सरगुजा: जिले के मैनपाट में शासकीय जमीन की हेराफेरी के मामले में सत्ता परिवर्तन के साथ ही कार्रवाई शुरू हो गई है। सरगुजा जिला प्रशासन ने 111 हेक्टेयर भूमि को फिर से शासकीय मद में दर्ज कर दिया गया है। यह जमीन 48 लोगों के नाम पर दर्ज कर दी गई थी। प्रशासन ने जांच के बाद संबंधित लोगों को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन संबंधितों ने कोई जवाब नहीं दिया। मामले में जिम्मेदार लोगों पर प्रशासन ने फिलहाल कार्रवाई नहीं की है।
जानकारी के मुताबिक, मैनपाट विधानसभा क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ शासकीय भूमि को निजी स्वामित्व की भूमि के रूप में दर्ज कर दिया गया है। कलेक्टर जनचौपाल में पहुंचे विकासखंड मैनपाट के अंतर्गत उरंगा पंचायत के सरपंच के अलावा बरिमा और अन्य जगहों के ग्रामीणों ने आवेदन देकर इसकी शिकायत की थी। शिकायत में तहसील मैनपाट के ग्राम कंडराजा, बरिमा, नर्मदापुर स्थित शासकीय भूमि को कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा निजी भूमि के रूप में दर्ज करा लिया जाना बताया गया था।
मैनपाट के पाट क्षेत्र का दृश्य।
48 मामलों में नहीं मिला कोई जवाब
कलेक्टर सरगुजा कुंदन कुमार ने जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने और कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सीतापुर एसडीएम रवि राही ने बताया कि इन शिकायतों के तहत ग्राम पंचायत उरंगा के आश्रित ग्राम कंडराजा तहसील मैनपाट के कुल 48 प्रकरणों में विधिवत सभी दस्तावेजों की जांच कर इश्तहार का प्रकाशन और नोटिस तामील कराई गई। अनावेदकों को दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए निर्धारित समय सीमा दी गई थी। इस दौरान किसी प्रकरण में कोई जवाब नहीं मिला।
किसी के पास नहीं है कोई दस्तावेज
मामले की जांच में खुलासा हुआ कि संबंधित लोगों के पास जमीन से जुड़े कोई भी वैध दस्तावेज नहीं थे। नियम विरुद्ध तरीके से शासकीय जमीन को निजी मद में अंकित करा लिया गया था। इसके बाद ग्राम कंडराजा के कुल 48 प्रकरणों में खसरा 70 कुल रकबा 111.488 हेक्टेयर भूमि को वापस शासकीय मद में हस्तांतरित किया गया है।
कई शिकायतों की नहीं हुई जांच
छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट में सैकड़ों एकड़ जमीन के फर्जीवाड़े की कई शिकायतें जिला प्रशासन को मिली हैं। प्रभावशाली लोगों ने वनभूमि और शासकीय भूमि को अपने नाम पर दर्ज करा लिया है। कई लोगों ने इसी के आधार पर धान की बिक्री भी शुरू कर दी है। कुछ मामलों में लोगों ने छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के माध्यम से मुआवजा भी ले लिया था। इनमें कई शिकायतों की जांच लंबित है।
विधानसभा चुनाव में बना था मुद्दा
सीतापुर विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीन घोटाला चुनावी मुद्दा भी बना था। बड़े पैमाने पर शासकीय जमीनों की हेराफेरी का आरोप भाजपा ने पूर्व मंत्री के समर्थकों और कांग्रेस नेताओं पर लगाया था। सत्ता बदलने के बाद प्रशासन ने भी शिकायतों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। अब तक ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं की है, जिन्होंने इस गड़बड़ी को अंजाम दिया।