Saturday, November 2, 2024




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CG News : छत्तीसगढ़ बना गौ-वंश तस्करी का हब; प्रदेश सहित UP, ओडिशा, तेलंगाना के तस्कर-कारोबारियों का गिरोह सक्रिय, हर दिन जाती है एक गाड़ी

रायपुर: ‘धान का कटोरा’ के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ अब देश में गौ-वंश तस्करी का हब बनने लगा है। यहां से उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना के गिरोह गौ-वंश तस्करी कर रहे हैं। हर दिन एक गाड़ी गौ-वंश से भरी रवाना होती है। आंकड़ों की बात करें तो 5 साल में पशु तस्करी के 646 मामले दर्ज किए गए।

अकेले फरवरी माह में विधानसभा सत्र के दौरान 100 गौ-वंश से भरी बड़ी खेप रायपुर पुलिस ने पकड़ी थी। इसके बाद इस मामले में आधा दर्जन कार्रवाई की गई। आरोप है कि संरक्षण के दम पर गौ-वंश से भरी गाड़ी छत्तीसगढ़ से दूसरे राज्यों में भेजी जा रही है।

गौ तस्करों द्वारा इस तरह से गौ-वंश की तस्करी की जाती है। (फाइल फोटो)

गौ तस्करों द्वारा इस तरह से गौ-वंश की तस्करी की जाती है। (फाइल फोटो)

इस तरह से गिरोह कर रहा काम

गौ-वंश तस्कर ने नेटवर्क बना रखा है। इसे चार पार्ट में डिवाइड किया गया है। पुलिस अफसरों के मुताबिक, इनमें अपराधियों सहित छोटे-बड़े कारोबारी, एजेंट और ट्रक मालिक जुड़े हुए हैं। गिरोह में शामिल सभी सदस्यों का काम बंटा है। ज्यादातर मामलों में एक नेटवर्क के सदस्य दूसरे को नहीं जानते हैं।

‘पट्‌टी’ से करते है गौ-वंश का सौदा

गौ-वंश खरीदने के लिए आरोपी पट्‌टी (किलोग्राम) के भाव से सौदा करते है। ये सौदा ग्रामीणों और चरवाहों से किया जाता है। 100 किलो पर 3 हजार और 200 किलो पर 4 हजार रुपए का भाव होता है। यह भाव शुरुआती स्तर पर रहता है। जैसे-जैसे सौदा होता जाता है, उनकी कीमत भी बढ़ती जाती है।

रायपुर से लगे कुम्हारी टोल प्लाजा के पास तस्करों की गाड़ी रोकर प्रदर्शन करते गौ पुत्र संगठन के कार्यकर्ता। (फाइल फोटो)

रायपुर से लगे कुम्हारी टोल प्लाजा के पास तस्करों की गाड़ी रोकर प्रदर्शन करते गौ पुत्र संगठन के कार्यकर्ता। (फाइल फोटो)

इस तरह काम करते है तस्कर

  • टीम-1 (एजेंट) : ये गांवों और छोटे जिलों में संपर्क करता है। गौ-वंश की तलाश करता है चरवाहों और ग्रामीणों से सौदा करके छोटे कारोबारियों को सूचना देता है।
  • टीम-2 (छोटा कारोबारी) : एजेंट की सूचना पर गौ-वंश के मालिक से मिलते हैं और उन्हें पैसा देकर खरीदते हैं। इसके बाद गौ-वंश को परिचित की डेयरी और स्थानों पर इकट्‌ठा करते हैं। बड़ी खेप तैयार होने के बाद बड़े कारोबारियों से सौदा होता है।
  • टीम- 3 (बड़े कारोबारी) : छोटे कारोबारियों से एकत्र गौ-वंश की ये खरीदी करते हैं। इन गौ-वंश को वो दूसरे राज्यों में बेचने के लिए संपर्क करते हैं। सौदा तय होने पर गिरोह में शामिल अन्य सदस्यों की मौजूदगी में गौ-वंश को दूसरे राज्यों में रवाना किया जाता है।
  • टीम-4 (हिस्ट्रीशीटर-अपराधी) : इस टीम में आदतन अपराधी किस्म के सदस्य हैं। ये लोग विवाद होने पर स्थिति से निपटने के लिए मौजूद होते हैं। गौ-वंश की गाड़ी जब भी दूसरे राज्यों के लिए निकलती है, तो ट्रक-कंटेनर के आगे और पीछे पायलेटिंग करते हुए जाते हैं। इनके सदस्य गाड़ी के अंदर भी बैठे होते हैं। ये लोग हमेश दो या तीन गाड़ियों में गौ-वंश लोड कर निगरानी करते हैं। इनके पास अवैध हथियार भी होते हैं और ये लोग विवाद होने पर इसका इस्तेमाल करने से परहेज नहीं करते।
गौ तस्करी से जुड़े सदस्य सोशल मीडिया में इस तरह से हथियारो की नुमाइश भी करते है।

गौ तस्करी से जुड़े सदस्य सोशल मीडिया में इस तरह से हथियारो की नुमाइश भी करते है।

इस रूट का तस्कर करते है इस्तेमाल

गौ-वंश को कंटेनर और ट्रक में डालकर पूरी तरह से पैक कर दिया जाता है। दो सदस्य ट्रक के अंदर रहते हैं। तेज रफ्तार गाड़ी में यदि गौ-वंश बाहर गिर जाता है तो दोनों चलती गाड़ी से ही उन्हें उठा लेते हैं। इनके अलावा गाड़ी में ड्राइवर और खलासी रहता है।

गौ-वंश को नागपुर भेजने के लिए तस्कर राजनांदगांव के रास्ते जाते हैं। इसी तरह हैदराबाद भेजने के लिए जगदलपुर, विशाखापट्‌टनम भेजने के लिए बागबहारा और कोलकाता भेजने के लिए सरायपाली रूट का इस्तेमाल किया जाता है। दिन में अंदरुनी सड़कों का इस्तेमाल कर गाड़ियों को बॉर्डर या उससे कुछ दूर लाया जाता है। रात को बॉर्डर से क्रॉस करवा देते हैं।

चोरी और किराए की गाड़ी से होती है तस्करी

गौ-वंश की तस्करी करने के लिए चोरी और किराए की गाड़ियों का इस्तेमाल होता है। तस्करी के दौरान यदि गाड़ी पकड़ में आती है, तो चोरी और किराए की होने के कारण सरगना तक पुलिस पहुंच नहीं पाती है। गाड़ी मालिक पुलिस के निशाने में होता है।

जिलों के अंदरुनी सड़कों से इस तरह से गौ-वंश बॉर्डर तक तस्करों द्वारा पहुंचाया जाता है। (फाइल फोटो)

जिलों के अंदरुनी सड़कों से इस तरह से गौ-वंश बॉर्डर तक तस्करों द्वारा पहुंचाया जाता है। (फाइल फोटो)

जिलों के इन इलाकों में गौ तस्कर सक्रिय

छत्तीसगढ़ के हर जिले में तस्कर सक्रिय हैं। बिलासपुर, रायपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, मोहला-मानपुर को अपना गढ़ बना रखा है। बिलासपुर में पचपेड़ी, सीपत, कोटा, रतनपुर, पाली-तखतपुर, चकरभाठा, मुंगेली और सकरी से तस्करी कर रहे हैं। रायपुर में मंदिर हसौद, आरंग और तरपोंगी इलाके से तस्करी की जा रही है।

इसी तरह से राजनांदगांव में अंबागढ़, कोरबा के पोड़ी उपरोड़ा, खैरागढ़ के पांडादाह, चांदगढ़ी और प्रधानपाठ बैराज में, छुईखदान में छिंदारी बांध, बालोद जिले से भी गौ तस्करी हो रही है। बस्तर के परपा थाना क्षेत्र में तस्कर सक्रिय हैं। धमतरी के अर्जुनी-कुकरैल और रायगढ़ के रैरूमाखुर्द इलाके में गौ तस्कर सक्रिय हैं।

छत्तीसगढ़ के बॉर्डर इलाको में तस्करों द्वारा इस तरह से भी गौवंश को दूसरे राज्यों में भेजा जाता है। (फाइल फोटो)

छत्तीसगढ़ के बॉर्डर इलाको में तस्करों द्वारा इस तरह से भी गौवंश को दूसरे राज्यों में भेजा जाता है। (फाइल फोटो)

कवर्धा में पोंड़ी, राजानवागांव, भोरमदेव, बोड़ला और चिल्फी इलाके में गौ तस्कर सक्रिय है। आरोपी जंगल के रास्ते गौ-वंश को मध्य प्रदेश ले जाकर वहां से बेच देते हैं। रामानुजगंज में विजय नगर और कनपुर और जशपुर में आस्ता, खमली और अमगांव में गौ तस्कर सक्रिय हैं।

ये आरोपी गौ तस्करी में शामिल

विनोद, रमेश, जब्बार, निलेश, फिरोज, राजेंद्र, लक्ष्मण, रज्जू, इमरान, कुशल, भगवान, ओंकार, खेमचंद्र, रितेश, राजेश, हरीश, हेमंत, शिवदयाल, मिथुन, कलम, साहूकार, धनीराम, जितेंद्र, दिनेश, सोनू, कैलाश, लोरिक, बुधराम, अरुण, होरी और जय।

2019-23 तक 646 प्रकरण दर्ज

छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2019 से 2023 तक पशु तस्करी के 646 प्रकरण दर्ज किए हैं। इनमें सैकड़ों आरोपियों को पकड़ा गया और हजारों गौ-वंश की जान बचाई है। इतनी कार्रवाई के बाद भी पुलिस के हाथ बड़े तस्कर नहीं लग रहे हैं। हर बार ड्राइवर, हैल्पर और पायलेटिंग करने वाले पकड़े जाते हैं।

वर्षप्रकरण
201985
2020108
2021160
2022149
2023144

गो हत्या-तस्करी पर भारत में अलग-अलग नियम

  • भारत के 29 में से 10 राज्य ऐसे हैं जहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड़ और भैंस को काटने और उनका गोश्त खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं।
  • 18 राज्यों में गो-हत्या पर पूरी या आंशिक रोक है।
  • गो-हत्या पर कोई केंद्रीय क़ानून नहीं है, पर अलग राज्यों में अलग-अलग स्तर की रोक दशकों से लागू हैं।
  • छत्तीसगढ़ में गौ तस्करी रोकने के लिए चोरी, वसूली, पशु परिवहन, पशु क्रूरता निवारण और छत्तीसगढ़ कृषक पशु परीक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है।

इन राज्यों में पूरी तरह से प्रतिबंध

कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महराष्ट्र, छत्तीसगढ़, दिल्ली और चंडीगढ़ में गौ हत्या- तस्करी पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

इन राज्यों में आंशिक प्रतिबंध

गो-हत्या पर पूरे प्रतिबंध के मायने हैं कि गाय और बछड़े की हत्या पर पूरा प्रतिबंध लेकिन बैल, सांड़ और भैंस को काटने और खाने की इजाज़त है।

इसके लिए जरूरी है कि पशु को ‘फ़िट फ़ॉर स्लॉटर सर्टिफ़िकेट’ मिला हो। बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, दमन और दीव, दादर और नागर हवेली, पांडिचेरी, अंडमान ओर निकोबार द्वीप समूह में ये लागू है।

इन राज्यों में कोई प्रतिबंध नहीं

केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और गो-हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

गौ तस्करों की जानकारी मीडिया से साझा करते हुए एएसपी लखन पटले।

गौ तस्करों की जानकारी मीडिया से साझा करते हुए एएसपी लखन पटले।

तस्करों से जानकारी मिली, बड़ा खुलासा जल्द करेंगे

रायपुर के आमानाका इलाके में संगठन गौ पुत्रों की मदद से गौ-वंश को बरामद करने के बाद 6 आरोपियों को पकड़ा गया था। एएसपी लखन पटले ने कहा कि गौ तस्कर के खिलाफ लगातार जांच जारी है। गिरफ्त में आए आरोपियों से तस्करी गिरोह के सदस्यों की जानकारी मिली है। आने वाले दिनों में बड़ा खुलासा करेंगे।

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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