Friday, April 26, 2024
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साइबर ठगी का नया पैटर्न: भिलाई में क्यूआर स्कैन कर ठगी के 1 महीने में 30 से ज्यादा केस, दुकानदार के बजाए दूसरे के अकाउंट में पहुंच रहा पैसा…

  • पूरे प्रदेश में इस तरह का गिरोह सक्रिय होने की आशंका

भिलाई/ ऑनलाइन ठगी का नया तरीका सामने आया है। इस ठगी के लिए जालसाज प्ले स्टोर पर मौजूद स्पूफ और फेक पेमेंट गेटवे एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ट्विनसिटी में भी इस तरह की ठगी होने लगी है। आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। हालही में पद्मनाभपुर पुलिस ने दो व्यापारियों से फेक और स्पूफ एप्लीकेशन के जरिए ठगी करने वाले को पकड़ा है। इसने दोनों व्यापारियों से करीब साढ़े पांच लाख रुपए की ठगी की।

इसी तरह आकाशगंगा और सुपेला मार्केट में चश्मा और कपड़ा कारोबारी से भी ठगी हो चुकी है। साइबर सेल में औसतन हर तीसरे दिन 2 शिकायतें पहुंच रही हैं। जिले सहित प्रदेश में ऐसे ठग सक्रिय हैं। ठग ऐसे व्यापारियों को अपना शिकार बनाते हैं जिनकी दुकान में वाइस ट्रांजिक्शन मशीन नहीं रहती। कंजक्शन का झांसा देकर ठगी करके फरार हो जाते हैं। वे ग्राहक बनकर दुकानदार के पास पहुंच रहे हैं। एप की मदद से ऑनलाइन खरीदी कर रहे हैं। इसके बाद फर्जी तरीके से व्यापारी के खाते में ऑनलाइन पेमेंट का फर्जी ट्रांजिक्शन दिखा रहे हैं।

एप्लीकेशन से ऐसे होती है ठगी: प्ले स्टोर से एप डाउनलोड कर किया जाता है फर्जी पेमेंट
साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि फेक एप्लीकेशन के जरिए आसानी से किसी को भी झांसा दिया जा सकता है। ठग प्ले स्टोर से इस एप्लीकेशन को डाउनलोड कर लेते हैं। इसके बाद दुकान में समान खरीदने के बाद वहां लगे क्यूआर कोड को अपने एप्लीकेशन के जरिए दिखावे के लिए स्कैन करते हैं। इसके बाद अमाउंट लिखकर पे का बटन दबा देते हैं।

स्क्रीन पर पेमेंट डिलेवरी स्टेटस डिस्प्ले होने लगता है। स्क्रीन पर ग्रीन रंग का निशान दिखाई देता है। इससे पता चलता है कि पैसा व्यापारी के खाते में जमा हो गया है। ठग व्यापारी को भी स्टेटस रिपोर्ट दिखाकर झांसा दे देते हैं। व्यापारी अपने व्यवसाय में व्यस्त रहने के कारण मोबाइल चेक नहीं कर पाता। इसका फायदा उठाकर ठग जालसाजी करने में सफल हो जाते हैं।

व्यापारी अगर पेमेंट को लेकर पूछताछ करता है तो ठग सर्वर में प्रॉब्लम होने का झांसा देकर पेमेंट बाद में मिल जाने का बात कहकर रफू चक्कर हो जाते हैं। इसके बाद पुलिस लगातार ऐसे लोगों की तलाश करते रहती है।

कई एप हैं उपलब्ध: प्ले स्टोर पर मौजूद हैं ऑनलाइन ट्रांजिक्शन से जुड़े आधा दर्जन से अधिक एप
साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक प्ले स्टोर में ऐसे कई एप्लीकेशन मौजूद हैं, जिनके जरिए फेक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन किया जा सकता है।

इनके जरिए पेमेंट डिलीवर करने का झांसा देकर ठगी हो रही है। जिस तरह से डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, आधार कार्ड और पेन कार्ड के फर्जी एप्लीकेशन प्ले स्टोर में उपलब्ध हैं। उसी तरह स्पूफ कॉलिंग और पेमेंट के लिए एप्लीकेशन मौजूद हैं। इस पर नियमित रूप से युवाओं की नजर है। वे इन एप के बारे में लगातार जानकारी भी लेते हैं।

अलर्ट रहना जरूरी: वाइस ट्रांजिक्शन सिस्टम लगाएं, वहीं मोबाइल पर मैसेज चेक करें
ठगी से बचने के लिए दुकान में वाइस ट्रांजेक्शन मशीन रखा जा सकता है। इसके साथ ऑनलाइन लेनदेन के बाद तुरंत मैसेज चेक करना चाहिए। वाइस ट्रांजेक्शन मशीन लेनदेन के बाद मैसेज की जानकारी देती है। इससे पता चल जाता है कि व्यापारी के खाते में पैसे जमा हो गया है। इसी तरह कोई भी ग्राहक अगर पेमेंट गेटवे के जरिए पैसा ट्रांसफर करता है तो मैसेज चेक कर लेना चाहिए। ग्राहक का डिटेल भी जरूर रखें। ताकि आप ठगी का शिकार न हों।

केस 1: 20 से अधिक व्यापारी हो चुके युवती का शिकार, पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद भेजा जेल
इंदौर में 20 से अधिक व्यापारियों को एक युवती फेक एप्लीकेशन के जरिए ठग चुकी है। वह बड़े-बड़े कारोबारियों के पास से जरूरत के महंगे समान खरीदती थी और फिर फर्जी एप से पेमेंट करने का झांसा देकर चली जाती थी। कई कारोबारियों से शिकायत मिलने के बाद पुलिस सक्रिय हुई और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी युवती को गिरफ्तार जेल भेज दिया। हालांकि जेल भेजने से पहले पुलिस ने उक्त युवती से सारी जानकारियां जुटाई। उसके अन्य साथियों के बारे में भी पूछताछ की, लेकिन कोई खुलासा नहीं हो पाया।

केस 2: दुर्ग में दो कारोबारियों को ठगने वाला गिरफ्तार, पकड़े गए युवक से की जा रही पूछताछ
पद्मनाभपुर (दुर्ग) पुलिस ने इसी तरह सुभाष नगर निवासी अहेफाज खान को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने कपड़ा व्यापारी विनोद कुमार को साढ़े चार और किराना व्यापारी राजीव शुक्ला को 1 हजार रुपए का चुना लगाया। उसने सिर्फ एप्लीकेशन में पेमेंट डिलेवरी का स्टेटस दिखाया था। शिकायत के बाद पुलिस ने मोबाइल नंबर से ट्रेस किया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी युवक से लगातार पूछताछ की जा रही है। उसने पुलिस को केवल एप के बारे में जानकारी दी है।

बढ़ रहा मेट्रो कल्चर : दुर्ग और भिलाई में तेजी से ऑनलाइन ट्रांजिक्शन बढ़ा
दुर्ग और भिलाई में पिछले करीब 5 वर्षों में मेट्रो कल्चर बढ़ा है। लोगों में ऑनलाइन मनी ट्रांजिक्शन को लेकर जागरूकता आई है। शहर के 40 प्रतिशत से अधिक लोग इस समय ऑनलाइन ट्रांजिक्शन पर निर्भर है। उनके द्वारा नियमित रूप से ऑनलाइन मनी ट्रांजिक्शन के लिए सोशल मीडिया में उपलब्ध एप का उपयोग किया जा रहा है। इन एप की निगरानी को लेकर प्रदेश सहित देश में मॉनीटरिंग एजेंसियां फेल हैं। जब तक वह आरोपियों के बारे में पता लगा पाती हैं, तब तक फ्रॉड करने वाला ठगी करके भाग चुका होता है। सालों पतासाजी के बाद भी ऐसे ठग के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती। इस वजह से शिकायतें बढ़ रही है।

फर्जी कोड जनरेट: एप्लीकेशन के अलावा फर्जी क्यूआर कोड के जरिए भी हो रही ठगी
एप्लीकेशन के अलावा अब फर्जी क्यूआर कोड के जरिए भी ठगी होने लगी है। सराफा की दुकान पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करके ठग ने उनके खाते में 75 हजार जमा करने के अपने अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर लिया है। क्यूआर कोड के जरिए फर्जीवाड़ा का तरीका नया है। ठग क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद उसका क्लोन तैयार कर लेते हैं। उसी कोड में अपना मोबाइल नंबर फीड कर पैसा ट्रांसफर कर लेते हैं। इसलिए बार कोड की जानकारी देने से बचें या सावधानी बरतें।

प्रैंक और स्पूफ एप्लीकेशन से ठगी, कारोबारी हैं टार्गेट
“प्रैंक और स्पूफ एप्लीकेशन के जरिए ठगी हो रही है। ठग व्यापारियों के व्यस्त होने का फायदा उठाकर इस तरह की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। खास तौर पर इस तरह की ठगी में स्कूल और कॉलेज के छात्र शामिल रहते हैं। ऐसे फ्रॉड के टार्गेट पर हर समय व्यस्त रहने वाले व्यापारी रहते हैं। ऐसी व्यापारियों को भी निशाना बनाते हैं।”
-जितेंद्र सिंह,एसपी साइबर सेल इंदौर

दुर्ग के ठग को गिरफ्तार कर जेल भेजा, जांच जारी:
“दो व्यापारियों की शिकायत पर दुर्ग के ठग को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। उसने एप्लीकेशन के जरिए पेमेंट डिलिवर होने का फर्जी मैसेज दिखाकर ठगी की थी। शंका है कि इसी तरह की ठगी और भी लोगों के साथ हुई है। लेकिन ठगी का पता नहीं चलने या राशि कम होने के कारण व्यापारी सामने नहीं आए हैं। इस मामले में लगातार जांच जारी है।”
-प्रमोद श्रीवास्तव, प्रभारी पद्मनाभपुर पुलिस चौकी दुर्ग

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