Friday, May 17, 2024
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टिकैत ने BJP को बताया दिमागी बुखार: कहा -जैसी दवाई बंगाल में दी थी वैसी ही हर जगह दी जाएगी, 3 साल में ठीक हो जाएगी बीमारी

रायपुर: संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने भाजपा को दिमागी बुखार बताया है। टिकैत ने कहा, भाजपा दिमागी बुखार जैसी बीमारी है। किसान उसका इलाज करने के लिए ही दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। जैसी दवाई इन्हें बंगाल में दी गई, वैसी ही दवाई हर जगह दी जाएगी। तीन साल में यह पूरी तरह ठीक हो जाएगी।

टिकैत बुधवार शाम रायपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात कर रहे थे। भाजपा पर सीधा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, पिछले सात साल से विकास रुका हुआ है। पिछली सरकारों ने जो संपत्तियां और संस्थान बनाए थे, यह सरकार उसे बेच रही है। केंद्र सरकार तानाशाह की तरह व्यवहार कर रही है। किसान पिछले 10 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। वे अब पक चुके हैं। उनको बदनाम करने की कोशिश हुई। आरोप लगाए गए, लेकिन तीनों कानूनों की वापसी के बिना किसान लौटेंगे नहीं।

उन्होंने कहा, सभी फसलों और फल-सब्जी और दूध के भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के बिना किसान को लाभ नहीं होगा। जब तक सरकारें सपोर्ट नहीं करतीं किसान का भला नहीं हो पाएगा। राकेश टिकैत ने कहा, जिस प्रस्ताव को 2012 में भारी विरोध के बाद वापस ले लिया गया हो उसे बिना बहस के पारित करा देना संसद के साथ धोखा है। तीन कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार ने यही किया है। राकेश टिकैत, 28 सितम्बर को राजिम में आयोजित किसान महापंचायत में शामिल होने छत्तीसगढ़ आए थे। बुधवार को उन्होंने प्रदेश के कई जिलों में अलग-अलग बैठकें की।

किसान कंडिशनल बातचीत नहीं करेगा
उन्होंने कहा, किसान संगठन सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन सरकार कह रही है कि वह कानून वापस नहीं लेगी और कुछ कहना हो तो चर्चा हो सकती है। तो फिर चर्चा किस बात पर होगी। किसान ऐसी कोई कंडिशनल बातचीत नहीं करेगा। सरकार को बात करनी है तो बिना शर्तों के टेबल पर आए।

धर्म की अफीम चटाने से देश नहीं चलता
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा, धर्म की अफीम चटाने से देश नहीं चलता। देश चलता है आर्थिक उत्थान से। दिल्ली की सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। समाधान की कोई कोशिश नहीं की है। सरकार का एजेंडा पूंजीवाद स्थापित करना है। यह कमाने वाले और लुटेरों के बीच की लड़ाई है।

2012 में जो कानून काला था, वह 2020 में सफेद कैसे हो गया
चौधरी युद्धवीर सिंह ने कहा, 2012 में जब भाजपा विपक्ष में थी तब इस कानून का ड्राफ्ट संसद में आया था। उसका भारी विरोध हुआ। संसद में भाजपा ने इसे काला कानून कहा। सरकार ने उसे वापस ले लिया। 2020 में भाजपा ने उसी ड्राफ्ट को कानून बना दिया। जब वह कानून काला नहीं था तो उसका विरोध क्यों किया। अगर वह काला था तो आज सफेद कैसे हो गया। भाजपा देश को इसका जवाब दे दे।

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