Friday, April 26, 2024
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NGO में बच्चों की मौत का मामला: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र और ED से 3 सप्ताह में जवाब मांगा; सरकारी मदद के बाद भी भूख से मौत कैसे..?

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने NGO में बच्चों की मौत के मामले में राज्य सरकार, केंद्र और ED को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

  • रायपुर की संस्था कोपल वाणि ने दायर की है याचिका, 2014 से में अलग-अलग NGO में 8 बच्चों की हुई है मौत
  • याचिका में शासकीय अनुदान के दुरुपयोग का आरोप, चार संस्थानों को दी गई है 9.76 करोड़ रुपए की राशि

बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ के गैर सरकारी संगठनों (NGO) में बच्चों की मौत का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है। एक जनहित याचिका में आरोप लगाया है कि 2014 से अब तक अलग-अलग NGO में 8 बच्चों की भूख की वजह से हो चुकी है। जबकि, शासन की ओर से इन संस्थाओं को करोड़ों रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र और ED (प्रवर्तन निदेशालय) को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब मांगा है।

रायपुर की संस्था कोपल वाणी चाइल्ड वेलफेयर ने वकील जेके गुप्ता और देवर्षि ठाकुर के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि राज्य शासन की ओर से समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत सामाजिक संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है। वह संस्था जो निराश्रित बच्चों के लिए काम कर रही हैं। उनके लिए अलग से घरौंदा योजना प्रारंभ की गई थी। इसके तहत पीतांबरा संस्था समेत 4 संस्थाओं को 9.76 करोड़ रुपए दिए गए।

शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
पीतांबरा और कुछ अन्य संस्थाओं में 2014 से लेकर अब तक अलग-अलग 8 बच्चों की मौत हो गई है। इनमें से जब 2017 में एक घटना पीतांबरा में हुई तो इसकी शिकायत की गई। खुद समाज कल्याण विभाग के सचिव ने कहा था कि FIR होनी चाहिए। मामले में ED से भी शिकायत हुई थी। बड़ी रकम की हेर-फेर का मामला था। संस्था कोपल वाणी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि शासन के अनुदान का दुरुपयोग हो रहा है।

अनुदान राशि बड़ी होने के बाद भी बच्चे भूख से मर रहे
याचिकाकर्ता संस्था की ओर से कहा गया, जो लोग इस क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं उन्हें कोई सहायता नहीं मिल पाती है। इतनी बड़ी रकम होने के बाद भी भूख से बच्चों की यह स्थिति भयावह है। चीफ जस्टिस की युगल खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार, केंद्र सरकार और प्रवर्तन निदेशालय को अपना जवाब पेश करने 3 सप्ताह का समय दिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की बेंच में हुई।

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