*धमतरी: 15 गांवों में शाम 6 बजते घरों में दुबक जाते हैं लोग
कांकेर: जिले में इस साल 4 लोगों को तेंदुए ने अपना शिकार बनाया है। जिन गांव में तेंदुए ने इंसानों का शिकार किया है उन गांवों के अलावा आसपास के इलाके में काफी दहशत है। चारामा के भैंसाकट्टा व पलेवा में 3 तेंदुए के पकड़े जाने के बाद भी हालत ये है कि अभी भी ग्रामीण रात में घरों से बाहर नहीं निकलते हैं।
नरहरपुर के बनसागर में अभी तेंदुआ पकड़ाया नहीं है। जिले में 50 से ज्यादा गांव इससे प्रभावित हैं। भैंसाकट्टा व पलेवा से पिछले महीने तेंदुए ने एक महिला तथा एक पुरुष की जान ले ली थी। इसके बाद चारामा में महानदी इलाके के गांव भैंसाकट्टा, पलेवा, अरौद, हटका चाराम, कोटेला, डोढ़कावाही में दहशत के चलते लोगों ने शाम होते ही घरों से निकलना छोड़ दिया था। यहां वन विभाग ने इलाके में घूम रहे 5 में से 3 तेंदुए को ही पकड़ा।
जानकार बाेले- तेंदुए के हमले के लिए इंसान ही जिम्मेदार
अविभाजित मध्यप्रदेश व छग वाइल्ड लाइफ कमेटी के पूर्व सदस्य और वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट प्राण चड्ढा ने बताया तेंदुआ के बस्ती में आने का सबसे बड़ा कारण है वन्य जीवों का जैविक संतुलन खत्म होना। जंगल में उसे भोजन मिलना बंद हो गया है। धीरे-धीरे मनुष्य जंगल को खेत बनाता जा रहा है। साथ ही मनुष्य जंगल में सांभर, चीतल व अन्य जानवरों को मार कर खा रहा है। भोजन नहीं मिलने से तेंदुए ने बस्ती के आसपास डेरा डाल लिया है।
धमतरी के इन गांवों में तेंदुए की दहशत
सिहावा क्षेत्र में ही 15 मई को मुकुंदपुर में 8 साल के बच्चे की, 23 सितंबर को मुकुंदपुर में ही 12 साल के बच्चे की और 11 अक्टूबर को शृंगी ऋषि पहाड़ी पर 6 साल के बच्चे की तेंदुए ने जान ली है। इलाके के लोग शाम 6 बजे के बाद अपने घरों के दरवाजे बंद करके अंदर दुबक जा रहे है।
तेंदुए को पकड़ने वन विभाग ने 4 जगह 4 पिंजरा लगाया है। सिहावा पहाड़ी व आसपास के जंगल में इन दिनों 5 से 6 तेंदुए हैं, जिसमें एक मादा तेंदुआ अपने 2 शावकों के साथ शृंगी ऋषि पहाड़ी में मंडरा रहे हैं, जिसे पकड़ने वन विभाग ने सोनामगर, गणेश घाट, शीतला मंदिर और मुकुंदपुर पहाड़ी में 4 पिंजरा लगाए है। इस घटना के 3 दिन बाद यानी 14 अक्टूबर को पड़ोसी जिले कांकेर के नरहरपुर के बनसागर में घर घुसकर एक तेंदुआ ने महिला परमिला सिन्हा का शिकार किया।