Friday, April 26, 2024
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कोरबा: कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने पर बीईओ संजय अग्रवाल हटाए गए…कलेक्टर ने की कार्यवाही….

कलेक्टर ने कोरोना नियंत्रित होने तक के लिए जिला पंचायत में किया संलग्न,सहायक संचालक रात्रे को दिया बीईओ का प्रभार

कोरबा। कोरोना नियंत्रण के लिए सौंपे गए कार्यदायित्व के निर्वहन में लापरवाही बरतने एवं बिना अनुमति लिए मुख्यालय से बाहर जाने वाले कोरबा बीईओ पर गाज गिरी है । कलेक्टर ने बीईओ को कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कार्य के लिए जिला पंचायत में संलग्न कर दिया है । बीईओ कोरबा का प्रभार आगामी आदेश पर्यन्त तक के लिए आदिवासी विकास विभाग के सहायक संचालक एस. एस. रात्रे को सौंप दिया गया है ।

यहाँ बताना होगा कि तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से जिले में पिछले एक पखवाड़े से धारा -144 लागू है। कोरोना नियंत्रण के लिए कड़े निर्देश जारी करने के साथ साथ कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने सभी अधिकारी कर्मचारियों को बिना अनुमति मुख्यालय से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है । साथ ही मुख्यालय में अनिवार्य रूप से रहने का आदेश दिया गया है । लेकिन कलेक्टर के निर्देशों की अवहेलना कर कोरबा विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) संजय अग्रवाल बिना अनुमति लिए मुख्यालय से बाहर थे। जबकि उन्हें कोरोना वायरस (कोविड -19 ) के प्रसार को देखते हुए नियंत्रण एवं रोकथाम की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कलेक्टर श्रीमती कौशल ने बीईओ के इस कार्य व्यवहार को गंभीरता से लेते हुए बीईओ संजय अग्रवाल को आगामी आदेश पर्यन्त बीईओ कोरबा के पद से हटा दिया है। उन्हें कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कार्य के लिए जिला पंचायत के अधीनस्थ संलग्न कर दिया गया है। आदिवासी विकास विभाग के सहायक संचालक एस एस रात्रे को कोरोना वायरस की स्थिति सामान्य होने तक के लिए विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कोरबा का प्रभार सौंपा गया है । कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने के मामले में जिले में अफसर पर हुई ये पहली बड़ी कार्यवाई है । कलेक्टर किरण कौशल ने सख्त लहजे में चेतावनी दी है कि आदेश कि अवहेलना करते पाए जाने पर सम्बन्धितों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई की जाएगी।

इन विभागों के मैदानी कर्मचारी भी नहीं रहते मुख्यालय में

जिले में भले ही बीईओ कोरबा के खिलाफ यह कार्यवाई कर एक बड़ा संदेश दिया है लेकिन अभी भी मैदानी स्तर पर इसका भली भांति क्रियान्वयन नहीं हो रहा है । महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से बच्चों गर्भवती,शिशुवती माताओं को दिए जाने वाले पोषण आहार (रेडी टू ईट का वितरण) आंगनबाड़ी केंद्र बन्द होने से हितग्राहियों के घर तक पहुँचाकर किया जाना है । इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी पर्यवेक्षकों की है । लेकिन वो मुख्यालय में नहीं रहतीं। हालांकि लॉकडाउन की वजह से भले कुछ सेक्टरों में पर्यवेक्षक मुख्यालय में किराए लेकर निवास कर रही हैं । पर अधिकांश जगह इसका पालन नहीं हो रहा । नतीजन समय पर पोषण आहार नहीं बंटने की शिकायत आम हो गई है ।शिक्षकों की भी यही हाल है । अभी स्कूल बंद है लिहाजा मध्यान्ह भोजन का सूखा राशन घर पहुंचाकर दिए जाने का निर्देश है । इस निर्देश का भी जिले में शिक्षकों के मुख्यालय में निवास नहीं करने की वजह से सही ढंग से पालन नहीं हो रहा।पटवारी ,पँचायत सचिव भी इन्हीं की राह पर हैं। जिसकी वजह से कार्य प्रभावित होता है।

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