Friday, April 26, 2024
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नवरात्र का चौथा दिन: वाणी दोष दूर करती हैं मां कूष्माण्डा..ऐसे करे माँ की उपासना …

पवित्र नवरात्र में चौथे दिन मां कूष्माण्डा की उपासना की जाती है। मंद मुस्कान एवं तेजस्वी चेहरे वाली मां की पवित्र मन से उपासना करनी चाहिए। मां कूष्माण्डा ने ब्रह्मांड की रचना की। मां आदि स्वरूपा, आदि शक्ति हैं। मां का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। मां कूष्माण्डा को ही सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है। मां कूष्मांडा की उपासना से तेज की प्राप्ति होती है। 

ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में तेज मां की ही छाया है। माता की कृपा से ज्ञान की प्राप्ति होती है। मां योग-ध्यान की देवी हैं। मां का स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है। मां की उपासना से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है। नौकरी, व्यापार में उन्नति प्राप्त होती है। माता कूष्माण्डा  की पूजा से वाणी दोष दूर हो जाते हैं और वाणी के बल पर कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। मां कूष्मांडा को सौंफ और मिश्री का भोग लगाएं। ऐसा करने से वाणी दोष दूर हो जाते हैं। मां की उपासना करते समय हरे वस्त्र धारण करें। हरे आसन पर बैठें। मां को लाल वस्त्र, लाल फूल और लाल चूड़ियां अर्पित करें।

मां कुष्मांडा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार मां दुर्गा ने असुरों के अत्याचार से संसार को मुक्त करने के लिए कुष्मांडा (कुम्हड़े) का अवतार लिया था. मान्यता है कि देवी कुष्मांडा ने पूरे ब्रह्माण्ड की रचना की थी. पूजा के दौरान कुम्हड़े की बलि देने की भी परंपरा है. माना जाता है कि ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और पूजा सफल होती है. हालांकि अब अधिकतर जगहों पर बलि प्रथा बंद कर गई है. 

संकटों से मुक्ति दिलाती हैं मां कुष्मांडा 
मान्यता है कि मां कुष्मांडा की विधि विधान से पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. मां कुष्मांडा संसार को अनेक कष्टों और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं. इस दिन लाल रंग के फूलों से पूजा करने की परंपरा है,क्योंकि मां कुष्मांडा को लाल रंग के फूल अधिक प्रिय बताए गए हैं. मां कुष्मांडा की पूजा करने के बाद दुर्गा चालीसा और मां दुर्गा की आरती जरूर करनी चाहिए.

मां कुष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान करने के बाद मां कुष्मांडा स्वरूप की विधिवत करने से विशेष फल मिलता है. पूजा में सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें. इसके बाद अन्य देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए. इनकी पूजा के बाद कुष्मांडा देवी की पूजा शुरू करें. मां को लाल रंग के फूल, गुड़हल या गुलाब का फूल भी प्रयोग में ला सकते हैं. इसके बाद सिंदूर, धूप, गंध, अक्षत् आदि अर्पित करें. सफेद कुम्हड़े की बलि माता को अर्पित करें. कुम्हड़ा भेंट करने के बाद मां को दही और हलवे का भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें.

 

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