंबर पर बलौदाबाजार में 123, और तीसरे नंबर पर सरगुजा है। जहां 69 किसानों ने आ्रत्महत्या की है।
इन 26 महीनों में 211 शासकीय कर्मियों ने आत्महत्या कर ली है। आखिर क्यों सरकारी नौकरी करने वाले ये कदम उठा रहे हैं यह एक बड़ा सवाल है। धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इन दो साल में ही शासकीय सेवक परेशान हैं। जिसके कारण वो डिप्रेशन से ग्रस्त होते जा रहे हैं। विम्वडना यह है कि कोरोना काल में जिन शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों ने समर्पित भाव से काम किया था। उन्हें केन्द्र के समान 28 प्रतिशत डीए नहीं दिया जा रहा है। कर्मचारी आर्थिक संकट के चलते भी परेशान हैं। कौशिक ने कहा कि प्रदेश में बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए मनोचिकित्सकों से लोगों को मदद मिलनी चाहिये। इसके साथ ही उनके हितों से जुड़े उचित फैसले भी लिए जाने चाहिये।

लोगों को जोड़ें खेल, योग, संगीत से
रायपुर की सामाजिक संस्था YMS (योगा, म्यूजिक, स्पोर्ट्स) यूथ फाउंडेशन के महेंद्र सिंह होरा ने बताया कि लोगों की जिंदगी में तनाव है। सबसे अहम बात है इस तनाव को हैंडल करना। महेंद्र सिंह ने बताया कि हम हमारी संस्था के जरिए आम लोगों खासकर युवाओं में पनप रहे डिप्रेशन को दूर करने पर काम कर रहे हैं। रिसर्च से साबित हुआ है कि योग, म्यूजिक और खेल हमारे डिप्रेशन को कम करते हैं।

इससे हमारी सोचने का ढंग भी बदलता है। सोचने का ढंग ही हमें जीने या मरने की दिशा में लेकर जाता है। हमने देखा है कि कई परेशान युवाओं ने जब खुद को योग, स्पोर्ट्स और म्यूजिक से जोड़ा तो उनकी जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन आए। हम समस्याओं को खत्म नहीं कर सकते, मगर उसने लड़ने की हिम्मत हमें योग, म्यूजिक और स्पोर्ट्स देता है। कभी भी निगेटिव थॉट्स आएं तो इन्हें जरूर आजमाएं।

डिप्रेस रहने वालों को ऐसे पहचानें
कई बार अकेलेपन की वजह से लोग खुदकुशी की ओर कदम बढ़ा लेते हैं। ऐसे लोगों को पहचानकर हमें उनकी सम्सयाओं पर बात करनी चाहिए। इससे वक्त रहते किसी अनहोनी को टाला जा सकता है। ये लक्षण किसी करीबी में दिखें तो उससे बात करें।

  • अकेले रहना, उदास रहना, बातें कम कर देना, मेल-जोल खत्म कर कमरों या दफ्तर में वक्त बिताना।
  • कम खाना, या अधिक भोजन करना, कोई भी काम वक्त पर न करना, गुमसुम कुछ हमेशा कुछ सोचते रहना।
  • डिप्रेस व्यक्ति कई बार खुद का ध्यान भी नहीं रखते, समस्याओं से घिरे होने की वजह से वो नहाते नहीं हैं, बाल नहीं कटवाते, शेव नहीं करवाते।
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