मध्यप्रदेश: MP में स्वास्थ्य अमले का एक और कारनामा सामने आया है। स्वास्थ्य कर्मचारियों ने घायल महिला के सिर पर बैंडेज की जगह कंडोम का रैपर चिपका दिया और ऊपर से पट्टी बांध दी। महिला को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया, यहां डॉक्टरों ने पट्टी खुलवाई तो हक्के-बक्के रह गए। मामले में वार्ड बॉय को हटा दिया है। साथ ही जांच के निर्देश दिए गए हैं।
मामला मुरैना जिले की पोरसा का है। यहां के धर्मगढ़ गांव की रहने वाली रेशमा बाई (70) पत्नी लालाराम रात में घर में सो रही थीं। इसी दौरान दीवार पर रखी ईंट सिर पर गिर गई। इससे सिर में घाव हो गया और ब्लीडिंग होने लगी। यह देख परिवार वाले घबरा गए। वे उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए। वहां ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ रविन्द्र राजपूत ने चेकअप किया। डॉक्टर ने मौजूद वार्ड बॉय अंतराम से पट्टी बांधने के लिए कह दिया। अंतराम ने खून रोकने के लिए प्रेशर बैंडेज की जगह वहां पड़ा कंडोम का रैपर घाव पर लगा दिया। इसके बाद पट्टी बांधकर चलता कर दिया। इसके बाद डॉक्टर ने महिला को जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
कंडोम का रैपर देख हैरान रह गए जिला अस्पताल के डॉक्टर
अस्पताल में डॉक्टर घाव पर कंडोम का रैपर देखकर चौंक गए।
रेशमा बाई का बेटा उन्हें मुरैना जिला अस्पताल लेकर पहुंचा। यहां इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों ने महिला के सिर की पट्टी खोली, तो हैरान रह गए। डॉक्टरों ने उसे हटाकर घाव को साफ किया। सिर पर टांके लगाए। तब कहीं जाकर ब्लीडिंग बंद हुई। डॉक्टरों के मुताबिक इससे घाव में इन्फेक्शन हो सकता है, जिससे आगे बड़ी समस्या खड़ी हो सकती थी।
वार्ड बॉय को हटाया
घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। आनन फानन में CMHO डॉ. राकेश शर्मा ने मामले की जांच के लिए डॉ. गिर्राज गुप्ता को पोरसा भेजा है। साथ ही, वार्ड बॉय अंतराम को पोरसा से हटाकर परीक्षत का पुरा स्वास्थ्य केंद्र पर अटैच कर दिया है। सीएमएचओ का कहना है कि जांच के बाद जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ढाई लाख की आबादी पर सिर्फ दो डॉक्टर
पोरसा में करीब ढाई लाख की आबादी है। यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ दो डॉक्टर हैं। एक डॉक्टर शैलेंद्र तोमर तैनात हैं। दूसरे डॉ. रविंद्र राजपूत। तीन वार्ड बॉय हैं। कोई नर्स और कंपाउंडर भी नहीं है।
मुरैना जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों ने बुजुर्ग की पट्टी की। इसके बाद ब्लीडिंग रुकी।
लाखों का बजट, सुविधाएं नहीं
अंबाह-पोरसा, सबलगढ़-कैलारस व जौरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए हर महीने लाखों का बजट भेजा जाता है। बावजूद ऐसे बुरे हालात हैं। यहां मरीजों के इलाज के लिए पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां तक कि दवाइयों तक का टोटा है।
जिला अस्पताल के लिए कर देते हैं रेफर
जिले के अंबाह-पोरसा, सबलगढ़, कैलारस व जौरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मरीजों की मल्हम पट्टी नहीं की जाती है। यहां आने वाले अधिकांश मरीजों को जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया जाता है। लोगों ने बताया कि कई बार गंभीर मरीज की ठीक से पट्टी तक नहीं की जाती। कई बार अस्पताल आते-आते मरीज दम तोड़ देता है।