Tuesday, May 7, 2024
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बड़ी खबर: खंडवा में गले की सूजन-बुखार से 4 बच्चों की मौत, 30 से ज्यादा बीमार; गांव वाले बोले- अस्पताल बंद इसलिए झाड़फूंक और झोलाछाप पर भरोसा…

आदिवासी बाहुल्य खालवा ब्लॉक के गांव लंगोटी में घर-आंगन और मोहल्ले वीरान हैं। यहां बुखार और गले में सूजन से 30 में से 4 बच्चों की मौत हो चुकी है। 30 से ज्यादा बच्चे बीमार हैं। क्षेत्र में सरकारी अस्पताल बंद रहने से लोग झाड़-फूंक और झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे हैं। इधर, अपनी नाकामी छिपाने के लिए स्वास्थ्य विभाग बीमारी को सामान्य बताकर समय पर इलाज नहीं मिलने को मौत का कारण बता रहे हैं। यहां दो बच्चों की मौत इलाज के दौरान हुई और दो ने घर में ही दम तोड़ दिया था।

ग्रामीणों ने बताया कि हम नजदीक के सरकारी अस्पताल रोशनी जाते हैं, लेकिन वहां इलाज के बजाय खालवा या खंडवा की पर्ची बनाकर थमा दी जाती है। जिला अस्पताल जाने पर वहां भी डॉक्टर सामान्य चेकअप कर गोली-दवाई लिख देते हैं। मेडिकल से दवा तो मुफ्त में मिल जाती है, लेकिन मर्ज ठीक नहीं हो पाता। मजदूर हैं, बार-बार किराया लगाकर 60 किमी दूर खंडवा तो नहीं जा सकते, इसलिए जो डॉक्टर झोला उठाकर गांव आते हैं, उनसे 50-100 रुपए देकर इलाज करवा लेते हैं। दिन भर बच्चे आंगन-खलिहान में खेलते हैं। हम मजूदरी पर निकल जाते हैं। इस बार तबीयत ज्यादा बिगड़ गई, तो प्राइवेट अस्पताल ले गए, लेकिन जान नहीं बचा सके।

इकलौते भाई थे, राखी नहीं बांध पाएंगी बहनें
गांव में जिन चार बच्चों की मौत हुई है, उनमें दो बच्चे अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। गांव के अशोक पाटिल के दो बच्चे थे। एक लड़की और एक लड़का अभिषेक। अभिषेक (9) को तेज बुखार व गला जाम होने से इंदौर ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई। इसी तरह, अजय (7) भी दो बहनों के बीच इकलौता भाई था। दोनों ही घरों में मातम छाया हुआ है। दोनों की बहनें अब कभी अपने भाइयों को राखी नहीं बांध पाएंगी। इनसे पहले गांव में रेणुका की 20 जुलाई तो निखिलेश की 28 जुलाई को मौत हो चुकी है।

CMHO बोले: इलाज में बरती गई लापरवाही
CMHO डॉ. डीएस चौहान का कहना है कि बच्चों में सामान्य पीलिया और निमोनिया था। इसके चलते बुखार आया और गले पर सूजन आ गई थी। परिवार वाले झाड़फूंक करते रहे। दो बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग को जानकारी मिली, तो बाकी 2 बीमार बच्चों को जिला अस्पताल लाया गया, उन्होंने भी दम तोड़ दिया।

25 साल पहले डाबिया में 11 बच्चों की हुई थी मौत
गांव के सरपंच सूरजलाल बघेल ने बताया कि करीब 25 साल पहले पास के गांव डाबिया में भी इसी तरह की बीमारी फैली थी। 11 बच्चों की मौत हो गई थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह खुद डाबिया आए थे। अब लंगोटी गांव में कोई प्रतिनिधि नहीं आया। दो दिन पहले अन्न उत्सव में जरूर एक जनप्रतिनिधि को बीमारी के बारे में बताकर स्वास्थ्य टीम भेजने का आग्रह किया था, लेकिन कोई नहीं आया।

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