नई दिल्ली: कोरोना की तीसरी लहर को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने केंद्र को चेतावनी दी है। NCPCR ने कहा कि तीसरी लहर का बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका जाहिर की जा रही है। ऐसे में सरकार को बच्चों के लिए स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना चाहिए ताकि केसों और मौतों पर नियंत्रण पाया जा सके।
इस बीच कर्नाटक से खबर है कि वहां 2 महीनों के भीतर 9 साल से छोटे 40 हजार बच्चे संक्रमित हो गए हैं। 18 मार्च से 18 मई के बीच 10 से 19 साल के बीच के एक लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए। हालांकि, बच्चों की मौतों के मामले 18 मार्च तक 28 थे। जबकि मार्च से 18 मई तक 15 बच्चों की जान संक्रमण से गई।
तीसरी लहर में बच्चों को लेकर NCPCR ने जाहिर की चिंता
NCPCR ने पिछले हफ्ते स्वास्थ्य मंत्रालय, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को चिट्ठी लिखी थी। कहा था कि जो आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं, उन्हें लेकर तैयारियां पूरी कर लें। NCPCR ने गुरुवार को सभी राज्यों को भी खत लिखा था और जानकारी मांगी थी कि उनके यहां बच्चों के कोरोना संक्रमण के इलाज की क्या व्यवस्थाएं हैं।
एंबुलेंस और स्वास्थ्य फैसेलिटी को बच्चों के लिए तैयार करें- NCPCR
आयोग ने कहा था कि मैटरनिटी में जन्मे बच्चे की देखभाल के लिए अभी गाइडलाइंस हैं। अब निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (नवजातों का ICU) और चिल्ड्रेंन इमरजेंसी ट्रांसपोर्ट सर्विस को केवल निओनेटल केस और बच्चोें के लिए खासतौर पर तैयार करने की जरूरत है। बच्चों के लिए एंबुलेंस और ट्रांसपोर्ट वाहनों के संबंध में गाइडलाइन जारी किए जाने की विशेष जरूरत है।
ICMR ने कहा कि अभी गाइडलाइन जारी होंगी तो बच्चों के लिए इस तरह के वेंटिलेटर और इंक्यूबेटर्स से लैस एंबुलेंस तैयार हो सकेंगी और तीसरी लहर के लिए हम तैयार हो सकेंगे।