छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू (Home Minister TamraDhwaj Sahu) ने माओवादियों के उस प्रस्ताव पर अपनी सकारात्मक सोच को अभिव्यक्त किया है, जिसमें माओवादियों (Maoists) ने कुछ शर्तों (Conditions) के साथ राज्य सरकार से बातचीत (Diologue) की बात कही है। हालांकि गृहमंत्री ने यह भी कहा है कि इस बातचीत के पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) से माओवादियों के प्रस्ताव (Proposal) पर चर्चा होगी।
रायपुर। नक्सलियों (Naxalites) ने सरकार के सामने शांतिवार्ता (Peace talks) का जो प्रस्ताव रखा है, उसमें कहा गया है कि सरकार फोर्स (Force) हटा ले, नक्सली संगठनों (Naxalite organizations) पर से प्रतिबंध हटा ले, और जेल में बंद नक्सलियों को बगैर किसी शर्त के रिहा कर दे, तो वे बातचीत के लिए तैयार हैं। इसी प्रस्ताव पर बयान देते हुए छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि सरकार हमेशा शांति का समर्थन करती रही है। सरकार तो चाहती ही है कि शांति व्यवस्था (Peace system) स्थापित हो। ऐसे में इस प्रस्ताव पर जरूर विचार किया जाएगा। गृहमंत्री ने कहा कि उन तक फिलहाल वह प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन अगर आता है, तो उस पर सबसे पहले मुख्यमंत्री से चर्चा की जाएगी। चर्चा उपरांत निर्णय (Decision after discussion) लिया जाएगा। क्योंकि शांति व्यवस्था के लिए बातचीत एक दिन के लिए नहीं है, बड़ा निर्णय है।
Breaking : भाजपा में नियुक्तियों की एक और सूची जारी, तीन दर्जन से ज्यादा को मिली जिम्मेदारी गौरतलब है कि यह प्रस्ताव दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (Dandakaranya Special Zonal Committee) के प्रवक्ता की तरफ से राज्य सरकार के लिए लिखा गया है। इस प्रस्ताव को लेकर बस्तर के आईजी सुंदरराज पी (Bastar IG Sudarraj P) का कहना है कि माओवादियों को सबसे पहले हिंसा छोड़ना चाहिए। क्योंकि माओवादी हिंसा का कोई भी औचित्य (Justification for violence) साबित नहीं कर सके। यदि वे आमजन के लिए कल्याणकारी सोच रखते हैं, तो वे सबसे पहले हथियार (Weapons) छोड़ें। कोई स्टेट या फोर्स अपनी तरफ से हिंसा नहीं करता, लेकिन आम जनता के जान माल की सुरक्षा (Security) फोर्स की प्राथमिकता होती है। आईजी ने कहा कि माओवादी आइडियोलॉजी (Maoist Ideology) को अब उनके सदस्य भी नहीं मान रहे हैं। आम लोगों में भी माओवादी विचारधारा के प्रति नकरात्मकता (Negetivity) का भाव है। इसीलिए कैडर (Cadre) भी माओवादी संगठनों से अलग हो रहे हैं। ऐसे में माओवादियों को सबसे पहले हथियार छोड़ना चाहिए।