छत्तीसगढ़: कांकेर में DIG ऑफिस के बाद अब 3 भालू थाना प्रभारी शरद दुबे के अलबेलापारा स्थित मकान के सामने घूमते हुए नजर आए। घटना गुरुवार रात साढ़े 10 बजे की है। इस तरह से बार-बार रिहायशी इलाकों में भालुओं के आने-जाने से लोगों में दहशत का माहौल है। थाना प्रभारी शरद दुबे के घर के सामने भी काफी देर तक तीनों भालू घूमते रहे।
इस दौरान कांकेर TI शरद दुबे खाना खाने के लिए अपने घर पहुंचे थे। कॉलोनी में भालुओं के आने की खबर लगते ही उन्होंने आसपास के लोगों को सावधान करते हुए उन्हें घर के अंदर ही रहने के लिए कहा। सुरक्षा के मद्देनजर वे पूरे समय इलाके में तैनात रहे। कुछ देर बाद भालू वहां से तालाब की ओर चले गए। इससे पहले 20 सितंबर को भी दिन में यही मादा भालू अपने दो शावकों के साथ कलेक्टर बंगला और डीआईजी दफ्तर के सामने पहुंची थी। वहां से इन्हें खदेड़ दिया गया था। 19 दिसंबर 2018 को भी 3 भालू सिविल लाइन में जज के बंगले में घुस गए थे। इस दौरान जज का पूरा परिवार बंगले में था। बाद में इन्हें पकड़कर पास के जंगल में छोड़ दिया गया था।
तीन भालू अलबेलापारा इलाके में घूमते आए नजर।
दो दिन पहले घर में घुसा था भालू, फीमेल डॉग डेजी ने बचाई थी मालिक की जान
अभी 2 दिन पहले भी कांकेर जिले के ग्राम लाल माटवाड़ा में एक फीमेल डॉग ‘डेजी’ ने अपने मालिक की जान भालू से बचा ली थी। गांव में रहने वाले रोशन साहू के घर 8 नवंबर को भालू घुस गया था। भालू रोशन साहू के ठीक सामने आकर खड़ा हो गया था और हमला करने को तैयार था, लेकिन तभी उसकी फीमेल डॉग डेजी वहां पहुंच गई और उसने मालिक पर आए खतरे को भांप लिया। वो जोर-जोर से भौंकने लगी और भालू के ठीक सामने आ गई थी। डेजी ने भालू पर आक्रमण कर दिया और उसे दौड़ाने लगी। शुरू में तो भालू ने भी रुककर डेजी पर हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन डेजी की हिम्मत के आगे आखिरकार वो भागने पर मजबूर हो गया था।
2 दिन पहले डेजी नाम की फीमेल डॉग ने भालू से किया था मुकाबला।
लगातार रिहायशी इलाकों में भालुओं के घुसने से लोगों में खौफ
कांकेर जिले के ग्राम लालमाटवाड़ा के पटेलपारा में भी भालुओं की दहशत है। सुबह-शाम भालू लोगो के घरों का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाते हैं। पटेलपारा बस्ती में 110 घर हैं, जिनमें से दो माह में भालू 50 घरों का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस चुके हैं और गुड़, चावल, चना खाने के साथ-साथ तेल भी चट कर चुके हैं। सांस्कृतिक भवन का दरवाजा भी भालू तोड़ चुके हैं। लाल माटवाड़ा से लगे जंगल में पांच भालू हैं, जो लगातार बस्ती पहुंच रहे हैं। डेढ़ माह पहले ग्राम पंचायत में आयोजित ग्राम सभा में भी ग्रामीणों ने वन विभाग के नाम आवेदन दिया, ताकि भालुओं से उनकी रक्षा हो सके, लेकिन वन विभाग ने इस पर कुछ नहीं किया।
मावली नगर में भी घूमते हुए दिखाई दिए थे 3 भालू
10 दिन पहले 30 अक्टूबर को भी कांकेर जिले के मावली नगर में 3 भालू घूमते हुए दिखाई दिए थे। नरहरपुर तहसील के ग्राम दुधावा कैम्पपारा में भी भालू राशन की दुकान में घुस गया था और खिड़की-दरवाजे तोड़कर वहां रखा आटा, चावल और तेल चट कर चला गया था। वहीं झिपटोला के दुर्गा मंच पर भी रोज भालू पहुंच रहा है। रिहायशी इलाकों में भी शाम होते ही भालू घुस जाता है, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है। लोगों का कहना है कि अगर कभी इसने किसी पर हमला कर दिया, तो क्या होगा?