Friday, May 10, 2024
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भ्रष्टाचार का दलदल: छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में 80.98 करोड़ का घोटाला, ऑडिट में फूटा अफसरों का भांडा….

  • अक्टूबर-नवम्बर 2019 और दिसम्बर 2020 में हुई अनियमितता
  • महाप्रबंधक और वरिष्ठ वित्त प्रबंधक के संयुक्त हस्ताक्षर बिना जारी हुए चेक

छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में 80 करोड़ 98 लाख 35 हजार 600 रुपए का घोटाला सामने आया है। यह घोटाला पिछले दो वर्षों के दौरान जारी 250 से अधिक चेक में बिना संयुक्त हस्ताक्षर किये अंजाम दिया गया है। स्टेट ऑडिट की रिपोर्ट में इस घोटाले का खुलासा होने के बाद हड़कंप मचा हुआ है।

राज्य संपरीक्षा के सीनियर ऑडिटर बीके साहू ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक को पत्र लिखकर बताया, 4 अक्टूबर 2019 से 25 नवम्बर तक जारी चेक में जिम्मेदार अफसरों के संयुक्त हस्ताक्षर नहीं हैं। 6 दिसम्बर 2019 से पाठ्य पुस्तक निगम के जिम्मेदार दोनों अफसर फिर से संयुक्त हस्ताक्षर कर चेक जारी करने लगे थे। इसके बावजूद 28 दिसम्बर 2020 को केवल महाप्रबंधक के हस्ताक्षर से 8 करोड़ 92 लाख 98 हजार 821 रुपए का चेक जारी हो गया।

सीनियर ऑडिटर ने बताया है, 6 नवम्बर 2019 को जारी किए 8 चेक पर तो किसी का हस्ताक्षर ही नहीं है। वहीं एक चेक में केवल वरिष्ठ वित्त प्रबंधक ने हस्ताक्षर किया है। ऑडिटर ने बताया है, छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के वित्तीय नियमों के मुताबिक एक लाख रुपए से कम राशि का चेक जारी करने के लिए निगम के महाप्रबंधक और वरिष्ठ प्रबंधक वित्त के संयुक्त हस्ताक्षर होने चाहिए। इसी तरह एक लाख रुपए से अधिक की राशि के चेक पर निगम के प्रबंध संचालक और वरिष्ठ प्रबंधक वित्त के संयुक्त हस्ताक्षर जरूरी हैं।

कोई काम कराये बिना प्रकाशक को दे दिए 8.20 करोड़

ऑडिट में एक और रोचक घोटाला पकड़ में आया है। निगम के अफसरों ने रायपुर के राजाराम प्रिंटर्स को 8 करोड़ 20 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान किया है लेकिन राजराम प्रिंटर्स से क्या काम कराया गया है, इसके कोई दस्तावेज निगम के पास मौजूद ही नहीं है।

मामला सामने आने के बाद पाठ्य पुस्तक निगम ने प्रकाशक को पत्र लिखकर पूछा है कि उन्होंने निगम के लिए कौन का काम किया है। प्रकाशक से कार्यादेश, मुद्रित सामग्री और उसके परिवहन का विवरण भी तलब किया है। प्रकाशक से बिल, वाउचर, पावती और चालान की प्रति भी उपलब्ध कराने को कहा गया है।

बैंकों की भूमिका भी संदिग्ध

इस मामले में बैंकों की भूमिका भी संदिग्ध है। बताया जा रहा है कि बैंकों के पास उन नियमों की जानकारी है कि सरकारी निकायों के खाते से बिना संयुक्त हस्ताक्षर से जारी चेक का भुगतान नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद बैंकों ने एक अफसर के हस्ताक्षर से जारी चेक का भुगतान किया है। सीनियर ऑडिटर ने इन नियमों के उल्लंघन पर संबंधित बैंकों से स्पष्टिकरण लेने को कहा है।

पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मामले की जांच और दोषियों पर FIR कराने की जानकारी दी।

पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मामले की जांच और दोषियों पर FIR कराने की जानकारी दी।

अध्यक्ष ने कहा, छोड़े नहीं जाएंगे दोषी

पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, मामले की जांच का आदेश दिया गया है। जांच में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ FIR कराई जाएगी। त्रिवेदी ने बताया, निगम के सामान्य सभा की बैठक तीन साल से नहीं हुई है। इसकी वजह से बैलेंस शीट का मिलान नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा, निगम में आय-व्यय का पूरा ब्यौरा रखा जाता है, लेकिन संभवत: इस अनियमितता को छिपाने के लिए ही बैठक नहीं कराई गई है।

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