Tuesday, May 7, 2024
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छत्तीसगढ़: प्रदेश का खेल संसार सिर्फ 7 कोच के भरोसे, 7 साल से नहीं मिल पाए उत्कृष्ट खिलाड़ी…

ओलिंपिक तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में तो छत्तीसगढ़ का नामो-निशान नहीं है, ज्यादा बुरी स्थिति इसलिए है कि प्रदेश में ही पिछले सात साल में एक भी उत्कृष्ट खिलाड़ी नहीं चुना जा सका है। राज्य शासन 2014 के बाद से हर साल उत्कृष्ट खिलाड़ी के लिए आवेदन मंगवा रहा है। पिछले तीन साल यानी 2018 से अब तक 780 खिलाड़ी आवेदन कर चुके हैं, लेकिन एक भी उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित नहीं किया जा सका है।

उत्कृष्ट खिलाड़ी के चयन मापदंडों को लेकर विवाद तथा उलझी हुई प्रक्रिया को इसका जिम्मेदार माना जा रहा है। यही नहीं, अब नया प्रस्तावा आया है कि जिस खिलाड़ी को राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मिलेगा, वही उत्कृष्ट खिलाड़ी के रूप में चयनित हो सकेगा। खेल के जानकारों के मुताबिक यह व्यवस्था भी कई खिलाड़ियों के चयन के रास्ते बंद कर देगी। जहां तक खेल सुविधाओं का सवाल है, प्रदेश में लगभग दो दर्जन खेलों की सुविधा है, लेकिन पूरा दारोमदार सिर्फ 7 कोच पर टिका है। हॉकी, साफ्टबॉल, वालीबॉल, कबड्डी, क्रिकेट और फुटबॉल को छोड़कर शेष डेढ़ दर्जन खेलों के लिए कोई कोच ही नहीं नियुक्त हो पाया है।

राज्य में 2014 से पहले घोषित किए गए उत्कृष्ट खिलाड़ियों में से कई को नौकरियां मिली हैं। भास्कर की पड़ताल के मुताबिक राज्य सरकार ने अब तक घोषित उत्कृष्ट खिलाड़ियों में से 87 को यहां नौकरी दी है। इनके अलावा 58 और केंद्र तथा अन्य उपक्रमों में नौकरियों पर हैं। 37 खिलाड़ी ऐसे हैं, जिन्हें बरसे पहले उत्कृष्ट का मैडल तो मिला, लेकिन अब तक नौकरी का इंतजार है। लेकिन इससे बुरी हालत खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की है।

आगामी नेशनल गेम्स छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित हैं लेकिन मेजबान टीम का प्रदर्शन कैसा होगा, इसी पर सवाल हैं क्योंकि प्रदेश में अधिकतर खेलों के कोच ही नहीं हैं। यहां केवल सात फुल टाइम कोच हैं जबकि 31 पद खाली पड़े हुए हैं। गौरतलब है, 2015 में केरल में हुए नेशनल गेम्स में छत्तीसगढ़ को केवल 10 मेडल ही मिल पाए थे। खेल विभाग ने छह साल पहले राजधानी में हॉकी की डे-बोर्डिंग एकेडमी खोली है। यहां हॉकी के दो कोच भी हैं। लेकिन इसका फायदा भी नहीं मिल रहा है। स्कूल और स्टेट चैंपियनशिप में रायपुर की टीम लगातार हार रही है। स्टेट टीम में भी एकेडमी के खिलाड़ी उतर रहे हैं लेकिन उनका भी प्रदर्शन निराशाजनक ही है।

स्वीमिंग पूल ही ठेके पर
स्वीमिंग में छग पिछले 19 साल से केवल नेशनल में भागीदारी कर रहा है। टीम ने अब तक केवल 12 से 15 मेडल ही जीते हैं। इस पर छग स्वीमिंग संघ के सचिव का कहना है कि राजधानी के ही अंतरराष्ट्रीय स्वीमिंग पूल को निजी एजेंसी को ठेके पर दे दिया गया है। ऐसे में खिलाड़ियों के पास प्रैक्टिस की जगह ही नहीं है। यह मिलेगी, तभी कोच भी बुलाया जा सकेगा।

खेलों में छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन बढ़िया, लेकिन हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी

बास्केटबॉल टीम ने 100 से ज्यादा मेडल जीते हैं। वहीं, 2016 में प्रदेश को बास्केटबॉल की 16 नेशनल चैंपियनशिप में 8 गोल्ड, 3 सिल्वर व 2 ब्रॉन्ज मेडल मिले। पर विभाग ने नेशनल कैंप के अनुदान के अलावा हमें कुछ नहीं दिया।
-अनिता पटेल,सचिव-बास्केटबॉल संघ

तीरंदाजी में प्रदेश के 500 खिलाड़ी नेशनल चैंपियनशिप में भाग ले चुके हैं। इसमें से 40 ने मेडल जीते। खेल को लेकर छत्तीसगढ़ में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। खेलों की तैयारी के लिए कोच नहीं है। इसी वजह से खेल में छत्तीसगढ़ पीछे है।
-कैलाश मुरारका,अध्यक्ष-छत्तीसगढ़ तीरंदाजी संघ

छत्तीसगढ़ से हर साल हॉकी के 132 खिलाड़ी अलग-अलग एज कैटेगरी में नेशनल खेलने उतरते हैं। लेकिन मेडल जीतने में नाकाम रहे। इसकी वजह है कोच की कमी और खिलाड़ियों को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की खेल नीति।
-मनीष श्रीवास्तव, सचिव-हॉकी छत्तीसगढ़

2007 से अब तक छत्तीसगढ़ से 1 हजार से ज्यादा खिलाड़ी नेशनल चैंपियनशिप में उतरे हैं। इनमें से 27 ने गोल्ड, 23 ने सिल्वर और 64 ने ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। यदि हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर होता, तो हम और मेडल ला सकते हैं।
-बशीर खान,महासचिव-छग फेंसिंग संघ

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