कैप्टन अमरिंदर सिंह काे CM की कुर्सी से हटाने के बाद पंजाब कांग्रेस में नई कलह शुरू हो गई है। नवजोत सिद्धू और CM चरणजीत चन्नी के बीच लगातार दूरियां बढ़ रही हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि सिद्धू मुख्यमंत्री को हाथ पकड़कर चलाना चाहते थे। इसके उलट मुख्यमंत्री खुद आगे बढ़ने लगे। सिद्धू पीछे छूट गए। दूरियों का ताजा उदाहरण लखीमपुर खीरी हिंसा के विरोध में चंडीगढ़ में हुए प्रदर्शन हैं। BJP सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के वक्त भी पंजाब कांग्रेस एकजुटता नहीं दिखा सकी। पहले प्रदर्शन में सिद्धू राजभवन पहुंचे तो CM चन्नी नहीं आए। उस वक्त CM चंडीगढ़ में ही मौजूद थे। अगले दिन चन्नी गांधी भवन धरने पर बैठे तो सिद्धू वहां नहीं आए। सिद्धू उस वक्त चंडीगढ़ में ही थे।
चंडीगढ़ राजभवन में प्रदर्शन करते सिद्धू।
पढ़िए…. कैसे बिगड़ती गई सिद्धू-चन्नी की बात
- चरणजीत चन्नी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो सिद्धू साये की तरह साथ चले। दिल्ली से लेकर अमृतसर तक सिद्धू साथ रहे। दूरियों की शुरूआत अमृतसर में ही हुई।
- सिद्धू ने दमनदीप उप्पल को अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का चेयरमैन लगा दिया। इसका नियुक्ति पत्र आते ही सिद्धू सीधे सौंपने लगे। सीएम चन्नी ने नियुक्ति पत्र उनके हाथ से लेकर उसे गौर से पढ़ा और फिर सौंपा।
- इसके बाद चन्नी जालंधर आए लेकिन सिद्धू उनके साथ नहीं थे। यहीं से सिद्धू और सीएम चन्नी के बीच की दूरी शुरू होने लगी।
- सिद्धू चाहते थे कि सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय डीजीपी और एडवोकेट डीएस पटवालिया AG लगें लेकिन सीएम चन्नी ने सहोता और देयोल को नियुक्त कर दिया।
- इसके विरोध में सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया। कलह सुलझाने के लिए पंजाब भवन चंडीगढ़ में मीटिंग हुई। सुलह का फॉर्मूला भी निकला लेकिन सिद्धू तुरंत फैसला चाहते हैं, जिससे सीएम राजी नहीं।
चंडीगढ़ गांधी भवन में प्रदर्शन करते सीएम चरणजीत चन्नी।
जहां से शुरू, वहीं पहुंची पंजाब कांग्रेस
पंजाब कांग्रेस में कलह सिद्धू के प्रधान बनने पर शुरू हुई। कांग्रेस हाईकमान को लगा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर यह कलह शांत होगी। पंजाब प्रधान और सरकार के बीच तालमेल बन जाएगा। चन्नी सीएम बने तो शुरू के दो दिन ऐसा लगा भी। हालांकि अब कांग्रेस फिर वहीं पहुंच गई है। सिद्धू का जिन बातों पर अमरिंदर से मनमुटाव था, वही झगड़ा अब चन्नी के साथ है। सिद्धू भले ही मुद्दों की बात करें लेकिन सियासी माहिर मानते हैं कि सिद्धू सुपर-CM न बन पाने और पंजाब के अगले चुनाव का इकलौता चेहरा न होने से नाराज हैं।
CM चन्नी के तेवर बता रहे, सिद्धू की इच्छा पूरी नहीं होगी
बेशक कैप्टन अमरिंदर के बाद सिद्धू पंजाब कांग्रेस के बड़े चेहरे हैं। हालांकि कांग्रेस सरकार उनके बताए रास्ते पर ही चलेगा, यह नहीं होगा। CM चरणजीत चन्नी कह चुके हैं कि सिद्धू चाहें तो पार्टी फोरम में अपनी बात रखें। कोऑर्डिनेशन कमेटी में मुद्दा उठाएं। साफ है कि सरकार अपने ढंग से चलेगी। सीएम कह भी चुके कि वे पार्टी का काम देखें। सरकार अपना काम करेगी।
अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के नए चेयरमैन दमनदीप उप्पल को नियुक्ति पत्र सौंपते वक्त की यही वो तस्वीर है, जहां से सिद्धू और CM के बीच खटास बढ़ती गई।
जो गलती अमरिंदर ने की, वही सिद्धू भी कर बैठे
नवजोत सिद्धू को कैप्टन अमरिंदर सिंह की CM कुर्सी से जाने की बड़ी वजह बेशक माना जाए, लेकिन इसके पीछे दूसरा बड़ा कारण भी है। अमरिंदर को 2017 में सत्ता में लाने के लिए माझा के तीन मंत्रियों सुखजिंदर रंधावा, तृप्त राजिंदर बाजवा और सुख सरकारिया ने सब कुछ झोंका। साढ़े 4 साल कैप्टन सीएम रहे लेकिन अंतिम दिनों में इनसे दूरियां बढ़ाते चले गए। यही गलती अब सिद्धू भी कर चुके हैं। डिप्टी सीएम रंधावा से सिद्धू की दूरी बढ़ चुकी हैं। उनके डिप्टी सीएम की कुर्सी संभालते वक्त भी सिद्धू नहीं आए। बाकी दो मंत्री भी सीएम चन्नी के साथ हैं। ऐसे में सिद्धू नहीं झुकते तो उनकी विदायगी तय है।