BHILAI: भिलाई में घर के बाहर सो रहे एक डॉगी की बेदम पिटाई का वीडियो सामने आया है। बाइक पर सवार होकर आए युवक ने बेजुबान को लाठी से पीट-पीटकर लहूलुहान कर दिया। हमले के बाद डॉगी वहीं बेहोश हो गया। चीखने की आवाज सुनकर पहुंचे मोहल्ले के लोगों ने जब इसका विरोध किया तो युवक उन्हें रौब दिखाते हुए वहां से चला गया। घटना के बाद लोगों ने कुत्ते का इलाज कराया, लेकिन उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पीपुल्स फॉर एनिमल नाम की संस्था ने सुपेला थाने में शिकायत की है। 29 फरवरी को कृष्णा नगर बजरंग चौक वार्ड नं. 08, सुपेला भिलाई की ये घटना बताई जा रही है।
शेरू नाम का वह कुत्ता जिसे मारा गया
सीसीटीवी फुटेज कैद हो गई घटना
डॉगी ‘शेरू’ की पिटाई की घटना वहां लगे सीसीटीवी में कैद हो गई। डॉगी की जब चीखने की आवाज सुनाई दी तो पास के घर से बाहर निकलकर एक महिला ने इसका विरोध भी किया। लेकिन युवक नहीं माना और उसे बर्बरता पूर्वक पीटता रहा।
डंडा लेकर बाइक से पहुंचा था कुत्ते को मारने के लिए
महिला की साड़ी खींचने से नाराज था युवक
आरोपी युवक की पहचान टी गोपाल राव उर्फ बुज्जी के रूप में हुई है। घटना के दौरान डॉगी के बचाव के लिए सामने आई महिला के मुताबिक आरोपी कह रहा था कि वह जब भी वह गुजरता है ये कुत्ता उसे दौड़ाता है। उसने बाइक पर बैठी एक महिला की साड़ी पकड़ लिया था।
घटना के बाद मोहल्ले के लोगों में भारी आक्रोश
महिला ने डॉगी को मारने का विरोध किया और युवक से कहा कि शेरू ने आज तक किसी को काटा नहीं है। महज साड़ी पकड़ने के नाम पर बेजुबान को मारना सही नहीं है। महिला ने आरोपी युवक की शिकायत थाने में भी की।
पीपुल्स फॉर एनिमल नाम की संस्था ने की सुपेला थाने में शिकायत
मोहल्ले के लोगों ने मिलकर कराया इलाज, हालत गंभीर
घटना के बाद मोहल्ले के लोगों ने मिलकर शेरू को एक किनारे लिटाया। उसे पानी पिलाया। इसके बाद पशु चिकित्सक को बुलाकर उसका इलाज कराया। खबर लिखे जाने तक शेरू जिंदा है, लेकिन उसकी हालत इतनी खराब है कि उसके जिंदा रहने की उम्मीद काफी कम बताई जा रही है।
मोहल्ले के लोगों ने कुत्ते का कराया इलाज।
जानिए पशु क्रूरता से जुड़ा क्या है कानून
- संविधान का अनुच्छेद 51 (A) (g) कहता है कि हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। यानी, नागरिक का कर्तव्य यह भी है कि वो पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बनाए रखे।
1960 में लाया गया था पशु क्रूरता निवारण अधिनियम
- देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही एक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है।
- मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस एक्ट में शामिल हैं। जैसे- अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा।
पीपुल्स फॉर एनिमल संस्था के सदस्य थाने पहुंचे शिकायत लेकर।
10 पॉइंट्स में समझिए एनिमल एक्ट के बारे में
- प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11(1) कहती है कि पालतू जानवर को छोड़ने, उसे भूखा रखने, कष्ट पहुंचाने, भूख और प्यास से जानवर के मरने पर आपके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। इसपर आपको 50 रुपए का जुर्माना हो सकता है। अगर तीन महीने के अंदर दूसरी बार जानवर के साथ ऐसा हुआ तो 25 से 100 रुपए जुर्माने के साथ 3 माह की जेल सकती है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही कुछ जुर्माने का भी प्रावधान है।
- भारत सरकार के एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल (2001) के अनुसार किसी भी कुत्ते को एक स्थान से भगाकर दूसरे स्थान में नहीं भेजा जा सकता। अगर कुत्ता विषैला है और काटने का भय है तो आप पशु कल्याण संगठन में संपर्क कर सकते हैं।
- भारत सरकार के एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल (2001) की धारा 38 के अनुसार किसी पालतू कुत्ते को स्थानांतरित करने के लिए चाहिए कि उसकी उम्र 4 माह पूरी हो चुकी हो। इसके पहले उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना अपराध है।
- जानवरों को लंबे समय तक लोहे की सांकर या फिर भारी रस्सी से बांधकर रखना अपराध की श्रेणी में आता है। अगर आप जानवर को घर के बाहर नहीं निकालते तो यह भी कैद माना जाता है। ऐसे अपराध में 3 माह की जेल और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11(1) के तहत अगर किसी गोशाला, कांजीहाउस, किसी के घर में जानवर या उसके बच्चे को खाना और पानी नहीं दिया जा रहा तो यह अपराध है। ऐसे में 100 रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।
- मंदिरों और सड़कों जैसे स्थानों पर जानवरों को मारना अवैध है। पशु बलिदान रोकने की जिम्मेदारी स्थानीय नगर निगम की है। पशुधन अधिनियम, 1960, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत ऐसे करना अपराध है।
- किसी भी जानवर को परेशान करना, छेड़ना, चोट पहुंचाना, उसकी जिंदगी में व्यवधान उत्पन्न करना अपराध है। ऐसा करने पर 25 हजार रुपए जुर्माना और 3 साल की सजा हो सकती है।
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16 (सी) के तहत जंगली पक्षियों या सरीसृपों को नुकसान पहुंचाना, उनके अंडों को नुकसान पहुंचाना, घोंसलों को नष्ट करना अपराध है। ऐसा करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 से 7 साल का कारावास और 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
- ट्रांसपोर्ट ऑफ एनिमल रूल्स, 1978 की धारा 98 के अनुसार, पशु को स्वस्थ और अच्छी स्थिति में ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना चाहिए। किसी भी रोग ग्रस्त, थके हुए जानवर को यात्रा नहीं करानी चाहिए। ऐसा करना अपराध है।
(Bureau Chief, Korba)